ये लिव इन, लिव इन क्या है – कमलेश भारतीय
ये नयी सामाजिक बुराई के रूप में सामने आ रही लिव इन, लिव इन क्या है? पहले आई लव यू और अंत में आई किल यू? अभी तक जो मामले सामने आ रहे हैं, उनसे तो यही लगता है कि लिव इन में जाने पर प्यार घटता जाता है और मौत निकट आती जाती है! वैसे तो लिव इन का जन्म मुम्बई में फिल्मी कलाकारों के बीच हुआ लेकिन अब यह मुम्बई से चलकर छोटे बड़े कस्बों में भी अपनी दस्तक देने लगी है। सबसे ताज़ा उदाहरण हरियाणा के जिला जींद के गांव बिशनपुरा का है, जहां लिव इन के पार्टनर ने अपनी महिला पार्टनर के मां बाप को चाकुओं से गोदकर इसलिए मार डाला क्योंकि वे उसे अपनी बेटी को ले जाने नहीं दे रहे थे । यही नहीं, जिसे ले जाने आया था, उसे भी चाकू घोंप दिये और वह रोहतक पीजीआई में दाखिल है ! यह है लिव इन का घिनौना चेहरा ! इससे पहले भी हरियाणा का एक मामला उजागर हुआ था, जब लिव इन पार्टनर ने शादी के लिए ज़ोर डालना शुरू किया था और पुरुष पार्टनर ने न केवल उसे मार दिया बल्कि टुकड़े टुकड़े कर अपने होटल के फ्रिज में छिपाने की कोशिश की । ऐसे लिव इन में और भी कुछ युवतियों का यही हश्र शादी के लिए ज़ोर देने पर सामने आया! उफ्! क्या लिव इन यही है? क्या इसे ही लिव इन कहते हैं?
सबसे ज्यादा लिव इन यदि कोई चर्चित है या सबको बहुत प्यारा लगता है तो वह है प्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम और इनके पार्टनर इमरोज़ का ! इमरोज़ चित्रकार थे और अमृता प्रीतम की पत्रिका ‘नागमणि’ में कला पक्ष में सहयोग करते थे। धीरे धीरे अमृता और इमरोज़ इतने करीब आ गये कि एकसाथ बिना शादी करवाये लिव इन में रहने लगे और अंत समय तक साथ निभाया ! लेखक समाज ने इसे स्वीकार किया! इससे पहले सब जानते हैं कि अमृता प्रीतम और प्रसिद्ध शायर साहिर लुध्यानवी भी एक दूसरे के प्यार में थे, जहां तक कि अमृता साहिर द्वारा पिये गये सिगरेटों के बचे टोटे पी जाती थी ! ये इश्क की, प्यार की इंतहा थी! बेइंतहा प्यार! रूहानी प्यार! क्या ऐसा लिव इन का रूप फिल्मी दुनिया दे सकती है? फिल्मी दुनिया में तो लिव इन और लिव इन का पार्टनर बदलना ऐसे ही है जैसे कपड़े बदलना! कपड़े बदलने जैसे नये नये डिजाइन के लिव इन पार्टनर आते रहते हैं और कुछ समय बाद ब्रेक अप और फिर नयी लिव इन की स्टोरी! अब यह लिव इन छोटे शहरों व कस्बों में भी पैर पसार चुका है और विवाह व्यवस्था को, परंपरा को नेस्तनाबूत कर रहा है। घिनौनी से घिनौनी बारदातें सामने आ रही है! इससे निकलने और बचने का कोई रास्ता है क्या!
बचा लो, बचा लो, यह दुनिया
यह लिवइन मिल भी जाये तो क्या है!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी
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