क्या समय अनुसार जीरकपुर में लागू होगा पाएगा मास्टर प्लान ?
मास्टर प्लान के हिसाब से सड़कों की चौड़ाई से खत्म होगी शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या
जीरकपुर के विकास में सबसे बड़ी अड़चन यहां पर योजना विभाग का ना होना
संदीप सिंह बावा: जीरकपुर शहर की सड़कों पर अक्सर ही ट्रैफिक की समस्या देखी जा सकती है सभी अंदरूनी सड़कों से लेकर बड़ी सड़कों तक वहां दौड़ने की बजाय रेंगते हुए नजर आते हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण है शहर का योजनाबद्ध विकास का ना होना। जानकारी के अनुसार जीरकपुर में प्रतिमाह करीब हजार से लेकर 1200 तक परिवार बाहर से आकर बस रहे हैं। इतनी भारी संख्या में लोगों का शहर में आने से शहर में अवैध कब्जे तथा गैर योजनाबद्ध निर्माण होने से शहर के मास्टर प्लान का गणित ही बिगड़ गया है।
माहिरों के अनुसार जीरकपुर शहर की 40 के करीब सड़कें मास्टर प्लान के अधीन आती है अगर यह 40 सड़कें मास्टर प्लान के मुताबिक बन जाए तो शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या जड़ से खत्म हो सकती है। इन सभी सड़कों की चौड़ाई मास्टर प्लान के मुताबिक करने के लिए जमीन अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी जिसके लिए बहुत बड़े बजट की जरूर होगी। इतना बड़ा बजट नगर कौंसिल के पास होना संभव नहीं है। माहिरों के अनुसार अगर पंजाब सरकार चाहे तो ही यहां पर मास्टर प्लान लागू होना संभव हो सकता है। क्योंकि इन सड़कों पर जमीन अधिग्रहण करने का अधिकार सरकार के पास ही होता है और बजट भी राज्य सरकार ही प्रदान करती है। अगर इन सड़कों की बात करें तो यह सड़के कहीं से कम चौड़ी है और कहीं से उनकी चौड़ाई मास्टर प्लान के मुताबिक है। इसलिए इनको सीधी करने के लिए जमीन अधिग्रहण की जरूर पड़ेगी। माहिरों के अनुसार अगर सरकार एक साथ बड़ी रकम खर्च नहीं कर सकती तो इस कार्य के लिए 4 से लेकर 8 तक फेस बनाए जा सकते हैं। अगर फेस बनाकर काम शुरू किया जाए तो पहले फेस में ज्यादा जरूरी सड़कें और अगले फेस में उस काम जरूरी सड़कों पर जमीन अधिग्रहण करके इनका निर्माण किया जा सकता है।
मास्टर प्लान वाली सड़कों पर नहीं लगनी चाहिए इंटरलॉक टाइलस
अगर माहिरों की माने तो मास्टर प्लान वाली सड़कों पर इंटरलॉक टाइल्स नहीं लगनी चाहिए इसकी जगह पर तारकोल वाली सड़क ही बनाई जानी चाहिए क्योंकि इंटरलॉक टाइल्स वाली सड़क वहां की रफ्तार को प्रभावित करती है लेकिन तारकोल वाली सड़क पर वहां की सही रफ्तार बनी रहती है।
जीरकपुर के विकास में सबसे बड़ी अड़चन यहां पर योजना विभाग का ना होना
जीरकपुर का विकास सिर्फ नगर कौंसिल में पास होने वाले प्रस्तावों पर ही निर्भर है यह प्रस्ताव शहर के पार्षदों द्वारा ले जा रहे हैं जो के सिर्फ गलियों नालियों तथा स्ट्रीट लाइट पर ही सीमित है। शहर का योजनाबद्ध तरीके से विकास तभी हो सकता है अगर यहां पर एक योजना विभाग स्थापित हो और वह शहर के सभी पहलुओं को देखते हुए विकास की योजना बनाकर उच्चअधिकारियों को तथा सरकार को भेजें इसके बाद सरकार द्वारा उसी हिसाब से फंड मुहैया करवाए जाएं और शहर तरक्की कर सके।
