गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी और वो गुमनाम खत का काला चिट्ठा ,
बीते दिनों हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को दर के पूर्व कर्मचारी रणजीत सिंह की हत्या मामले में बरी कर दिया गया है । इसके बाद से एक बार फिर बाबा राम रहीम की चर्चा जोरों शोरों पर शुरू हो चुकी है कि आखिरकार एक आम इंसान कैसे बाबा बन और उसके बाद में किस तरीके से उसने अपने आश्रम को यौन शोषण का अड्डा बनाया और बाद में अपने आप को अच्छा साबित करने के लिए वह फिल्म स्टार भी बन गया । आज इस आर्टिकल में एक आम इंसान गुरमीत के बाबा राम रहीम बनने की पूरी कहानी और वह गुमनाम पत्र भी जिसके आधार पर कई लोगों का हुआ था मर्डर ।
आम व्यक्ति से बने संत, बाबा राम रहीम की कहानी
रंजीत सिंह मर्डर केस में दोषी पाए गए गुरमीत राम रहीम को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना रखी है। गुरमीत राम रहीम हमेशा से ही चर्चे में रहे हैं। राम रहीम के ऊपर बलात्कार और हत्या का आरोप है। आज हम उसी संत के बारे में बात करेंगे, जिसे बाद में जाकर शैतान माना गया। राम रहीम को 23 वर्ष में ही डेरा सच्चा सौदा की गद्दी मिल गई थी।
संत बनने से पहले बाबा राम रहीम का भी एक परिवार हुआ करता था। वैसे तो वह खुद को अविवाहित बताते हैं, पर हकीकत में राम रहीम के तीन बच्चे हैं। गुरमीत का परिवार शुरू से ही संपूर्ण था, किसी भी तरीके की कोई दिक्कत नहीं थी। फिर क्यों एक सामान्य व्यक्ति से ताकतवर बाबा राम रहीम बना?
गुरमीत कौन था?
उसके पिता मगहर सिंह राजस्थान के श्रीगंगानगर के जमींदार थे और मां नसीब कौर पूजा-पाठ करने वाली यानि भगवान से डरने वाली हाउसवाइफ थीं। गुरमीत के पिता अपने शुरुआती दिनों में ही डेरा सच्चा सौदा के संपर्क में आ गए थे, जिसकी स्थापना बाबा बलूचिस्तानी बेपरवाह मस्ताना ने की थी। इस डेरे का काम दलित और गरीब परिवार के लोगों का आकर्षित करना था, जिन्हें सिख धर्म में सामान्य नहीं मिली। एक समय था जब इन लोगों को जाट और खत्री समाज कैसे लोगों ने कभी अपने साथ बराबरी में नहीं बिठाया। मगर सिंह की बात कर तो वह जाट सिख थे, जिन्होंने हमेशा से धार्मिक विचारों को फैलाने की कोशिश की थी। मगर उनका बेटा यानी गुरमीत धार्मिक चीजों में ज्यादा विश्वास नहीं रखता था, लेकिन अपने पिता के साथ वह भी डेरे के संपर्क में आ गया।
गुरमीत कैसे बना बाबा राम रहीम?
गुरमीत का एक दोस्त भी था, जिसका नाम गुरजंत सिंह था। अपने चाचा की हत्या का बदला लेने के बाद गुरजीत सिंह को जेल भेज दिया गया। जेल में अपने दिन काटते वक्त गुरजंत को खालिस्तानी उग्रवादी मिले, जिन्होंने उसे पूरी तरह से कट्टर अलगाववादी बनाया। जेल से बाहर आने के बाद गुरजंत खालिस्तानी आतंकवादी बन गया। इस समय गुरमीत पूरे दिन डेरे के काम करता रहता था। उसे जो भी बताया जाता, वह वो काम करता। ट्रैक्टर वगैरह चलाने में भी गुरमीत अपने पिता की मदद किया करता था। इन्हीं दिनों की बात है जब डेरा प्रमुख शाह सतनाम ने संन्यास लेने का फैसला कर लिया था। उनका कहना था कि वह अपने उत्तराधिकारी को सब सौंप कर सन्यास ले लेंगे। शाह सतनाम ने गुरमीत को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उसको नाम दे दिया “हजूर महाराज गुरमीत राम रहीम।” वैसे तो इस बात का कोई सबूत नहीं है कि गुरचंत का इन सब चीजों में कोई हाथ है, लेकिन लोगों का मानना है की शाह सतनाम के इस फैसले के पीछे गुरचंत भी था।
गुरमीत के ऊपर क्या आरोप है?
