अब विवाह विश्वास नहीं , वारदात बनता जा रहा है ?
मेरठ से शिलॉन्ग तक, सौरभ से राजा रघुवंशी तक: कब रुकेगा यह सिलसिला?क्या अब प्रेम विश्वास नहीं, बल्कि वारदात की भूमिका बन चुका है? रीतेश माहेश्वरी भारत की सामाजिक संरचना में प्रेम और विवाह को पवित्र बंधन माना जाता रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में एक खतरनाक ट्रेंड उभरकर सामने आया है—जहां इसी पवित्र […]