सत्ता के आगे नतमस्तक पंचकूला प्रशासन? बाबा बागेश्वर कथा पर उठे सवाल चार दिन बाद भी अनुत्तरित
ना नगर निगम नही एचएसवीपी ने जानकारी सार्वजनिक की
पंचकूला
हाल ही में पंचकूला में आयोजित बाबा बागेश्वर धाम की पंचदिवसीय कथा (26 मई से 30 मई) को लेकर प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कथा के आयोजन स्थल, ग्राउंड की बुकिंग अवधि, और विज्ञापन शुल्क को लेकर पंचकूला विकास मंच ने कई बार प्रशासन से जवाब मांगा, पंचकूला विकास मंच के सदस्यों के अनुसार 3 जून सुबह 10 बजे तक प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
ऐसा क्या पूछा था पंचकूला विकास ने जिसको अधिकारी नहीं कर रहे सार्वजनिक ?
पंचकूला विकास मंच ने HSVP और नगर निगम को पत्र लिखकर माँग की थी कि जिस ग्राउंड में कथा का आयोजन हुआ, उसकी बुकिंग का रिकॉर्ड 15 मई से 10 जून तक सार्वजनिक किया जाए। मंच का आरोप है कि आयोजकों ने ग्राउंड को निर्धारित बुकिंग अवधि (26-30 मई) से अधिक दिनों तक कब्जे में रखा है। 3 जून तक भी आयोजन सामग्री ग्राउंड पर मौजूद देखी गई है।
इसके अतिरिक्त, मंच ने नगर निगम से यह भी जानना चाहा कि कथा के प्रचार हेतु लगाए गए विज्ञापन बोर्डों के लिए कितनी राशि जमा की गई है। मंच का आरोप है कि कथा एक सत्तारूढ़ दल से जुड़े राजनेता के संरक्षण में आयोजित हुई, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं विज्ञापन नीति में अनियमितता तो नहीं हुई।
पूर्व घटनाओं से तुलना में भेदभाव का आरोप
मंच ने इस बात की भी याद दिलाई कि कुछ माह पूर्व इसी ग्राउंड पर एक गायक के कार्यक्रम के बाद आयोजकों को तब तक अपना सामान नहीं हटाने दिया गया था, जब तक उन्होंने निर्धारित शुल्क जमा नहीं किया। इतना ही नहीं, नगर निगम ने उस आयोजन पर ₹1.5 करोड़ का नोटिस भी भेजा था। वहीं, वर्तमान कथा के संदर्भ में किसी भी प्रकार की सख्ती या जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।





प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
सवाल यह उठता है कि क्या पंचकूला प्रशासन सत्ताधारी पक्ष के दबाव में काम कर रहा है? न HSVP और न ही नगर निगम की ओर से अब तक कोई स्पष्ट सूचना सामने आई है। यदि ग्राउंड की बुकिंग बढ़ाई गई थी तो उसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? और यदि नहीं बढ़ाई गई, तो अब तक आयोजन सामग्री क्यों नहीं हटाई गई? या फिर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पिछली घटना की तरह अब तक ग्राउंड के चारों तरफ ताले क्यों नहीं लगाए गए ?
जनता जानना चाहती है जवाब
30 मई को कथा संपन्न हो चुकी है, पर 3 जून तक आयोजन स्थल पर टेंट व अन्य व्यवस्थाएं जस की तस मौजूद हैं। यदि बुकिंग केवल 26-30 मई तक की थी, तो 3 जून को वहां गतिविधियाँ क्यों जारी हैं?
पंचकूला विकास मंच और नागरिकों की ओर से उठाए गए यह सवाल प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन आगे आकर स्थिति स्पष्ट करेगा, या सत्ता के दबाव में चुप्पी साधे रहेगा।
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