कौन होगा मोदी की “गारंटी” का *बॉस”? सस्पेंस बरकरार !!!!!
हॉरर फिल्म का जमाना अब बीती बात हो चुकी है । एक जमाना था जब ऐसी फिल्में बनाई जाती थी कि उनमें अंत तक पता नहीं चलता था कि क्या होने वाला है । कुछ ऐसा ही हाल इस बार मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को लेकर चल रहा है । दिल्ली से लेकर जयपुर , भोपाल और रायपुर तक पूरी तरीके से सस्पेंस बरकरार है । मध्य प्रदेश से कभी शिवराज सिंह चौहान का नाम आगे चलता है तो कभी शैलेंद्र विजयवर्गीय का नाम सामने आता है तो कभी पता चलता है कि नरेंद्र सिंह तोमर ने इस्तीफा दे दिया है और अब वही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं , या फिर किसी चौथे व्यक्ति का नाम राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा जाता है । सबसे ज्यादा सस्पेंस तो इस बार राजस्थान को लेकर चल रहा है । बताया जाता है कि यहां पर इतनी ज्यादा नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर आ गए हैं कि इस बार खुद जय और वीरू की जोड़ी परेशान है कि किसको गारंटी का बॉस बना दिया जाए । शायद राजस्थान के इतिहास में यह पहली बार है कि चुनाव परिणाम आने के लगभग 96 घंटे के बाद भी सत्ता पाने वाला दल मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं कर पाया है । यहां पर स्थिति मध्य प्रदेश की तरह ही चल रही है । कभी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम आता है तो कभी योगी आदित्यनाथ के तरीके से बाबा बालक नाथ का , महिला आरक्षण बिल के बाद में राजनीतिक गलियारों में दिया के नाम की भी हलचल जोरों शोरों से है । मगर आएगा कौन ,नही पता । छत्तीसगढ़ में भी कमोबेश यही स्थिति नजर आ रही है , वहां पर रमन सिंह के नाम के साथ-साथ कई और नाम भी साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में दौड़ रहे हैं । मगर जय और वीरू की निगाह में अभी तक संभव होता है कोई नाम फिट नहीं बैठ पा रहा है । ऊपर से कांग्रेस ने और नाक में दम कर रखा है कांग्रेस प्रवक्ताओं का कहना है की चुनाव खत्म होने के 24 घंटे बाद में गोदी मीडिया के द्वारा हो हल्ला मचाया जा रहा था कि तेलंगाना में मुख्यमंत्री कब बनाया जा रहा है हमने तो अपना मुख्यमंत्री का नाम बता कर उनका शपथ ग्रहण भी करवा दिया अब बीजेपी वाले बताएं कि 96 घंटे बीतने के बाद भी तीन राज्यों के मतदाताओं को मुख्यमंत्री कब दे रहे हैं । क्यों नहीं गोदी मीडिया के पत्रकार इस बात पर सवाल उठाते हैं कि राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को मुख्यमंत्री कब मिलेगा ।
सूत्र बताते हैं कि इस बार भाजपा आल्हा कमान किसी पुराने चेहरे पर दांव खेलने के लिए तैयार नहीं है । और किसी नए चेहरे को ही तीनों राज्यों में जिम्मेदारी मिल सकती है । मगर असमंजस लोकसभा चुनाव को देखते हुए बना हुआ है क्योंकि लगभग डेढ़ सौ दिनों के बाद में ही लोकसभा चुनाव होने हैं । अगर कम अनुभवी व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया तो कहीं मोदी की सुनामी जिस तरह से मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चली है , कही वह रुक ना जाए । इन्हीं सब बातों को लेकर आल्हा कमान असमंजस में फंसा हुआ नजर आ रहा है । हालांकि आज शाम को लगभग 5:30 बजे के आसपास राजस्थान से नवनियुक्त विधायक बालक नाथ के जेपी नड्डा से मिलने की संभावना ने बालक नाथ के नाम पर कयास लगाए जाने लगे हैं कि राजस्थान में भी बाबा बुलडोजर पहुंचने वाले हैं । मगर अंतिम फैसला तो जय वीरू की जोड़ी ही करेगी । गारंटी तो वहीं से मिलेगी ।
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