इज़राइल बनाम ईरान : कौनसी करंसी है ज्यादा ताकतवर ?
जंग से परे अर्थव्यवस्था का असली मुकाबला !
नई दिल्ली। इज़राइल और ईरान के बीच लंबे समय से जारी तनाव अब सिर्फ सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है। इस संघर्ष का सीधा असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से मुद्रा यानी करंसी पर पड़ रहा है। जहां एक ओर युद्ध के हालात चिंता का विषय हैं, वहीं दूसरी ओर आर्थिक स्थिरता और मुद्रा की ताकत इस लड़ाई में एक अलग आयाम जोड़ रही है। सवाल यह है—इज़राइल की न्यू शेकेल ज्यादा मजबूत है या ईरान की रियाल?
इज़राइल की करंसी: न्यू शेकेल की मजबूती क्यों?
इज़राइल की करंसी का नाम है न्यू शेकेल, जिसकी शुरुआत 1986 में हुई थी। एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले वर्तमान में लगभग 3.5 न्यू शेकेल मिलते हैं। यानी डॉलर की तुलना में इसकी वैल्यू काफी स्थिर और मजबूत है। इसका मुख्य कारण है—इज़राइल की विविध और तकनीकी रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था।

इज़राइल को “स्टार्टअप नेशन” कहा जाता है। देश में प्रति व्यक्ति स्टार्टअप की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फिनटेक, मेडटेक, एग्रो-टेक जैसे क्षेत्रों में यह वैश्विक अग्रणी है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल जैसी कंपनियों के R&D सेंटर यहां मौजूद हैं। इसके साथ ही मजबूत शिक्षा व्यवस्था, नियंत्रित महंगाई और कम बेरोजगारी इज़राइल की आर्थिक सेहत को मजबूती देती है।
ईरान की करंसी: रियाल क्यों कमजोर है?
दूसरी ओर ईरान की करंसी है ईरानी रियाल, जो बीते वर्षों में लगातार गिरती गई है। आज एक अमेरिकी डॉलर के बदले लगभग 42,000 ईरानी रियाल मिलते हैं, जो करंसी की कमजोरी को स्पष्ट करता है। इसका सबसे बड़ा कारण है—अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध।

ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल निर्यात पर निर्भर रही है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने इसके व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया है। नतीजतन, विदेशी मुद्रा का आगमन कम हुआ और निवेशकों का भरोसा डगमगाया। साथ ही, देश में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और बैंकिंग व्यवस्था की कमजोर स्थिति ने रियाल को लगातार नीचे गिराया।
जनता और युवाओं की भूमिका
जहां इज़राइल के युवा देश में ही स्टार्टअप और तकनीकी प्रगति की दिशा में सक्रिय हैं, वहीं ईरान में हालात विपरीत हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं का बड़ा हिस्सा देश छोड़कर विदेशों में रोजगार तलाश रहा है। तानाशाही जैसी शासन व्यवस्था और उद्यमिता के अवसरों की कमी ने ईरान की आंतरिक विकास गति को भी प्रभावित किया है।
असली ताकत किसके पास है ?
करंसी की मजबूती सिर्फ उसके एक्सचेंज रेट से तय नहीं होती, बल्कि उसके पीछे छिपी आर्थिक, तकनीकी, और राजनीतिक स्थिरता की भूमिका अहम होती है। इस पैमाने पर इज़राइल की न्यू शेकेल ईरान की रियाल से कहीं अधिक मजबूत और भरोसेमंद करंसी मानी जाती है।
जहां इज़राइल अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा जीत रहा है, वहीं ईरान आंतरिक और बाह्य चुनौतियों से जूझ रहा है। युद्ध और राजनीतिक टकराव की परतों के पीछे असली जंग अब आर्थिक रणनीति और मुद्रा की मजबूती पर केंद्रित होती जा रही है।
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