बाबा राम रहीम ने लड़कियों का यौन शोषण करने के लिए डेरे के अंदर ही गुफाएं बना रखी थी। अपनी शिष्याओं में से बाबा राम रहीम एक लड़की को चिंता और फिर उसके साथ बलात्कार करता। वैसे तो इन लड़कियों को डेरे के अंदर ही रखा जाता था और वह डेरे के अंदर बैठे-बैठे इंतजार करती रहती थी की कब उनकी शादी डेरे के अंदर रहने वाले पुरुषों से हो। जब सच्चाई का पता चला तब ऐसा भी सुनने में आया कि अगर कोई महिला डेरे के अंदर गलती करती थी, तब राम रहीम उसका बलात्कार किया करता था। यह एक तरीके की सजा होती थी। साध्वी से रेप का मामला 2002 में खत के जरिए सामने आया था। इसके बाद सीबीआई को कार्रवाई पर लगाया गया और सीबीआई ने इस आरोप को सही करार किया। एक पत्रकार की हत्या का भी केस उन पर लगा हुआ है। वह इस मामले में भी जेल के अंदर सजा काट रहे हैं।
दरअसल, एक पत्रकार ने साध्वी रेप के मामले को अपने अखबार में छपा था। जिसके बाद उस पत्रकार की 2002 मैं नवंबर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई। ऐसी खबर सामने आई थी कि गुमनाम चिट्ठी के पीछे रंजीत सिंह नाम के एक व्यक्ति का हाथ था, जिसकी भी गोली लगने की वजह से हत्या हो गई। बाबा राम रहीम पर सिख समुदायों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी आरोप है। एक समारोह में बाबा राम रहीम ने गुरु गोविंद सिंह की नकल की थी। 20 मई 2007 मैं शिकायत मिलने के बाद मामला दर्ज करवाया गया।
क्या लिखा गया था इस खत में नीचे पढ़िए
सेवा में, माननीय प्रधानमंत्री जी श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत सरकार विषय : डेरे के महाराज द्वारा सैकड़ों लड़कियों से बलात्कार की जांच करें
श्रीमान जी, निवेदन यह है कि मैं पंजाब की रहने वाली हूं और 5 साल से डेरा सच्चा सौदा सिरसा, हरियाणा (धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा) में साधु लड़की के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरे साथ यहां सैकड़ों लड़कियां भी डेरे में 16 से 18 घंटे सेवा करती हैं। हमारा यहां शारीरिक शोषण किया जा रहा है। साथ में डेरे के महाराज गुरमीत सिंह द्वारा यौन शोषण (रेप) किया जा रहा है।
मैं बीए पास लड़की हूं। मेरे परिवार के सदस्य महाराज के अंध श्रद्धालु हैं, उनकी प्रेरणा से मैं डेरे में साधु बनी थी। साधु बनने के 2 साल बाद एक दिन महाराज गुरमीत की परम शिष्या साधु गुरुजोत ने रात के 10 बजे मुझे बताया कि आपको पिताजी ने गुफा (महाराज के रहने का स्थान) में बुलाया है।
मैं क्योंकि पहली बार वहां जा रही थी, मैं बहुत खुश थी। यह जानकर कि आज खुद परमात्मा ने मुझे बुलाया है। गुफा में ऊपर जाकर जब मैंने देखा महाराज बेड पर बैठे हैं। हाथ में रिमोट है, सामने टीवी पर ब्लू फिल्म चल रही है। बेड पर सिराहने की ओर रिवॉल्वर रखा हुआ है।
मैं यह सब देखकर हैरान रह गई। मुझे चक्कर आने लगे। मेरे पांव के नीचे की जमीन खिसक गई। यह क्या हो रहा है। महाराज ऐसे होंगे? ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। महाराज ने टीवी बंद किया व मुझे साथ बैठाकर पानी पिलाया और कहा कि मैंने तुम्हें अपनी खास प्यारी समझकर बुलाया है।