मास्टर प्लान की सड़कों के लिए जमीन देने में ना तो किसी जमीन मालिक को नुकसान होता है और ना ही किसी बिल्डर को। उसे जमीन के पैसे ना तो नगर कौंसिल देती है और ना ही सरकार और ना ही बुद्ध देता है और यह जमीन का अधिग्रहण भी नहीं होता जितनी जमीन सड़क में आकर मालिक की जमीन कम हो जाती है उसकी नियमों के मुताबिक बिल्डर को एफ ए आर मिल जाती है। जमीन के साथ सड़क लगने के कारण जमीन मालिक की जमीन की कीमत बढ़ जाती है। समस्या तब होती है जब पीछे वाली जमीन बिक जाती है और उसमें सड़क छोड़ दी जाती है और आगे वाली जमीन में सड़क नहीं निकाली जाती। जीरकपुर नगर कौंसिल में गांव नाभा, सिंहपुर, पुड्डा, छत,दयालपुर जैसे कोई भी गांव नगर कौंसिल में जुड़ता है तो इन्होंने कोई पैसा नहीं देना होता उस मौके पर सभी गांव के लोगों को इकट्ठे करके एक प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए के आपकी जमीन नगर कौंसिल में तभी ली जाएगी अगर आप मास्टर प्लान के मुताबिक सड़के बनने दोगे। इन सड़कों का किसी को कोई नुकसान नहीं होता। मास्टर प्लान की सड़क बनने से सड़क चौड़ी हो जाती है और जाम की समस्या खत्म हो जाती है। हर 14 फुट चौड़े रास्ते को 45 फुट चौड़ा किया जाता है और दोनों तरफ से 15-15 फीट जमीन लेकर चौड़ी सड़क बनाई जाती है। लेकिन अफसर भ्रष्ट होने के कारण पुरानी तारीख में प्रोजेक्ट पास कर रहे हैं। नगर कौंसिल में सारा काम गलत चल रहा है। मास्टर प्लान को लागू करने के लिए पैसे की कोई जरूरत नहीं होती सिर्फ योजना होनी चाहिए। अधिकारी इसलिए योजना नहीं बनाते क्योंकि सारे अधिकारी भ्रष्ट है।लोग गामड़ा में लाखों रुपए देकर अपने प्रोजेक्ट में सड़क निकलवा लेते हैं। अगर अधिकारी ईमानदारी से काम करें तो हर चीज संभव हो सकती है। – संजीव खन्ना हल्का प्रभारी भारतीय जनता पार्टी जीरकपुर।
शहर में पहले जितनी भी सड़के चौड़ी की गई थी वह सब मेरे द्वारा ही करवाई गई थी।शहर की आबादी 2017 में ढाई लाख थी जो अब बढ़कर 6:30 लाख हो गई। अब ना तो कोई सड़क बनी है ना ही कोई पुरानी सड़क को चौड़ा किया गया है और ना ही कोई योजना बनी है। रिंग रोड अब तक 7 सालों में बीच में ही लटकी हुई है। नगर कौंसिल के पास फंड आ रहा है और अधिकारी खा रहे हैं कोई पूछने वाला नहीं है।सरकार को पता ही नहीं के काम भी करना होता है ।पंजाब की सरकार गूंगी बहरी सरकार है। इसे पूछने वाला कोई नहीं है ।अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है। लोगों का टैक्स का पैसा आ रहा है और अधिकारी खा रहे हैं अब जीरकपुर का बेड़ा गर्क हो चुका है। – एनके शर्मा, पूर्व विधायक, हल्का डेरा बस्सी।
मास्टर प्लान में जगह छोड़ी जाती है इसमें जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाता जो जीरकपुर का मास्टर प्लान बना हुआ है उसे लागू करना चाहिए तभी ही शहर का योजनाबद्ध विकास हो सकता है, वरना शहर में अवैध निर्माण तथा अवैध कब्जे धड़ल्ले से हो रहे हैं और शहर में ट्रैफिक समस्या बढ़ती जा रही है। सरकार को जीरकपुर का मास्टर प्लान लागू करने का प्रयास जरूर करना चाहिए।अगर मास्टर प्लान लागू ही नहीं करना तो उसे मास्टर प्लान का बनाने का कोई फायदा नहीं। – दीपेंद्र सिंह ढिल्लों, हल्का प्रभारी पंजाब कांग्रेस, डेराबस्सी।
जीरकपुर के मास्टर प्लान को लागू करवाने के लिए यह मुद्दा अगले विधानसभा सेशन में उठाया जाएगा। इस मामले संबंधी संबंधित मंत्री को भी अवगत करवाया जाएगा तथा मुख्यमंत्री से भी जीरकपुर का मास्टर प्लान लागू करवाने संबंधी कहा जाएगा। – कुलजीत सिंह रंधावा विधायक हल्का डेरा बस्सी।
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