20-07-2025
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भाषा हमेशा से एक संवेदनशील विषय रहा है। देश को जोड़ने में हिन्दी के महत्व को समझते हुये ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाने की अपेक्षा की थी जबकि उनकी स्वयं की मातृभाषा गुजराती थी। राजनैतिक कारणों से स्वतंत्रता के बरसों बाद आज तक भी हिन्दी को हम राष्ट्रभाषा […]
भारतीय जनता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि वह किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेती है और छोटे बड़े हर एक चुनाव को पूरी ताकत से लड़ती है। इसी तारतम्य में बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनावों के पूर्व पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री के […]
आज के अधिकांश अख़बारों से साहित्यिक पन्ने या तो पूरी तरह गायब हो चुके हैं या केवल खानापूरी तक सीमित हैं। लेखकों को छापकर उन्हें ‘कृपा’ का अनुभव कराया जाता है, परंतु सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया जाता। अब कुछ मालिकान पुरस्कार योजनाएं बनाकर लेखक-सम्मान का दिखावा कर रहे हैं, जबकि बुनियादी ज़रूरत है — श्रम […]
क्या देश के सम्मान के बदले व्यापार की सौदेबाज़ी की गई?” कांग्रेस का सवाल ट्रंप के दावे के बाद मानसून सत्र के हंगामेदार होने के आसार , मानसून सत्र में उठेगा मामला नई दिल्ली गौरव कोठारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक बार फिर भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर दिए गए बयान ने भारतीय सियासत में […]
तेल संकट की चुनौती: रूस से तेल न खरीदने पर भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? नई दिल्ली गौरव कोठारी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव और आर्थिक रणनीतियों के बीच भारत एक जटिल ऊर्जा संकट की आशंका से जूझ रहा है। अमेरिका और NATO की ओर से रूस पर प्रतिबंधों की चेतावनी के बाद अब भारत, […]
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प्रियंका सौरभ हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ स्क्रीन पर दिखना असल में जीने से ज़्यादा जरूरी हो गया है। जहां ज़िंदगी कैमरे के फ्रेम में सिमट गई है, और इंसान का मूल्य उसके ‘लाइक’, ‘फॉलोवर’ और ‘व्यूज़’ से तय होता है। इसी डिजिटल होड़ में स्त्रियों की अभिव्यक्ति भी एक अजीब […]
डॉ सत्यवान सौरभ हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ लोग अपनी मां को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं, लेकिन कुत्तों के लिए मखमली बिस्तर खरीदते हैं। जहाँ बच्चे की फीस चुकाना कठिन होता है, पर पालतू जानवर के लिए सालगिरह पार्टी देना ‘प्यारा’ माना जाता है। यह वह युग है जहाँ संवेदना की […]
मानव इतिहास की परिधि पर जब भी कोई नया चक्र उभरता है, तो उसमें विज्ञान, कल्पना और आत्मबल की त्रयी सबसे महत्वपूर्ण होती है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा, जो एक समय टिन के डब्बों में साइकिलों पर रॉकेट लेकर चलने से शुरू हुई थी, आज न केवल चंद्रमा और मंगल की मिट्टी तक पहुँच चुकी […]