मेरा यह पहला दिन था। महाराज ने मेरे को बांहों में लेते हुए कहा कि हम तुझे दिल से चाहते हैं। तुम्हारे साथ प्यार करना चाहते हैं, क्योंकि तुमने हमारे साथ साधु बनते वक्त तन-मन-धन सब सतगुरु के अर्पण करने को कहा था। तो अब ये तन-मन हमारा है। मेरे विरोध करने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं हम ही खुदा हैं। जब मैंने पूछा कि क्या यह खुदा का काम है तो उन्होंने कहा-
श्रीकृष्ण भगवान थे, उनके यहां 360 गोपियां थीं जिनसे वह हर रोज प्रेम लीला करते थे, फिर भी लोग उन्हें परमात्मा मानते हैं, यह कोई नई बात नहीं है।
हम चाहें तो इस रिवॉल्वर से तुम्हारे प्राणपखेरू उड़ाकर दाह संस्कार कर सकते हैं। तुम्हारे घरवाले इस प्रकार से हमारे ऊपर विश्वास करते हैं व हमारे गुलाम हैं। वह हमारे से बाहर जा नहीं सकते। यह तुमको अच्छे से पता है।
हमारी सरकार में बहुत चलती है। हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब के केंद्रीय मंत्री हमारे चरण छूते हैं। राजनीतिज्ञ हमसे समर्थन लेते हैं, पैसा लेते हैं और हमारे खिलाफ कभी नहीं जाएंगे। हम तुम्हारे परिवार के नौकरी लगे सदस्यों को बर्खास्त करवा देंगे। सभी सदस्यों को अपने सेवादारों (गुंडों) से मरवा देंगे। सबूत भी नहीं छोड़ेंगे। यह तुम्हें अच्छी तरह पता है कि हमने गुंडों से पहले भी डेरे के प्रबंधक फकीर चंद को खत्म करवा दिया था जिनका अता-पता तक नहीं है। न ही कोई सबूत बकाया है, जो कि पैसे के बल पर हम राजनीतिक व पुलिस और न्याय को खरीद लेंगे।
इस तरह मेरे साथ मुंह काला किया और पिछले तीन महीने में 20-30 दिन बाद किया जा रहा है। आज मुझको पता चला कि मेरे से पहले जो लड़कियां रहती थीं, उन सबके साथ मुंह काला किया गया है। डेरे में मौजूद 35-40 साधु लड़की 35-40 वर्ष की उम्र से अधिक हैं जो शादी की उम्र से निकल चुकी हैं।
जिन्होंने परिस्थितियों से समझौता कर लिया है, इनमें ज़्यादातर लड़कियां बीए, एमए, बीएड, एमफिल पास हैं मगर घरवालों के अंधविश्वासी होने के कारण नरक का जीवन जी रही हैं। हमें सफेद कपड़े पहनना, सिर पर चुन्नी रखना, किसी आदमी की तरफ आंख न उठाकर देखना, आदमी से 5-10 फुट की दूरी पर रहना महाराज का आदेश है। दिखने में देवी हैं, मगर हमारी हालत वेश्याओं जैसी है।
मैंने एक बार अपने परिवार वालों को बताया कि डेरे में सब कुछ ठीक नहीं है तो मेरे घर वाले गुस्से में होते हुए कहने लगे कि अगर भगवान के पास रहते हुए ठीक नहीं है तो ठीक कहां है। तेरे मन में बुरे विचार आने लग गए हैं। सतगुरु का सिमरन किया कर।
मैं मजबूर हूं। यहां सतगुरु का आदेश मानना पड़ता है। यहां कोई भी दो लड़कियां आपस में बात नहीं कर सकतीं। घरवालों को टेलीफोन मिलाकर बात नहीं कर सकतीं। घरवालों का हमारे नाम फोन आए तो हमें बात करने का महाराज के आदेशानुसार हुक्म नहीं है। यदि कोई लड़की डेरे की इस सच्चाई के बारे में बात करती है तो महाराज का हुक्म है कि उसका मुंह बंद कर दो।
पिछले दिनों बठिंडा की लड़की साधु ने जब महाराज की काली करतूतों का सभी लड़कियों के सामने पर्दाफाश किया तो कई साधु लड़कियों ने मिलकर उसे पीटा। जो आज भी घर पर इस मार के कारण बिस्तर पर पड़ी है।
जिसका पिता ने सेवादारों से नाम कटवाकर चुपचाप घर बैठा दिया है। जो चाहते हुए भी बदनामी और महाराज के डर से किसी को कुछ नहीं बता रही। कुरुक्षेत्र जिले की एक साधु लड़की जो घर आ गई है, उसने अपने घर वालों को सब कुछ सच बता दिया है। उसका भाई बड़ा सेवादार था, जो कि सेवा छोड़कर डेरे से नाता तोड़ चुका है।
