क्या काले कपड़ों से CM साहब को लगता है डर ! जो अधिकारी कर देते हैं आदेश जारी !
काले कपड़े पहनकर कार्यक्रम में मत आना : अग्रवाल समाज
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है कोई भी कर्मचारी काले कपड़े पहन कर नहीं जाएगा : स्वास्थ्य विभाग का आदेश
राजनेताओं को क्यों लगता है काले रंग से डर !
पंचकूला
पंचकूला में शनिवार को सीएम नायब सिंह सैनी के कई कार्यक्रम रहे । जिसकी वजह से पंचकूला हाई सिक्योरिटी पर रहा । सीएम नायब सिंह सैनी ने सबसे पहले सेक्टर पांच में यवनिका गार्डन में बसंत उत्सव का उद्घाटन किया उसके बाद अग्रवाल समाज द्वारा महिला दिवस पर आयोजित महिलाओं के रक्तदान शिविर में शिरकत की । इसके अलावा भी सीएम साहब ने कई कार्यक्रम में शनिवार को पंचकूला में शिरकत की । सवाल इस बात का नहीं है कि मुख्यमंत्री साहब ने कितने कार्यक्रम में शिरकत की , सवाल इस बात का है कि क्या मुख्यमंत्री साहब को काले कपड़ों से डर लगता है । क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कर्मचारियों के लिए एक आदेश जारी किया गया , कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में कोई भी कर्मचारी काले कपड़े पहनकर नहीं आएगा और तो और अग्रवाल समाज की तरफ से भी अग्रवाल समाज के ग्रुप में एक मैसेज एक दिन पहले ही डाल दिया गया था कि रक्तदान करने वाले लोग या उनके साथी काले कपड़े पहनकर बिल्कुल भी ना आए । मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति काले शर्ट पहन कर या कोई महिला काला सूट पहनकर आ जाएगी तो क्या उसे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जाने नहीं दिया जाएगा । या फिर अधिकारियों ने अपने मन से ही यह आदेश जारी कर दिया है कि काले कपड़े पहनकर नहीं आना है ।


काले रंग का इतिहास
एलेन कॉनरॉय मैककैफरी लिखते हैं कि रात हो, गहराई हो या अंधेरा, सब को दर्शाने के लिए काले रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है, इसीलिए ये नकारात्मकता का पर्याय बन गया. धीरे-धीरे ये आम जिंदगी का हिस्सा बन गया और ब्लैक लिस्ट, काला दिवस, काला धन जैसे शब्दों से नकारात्मकता प्रदर्शित की जाने लगी. अपनी नकारात्मकता की वजह से ही काले रंग में विरोध दर्शाने और हस्तक्षेप करने की अद्भुत क्षमता है. इसीलिए ये मनोवैज्ञानिक तौर पर इतना प्रभाव डालता है कि यदि कोई बांह पर काली पट्टी भी बांध ले तो उसे विरोध का प्रतीक माना जाता है.
शनिवार को कई लोग काले कपड़े ही पहनना पसंद करते हैं
पंडित नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि शनिवार को प्रायः शनि पूजा करते समय लोग काले कपड़े पहनते हैं। इसलिए शनिवार को काला कपड़ा पहनने में कोई दिक्कत नहीं है।यदि कुंडली में शनि कमजोर है तो शनिवार को शनिदेव के प्रिय रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इससे कुंडली से शनि का दुष्प्रभाव कम होता है। इसके कारण यदि रिश्ते खराब हैं तो वो भी ठीक होते हैं। साथ ही शनि की साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है। शनि का संबंध सेहत से भी होता है। इसलिए जो लोग शनिवार के दिन काले कपड़े पहनते हैं उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। शिक्षा क्षेत्र में भी ये लोग अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस दिन काला कपड़ा पहनने से अपार धन-संपदा भी मिलती है, भाग्य साथ देता है। व्यक्ति हर चुनौती से निपटने में सफल बनता है।
ऐसा क्यों माना जाता है कि काला रंग है विरोध करने का तरीका
कृष्ण और काली माँ के उल्लेख से स्पष्ट होता है कि काला रंग प्राचीन समय से ही दिव्यता और अनंतता का प्रतीक रहा है। उनकी कथाओं और धारणाओं में, यह रंग शक्ति और प्राकृतिक सामर्थ्य का प्रतीक है। इसलिए, काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक मानना गलत है। यह रंग उत्तमता, शक्ति और साहस का प्रतीक हो सकता है।
फिर आखिर राजनेताओं को क्यों नहीं अच्छा लगता काला रंग ?
सत्ताधारी दल हमेशा से काले रंग से डरते हैं । सत्ता चाहे किसी भी पार्टी की रही हो । तो इसकी वजह क्या है कि इनको काले रंग से डर लगता है । दरअसल सत्ता में बैठे लोग और सत्ता में से दूर रहने वाले लोगों के बीच में काला रंग एक पूल का काम करता है । सत्ता के बाहर बैठे लोग अपनी किसी समस्या को बताने के लिए जिसकी सुनवाई नहीं हो रही काले रंग का इस्तेमाल करते हैं और इसी को सत्ता का विरोध स्वरूप माना जाता है इसीलिए राजनेता काले रंग या काले कपड़े से डरते हैं ।
धार्मिक तौर पर भी काला रंग वर्जित
यदि भारतीय हिंदू परंपराओं के हिसाब से देखा जाए तो काला रंग वर्जित माना जाता है । चाहे पूजा पाठ हो या शादी ब्याह काले रंग के कपड़ों को हमेशा वर्जित माना गया है । हालांकि ऐसा नहीं है कि काले रंग का सिर्फ नकारात्मकता के लिए ही इस्तेमाल हुआ है. प्राचीन मिस्र में काले रंग को अच्छी फसल का प्रतीक माना जाता था, क्योंकि नील नदी की काली मिट्टी की वजह से फसल अच्छी होती थी.
काला रंग या काला कपड़ा को देखने के नजरिया अपनी-अपने तरीके से हैं किसी को इसमें फायदा नजर आता है तो किसी को नुकसान । पर यह सर्वविदित है कि राजनेताओं को काले रंग या काले कपड़े से हमेशा से डर लगता रहा है ।
पर मुख्यमंत्री कार्यालय को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वाकई उनकी तरफ से ऐसी कोई आदेश जारी किए गया हैं कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में कोई भी व्यक्ति काले कपड़े पहनकर नहीं आएगा । अगर ऐसे आदेश जारी नहीं किए गए हैं तो आखिरकार अधिकारी किसके आदेश पर ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर देते हैं ।
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