जीरकपुर में बन रहा नोएडा के ट्विन टावर जैसा प्रोजेक्ट , जिस पर कभी भी चल सकता है बुलडोजर
कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से जनता की गाढ़ी कमाई लग गई दांव पर
500 से ज्यादा फ्लैट ग्रीन लोटस उत्सव में
1.5 करोड़ से ज्यादा की कीमत एक फ्लैट की
मोहाली/ज़ीरकपुर रीतेश माहेश्वरी
पंजाब के मोहाली जिले के ज़ीरकपुर में स्थित बहुचर्चित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट ‘ग्रीन लोटस उत्सव’ इस समय गंभीर कानूनी और वित्तीय विवादों में फंसा हुआ है। इस परियोजना पर व्यवसायी और समाजसेवी सुखदेव चौधरी ने सोशल मीडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें अवैध ज़मीन पर निर्माण, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना, निवेशकों को गुमराह करने और बिल्डर पर भारी कर्ज जैसे मुद्दे शामिल हैं।
चौधरी का आरोप: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ज़मीन का अवैध ट्रांसफर
सुखदेव चौधरी द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में दावा किया गया है कि यह प्रोजेक्ट एक ऐसी जमीन पर खड़ा किया गया है जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगी हुई थी। चौधरी के मुताबिक यह जमीन पर्ल ग्रुप से संबंधित है, जिसकी न तो बिक्री हो सकती थी और न ही किसी प्रकार का विभाजन — लेकिन संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से इसे एक्स पार्टी आदेश के तहत अवैध तरीके से ट्रांसफर कर दिया गया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में जस्टिस लोढ़ा कमेटी के आदेशों की अवहेलना की गई और इस ट्रांसफर की जानकारी न तो सार्वजनिक की गई, न ही कोर्ट के सामने पूरी सच्चाई रखी गई।
आरोप: करोड़ों का कर्ज, फ्लैट बेचकर विदेश भेजा गया पैसा
चौधरी का दावा है कि बिल्डर के ऊपर करोड़ों रुपये का बैंक कर्ज है और फ्लैट बेचकर जो रकम जमा हुई है, वह एस्क्रो अकाउंट की बजाय विदेश भेजी गई। उन्होंने आशंका जताई कि बिल्डर अमित मित्तल और उनके सहयोगी संजय कुमार कभी भी भारत छोड़कर फरार हो सकते हैं, इसलिए इन लोगों के पासपोर्ट जब्त किए जाने चाहिए।
प्रशासन पर भी गंभीर सवाल
सुखदेव चौधरी ने प्रशासन पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जिस जमीन पर सुप्रीम कोर्ट की स्टे लगी हुई है, उस पर बने प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट देने की तैयारी की जा रही है। चौधरी ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा हुआ, तो वे सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेंगे।
बिल्डर की प्रतिक्रिया नदारद
जब बिल्डर अमित मित्तल से अखबार के द्वारा 4 दिन पहले रविवार 20 जुलाई से संपर्क करने की लगातार कोशिश कॉल और व्हाट्सएप के माध्यम से की जा रही है परंतु बिल्डर की तरफ से ना तो किसी भी फोन कॉल और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है ।
वहीं, प्रोजेक्ट के जनरल मैनेजर संदीप प्रोथी का कहना है कि हमारे पास प्रोजेक्ट से संबंधित “सभी ज़रूरी दस्तावेज़ मौजूद हैं,” लेकिन जब उनसे इन्हें साझा करने को कहा गया, तो वे टालमटोल करते रहे।

प्रोजेक्ट बिल्डर अमित मित्तल के नंबर और व्हाट्सएप पर रविवार 20 जुलाई से किया जा रहा है संपर्क पर कोई जवाब नहीं।
वकील की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा नियुक्त एक वकील की लीगल ओपिनियन रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि जिस जमीन पर प्रोजेक्ट बनाया गया है, वह पहले से ही विवादित और प्रतिबंधित है। रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस लोढ़ा कमेटी की पूर्व अनुमति के बिना इस भूमि पर कोई ट्रांजेक्शन मान्य नहीं है।
आदेश भी आ चुके हैं, पर कार्रवाई शून्य
इस प्रोजेक्ट को लेकर 19 मार्च 2024 को एक आदेश भी पारित हुआ था, जिसमें सख्त टिप्पणी की गई थी। इसके बावजूद, न तो प्रशासन ने कार्रवाई की और न ही बिल्डर की ओर से कोई कानूनी सफाई दी गई। चौधरी का आरोप है कि विजिलेंस और सीबीआई तक शिकायत भेजी गई है, लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया।
आम जनता से अपील: सतर्क रहें, आंख मूंदकर पैसा न लगाएं
ख़बरी प्रशाद समाचार समूह आम जनता से अपील करता है कि ज़ीरकपुर और आसपास के बिल्डर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने से पहले पूरी कानूनी जांच-पड़ताल करें। कहीं ऐसा न हो कि आपकी मेहनत की कमाई नोएडा के ट्विन टावर की तरह जमींदोज़ हो जाए।
यदि मामला गंभीर है, तो सरकार और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। अन्यथा यह विवाद आने वाले दिनों में एक बड़ा रियल एस्टेट घोटाला बन सकता है।
निवेशकों के लिए : कैसे जांचे जिस प्रोजेक्ट में आप लग रहे हैं पैसा क्या वह सही है ?
प्रोजेक्ट की NOC, कंप्लीशन सर्टिफिकेट, टाइटल डीड की प्रतियां मांगें
वकील से कानूनी राय अवश्य लें
बैंक से लोन लेने से पहले वकील की रिपोर्ट पढ़ें
अगर जमीन पर कोई लीगल स्टे या केस है, तो उसमें निवेश न करें
नगर परिषद के अधिकारी भी प्रतिक्रिया देने से बच रहे
जीरकपुर नगर परिषद के अधिकारी भी ग्रीन लोटस उत्सव प्रोजेक्ट को लेकर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आ रहे हैं । पिछले कई दिनों से नगर परिषद के अधिकारी जगजीत सिंह से संपर्क करने की लगातार कोशिश फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से अखबार द्वारा की जा रही है पर ना तो वह फोन का जवाब दे रहे हैं ना ही व्हाट्सएप पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया उनकी तरफ से दी जा रही है । इससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं नगर परिषद के अधिकारी भी इस गड़बड़ झाले में इंवॉल्व हो सकते हैं । अन्यथा 2024 में कोर्ट के इस प्रोजेक्ट को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया सार्वजनिक है फिर भी नगर परिषद के अधिकारी इस प्रोजेक्ट की तरफ आंख उठा कर देखना भी नहीं चाहते । उसकी अनेकों वजह हो सकती हैं जनता भी इन सभी बातों को बखूबी समझती है कि आखिरकार अधिकारियों की क्या मजबूरी हो सकती है ।

जीरकपुर नगर परिषद के EO को अखबार द्वारा व्हाट्सएप और कॉल के माध्यम से किया जा रहा संपर्क पर कोई जवाब नहीं ।
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