संगरूर जिले की एक लड़की जिसने घर आकर पड़ोसियों को डेरे की काली करतूतों के बारे में बताया तो डेरे के सेवादार/गुंडे बंदूकों से लैस लड़की के घर आ गए। घर के अंदर से कुंडी लगाकर जान से मारने की धमकी दी व भविष्य में किसी से कुछ भी नहीं बताने को कहा।
इसी प्रकार कई लड़कियां, जैसे कि जिला मानसा (पंजाब), फिरोजपुर, पटियाला, लुधियाना की हैं, जो घर जाकर भी चुप हैं क्योंकि उन्हें जान का खतरा है। इसी प्रकार जिला सिरसा, हिसार, फतेहबाद, हनुमानगढ़, मेरठ की कई लड़कियां जो कि डेरे की गुंडागर्दी के आगे कुछ नहीं बोल रहीं। इन सब लड़कियों के साथ-साथ मुझे भी मेरे परिवार के साथ जान से मार दिया जाएगा अगर मैं इसमें अपना नाम-पता लिखूंगी, क्योंकि मैं चुप नहीं रह सकती और न ही मरना चाहती हूं।
जनता के सामने सच्चाई लाना चाहती हूं। अगर आप प्रेस के माध्यम से किसी भी एजेंसी से जांच करवाएं तो डेरे में मौजूद 40-45 लड़कियां, जो कि भय और डर में हैं, पूरा विश्वास दिलाने के बाद सच्चाई बताने को तैयार हैं। हमारा डॉक्टरी मुआयना किया जाए ताकि हमारे अभिभावकों व आपको पता चल जाएगा कि हम कुंवारी देवी साधु हैं या नहीं। हमारी मेडिकल रिपोर्ट ये साफ बता देगी कि हमारी ज़िंदगी डेरा सच्चा सौदा के महाराज गुरमीत राम रहीम सिंह जी संत के द्वारा तबाह की गई है। प्रार्थी एक निर्दोष जलालत का जीवन जीने को मजबूर ।।
यह पत्र 2002 में राजेश सिंह राठौर ने अपने अखबार में छापा था।
क्यों जाते हैं नेता भी डेरा सच्चा सौदा
कई नेता बाबा राम रहीम की सच्चाई सामने आने के बावजूद भी डेरा सच्चा सौदा जाया करते हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि पंजाब और हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा के समर्थक लोग बहुत है। इसी वजह से पंजाब और हरियाणा की सरकार डेरा सच्चा सौदा से रिश्ता बनकर चलती है। डेरा सच्चा सौदा की लोकप्रियता सिर्फ पंजाब और हरियाणा तक नहीं बल्कि हिमाचल, राजस्थान, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी फैली हुई है।
बाबा राम रहीम ने कितनी फिल्में बनाई?
गुरमीत ने अपने जीवन पर कई फिल्में बना रखी है। बाबा राम रहीम की हर एक फिल्म में उसे मैसेंजर ऑफ़ गॉड तौर पर दिखाया जाता है। पहली फिल्म के बाद राम रहीम ने डेरा में भी एक स्टूडियो बना लिया। जहां वे आगे की शूटिंग किया करता था। गुरमीत ने कुल पांच फिल्में बना रखी है। ऐसा भी कहा जाता है कि बाबा फिल्मों के रास्ते ब्लैक मनी को व्हाइट कर लिया करते थे। बाबा राम रहीम अपनी फिल्मों से भक्तों को बताना चाहता था कि वह भगवान से कम नहीं है। फिल्मों की दुनिया में बाबा राम रहीम ने हनीप्रीत के साथ कदम रखा। हनीप्रीत ही बाबा राम रहीम को फिल्मों में लेकर आई। इस दौरान बाबा राम रहीम के स्टाइल और मेकअप का खास ध्यान रखा जाता था। पहली फिल्म के सात महीने बाद राम रहीम ने दूसरी फिल्म ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’ रिलीज की गई। सारी फिल्मों को गौर से देखा जाए तो बाबा राम रहीम को रॉकस्टार के तौर पर दिखाया जाता था, जिससे वह युवाओं से भी जुड़ सके।
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