खरी-अखरी: ट्रम्प तौल रहे एक तराजू – सोना-आलू
जो मैं ऐसा जानता प्रेम किये दु:ख होय
नगर ढ़िढ़ोरा पीटता प्रेम न करियो कोय
I am very proud of the strong and unwaveringly powerful leadership of India and Pakistan for having the strength, wisdom and fortituded to fully know and understand that it was time to stop the current aggression that could have lead to tothe death and destruction of so many and so much. Millions of good and innocent people could have died! Your legacy is greatly enhanced by your brave action. I am proud that the USA was able to help you arrive at this historic and heroic decision. While not even discussed, I am going to increase trade. Substantially with both of these great Nations. Additionally, I will work with you both to see if, after a “thousand years” a solution can be arrived at concerning Kashmir. GOD Bless the leadership of India and Pakistan on a job well done.!!! ये अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का वह बयान है जिसमें भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का जिक्र एक साथ करते हुए दोनों को महान, शानदार बता रहे हैं। उन्होंने एकबार भी पाकिस्तान के साथ आतंकवाद को नहीं जोड़ा है। जबकि भारत ने पाकिस्तान से इतर अपनी मोटी लकीर को खींचने के लिए दुनिया भर में कूटनीतिक स्तर पर बहुत काम किया है, लेकिन लगता है कि पूर्वजों का किया धरा मटियामेट हो गया है। क्या इसे ही भारत की कामयाबी कहा जायेगा ?राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान को बराबर से एक तराजू में तौल रहे हैं। मतलब भारत और पाकिस्तान को आपस में एक सरीखा (हायफन) बताया जा रहा है। टाइम्स आफ इंडिया की सम्पादकीय कहती है कि ट्रम्प को किसी भी हालत में भारत और पाकिस्तान का नाम एक साथ नहीं लेना चाहिए। अखबार आगे लिखता है कि इसी पाकिस्तान में ओबाम बिन लादेन को शरण मिली थी। 26/11 के हमले में 6 अमेरिकी मारे गए थे। पाकिस्तानी हक्कानी नेटवर्क के कारण कितने अमेरिकी सिपाही मारे गए। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को अपने लिए भी एक सीमा निर्धारित करनी चाहिए। उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच का फर्क नजर आना चाहिए। He will deal with anyone, even Houth’s and Hamas. But even he shouldn’t equate India and Pakistan. Osama Bin Laden was sheltering in Pakistan. Pak-based Haqqani Network has killed Six Americans.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान को बराबर से एक तराजू में तौल रहे हैं। मतलब भारत और पाकिस्तान को आपस में एक सरीखा (हायफन) बताया जा रहा है। टाइम्स आफ इंडिया की सम्पादकीय कहती है कि ट्रम्प को किसी भी हालत में भारत और पाकिस्तान का नाम एक साथ नहीं लेना चाहिए। अखबार आगे लिखता है कि इसी पाकिस्तान में ओबाम बिन लादेन को शरण मिली थी। 26/11 के हमले में 6 अमेरिकी मारे गए थे। पाकिस्तानी हक्कानी नेटवर्क के कारण कितने अमेरिकी सिपाही मारे गए। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को अपने लिए भी एक सीमा निर्धारित करनी चाहिए। उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच का फर्क नजर आना चाहिए। He will deal with anyone, even Houth’s and Hamas. But even he shouldn’t equate India and Pakistan. Osama Bin Laden was sheltering in Pakistan. Pak-based Haqqani Network has killed Six Americans.
पाकिस्तान की जमीं पर पल रहे आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में किए गए नरसंहार के बाद देशभर से पड़ रहे दबाव से मजबूर होकर नरेन्द्र मोदी की अगुआई में चल रही एनडीए की सरकार ने 15 दिन बाद पाकिस्तान में स्थापित आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के लिए हवाई कार्रवाई की। जिससे दोनों देशों के बीच झड़पों का दौर शुरू हुआ, जिसे युद्ध का नाम दिया गया। चार दिन की झड़प के बाद जब बाजी भारत जीतने ही जा रहा था कि अचानक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से ही दोनों देशों के बीच सीज फायर यानी युद्ध विराम की घोषणा कर दी ठीक उसी तरह जैसे दो बिल्लियों की लड़ाई का फैसला बंदर ने कर दिया था। इस परिदृश्य में भारतीय आवाम दो सवालों का जबाब चाहती है पहला – सीज फायर का क्रेडिट किसे दिया जाए ? दूसरा – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच क्या कुछ चल रहा है ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले 10 मई को ट्यूट करके सीज फायर का क्रेडिट लिया। इसके बाद 12 मई को व्हाइट हाउस में बयान देते हुए कहा कि उन्होंने ही डील कराई। 13 मई को सउदी अरब में कहा कि उन्होंने ही दोनों देशों के बीच डील कराई। ट्रम्प के इन बयानों की स्याही सूखी भी नहीं थी कि 14 मई को एयरपोर्ट वन में फाक्स न्यूज को इंटरव्यू देते हुए ट्रम्प का एकबार फिर बयान आ गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रुकवाने में उन्होंने शानदार काम किया है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने सीज फायर के क्रेडिट को लेकर रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जिस तरह से सीज फायर पर अपनी पीठ ठोंककर बयानबाजी करते हुए दुनिया भर में भारत और भारतीय नेतृत्व को बौना साबित कर रहे हैं तथा दुनिया भर में भारत की बेइज्जती हो रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर नजरें छुपाकर चुप्पी साधे हुए हैं उससे तो यही लग रहा है कि मोदी कुछ छिपा रहे हैं तथा उनके और ट्रम्प के बीच कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 4 दिन से (10,12,13,14) अलग अलग मंचों से कह रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई को व्यापार रोकने की धमकी देकर रुकवाया है। इसका खंडन करने या इस पर सफाई देने के बजाय पीएम मोदी वही पुरानी डींगें हांकते हुए कह रहे हैं कि पाकिस्तान को धूल चटा दी जबकि पाकिस्तानी सरकार और सेना विजयी उत्सव मना रही है और भारतीय प्रधानमंत्री का चेहरा बुझा – बुझा सा तनावग्रस्त दिख रहा है। हां इस पराजयी जीत पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए आपरेशन सिंदूर ने नाम पर तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है। मतलब बहुत साफ है कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में आपरेशन सिंदूर के नाम पर मतदाताओं की भावनाओं को उभार कर वोट मांगने में संकोच नहीं करेगी, ठीक उसी तरह जैसे पुलवामा हमले में बेवजह मारे गए 40 सैनिकों की शहादत के नाम पर वोट मांगे गये थे।
ट्रम्प कह रहे हैं गुड जाब तो मोदी को बताना नहीं चाहिए कि जाब गुड है या बैड। ट्रम्प की इसी बात को लेकर सवाल है कि क्या पीएम मोदी और प्रेसीडेंट ट्रम्प के बीच अब वैसी दोस्ती नहीं है जैसे पहले दोनों एक-दूसरे को फ्रेंड-फ्रेंड कहा करते थे ? क्या दोनों के बीच कुछ तनातनी चल रही है जिसका अंदाजा तो हो रहा है लेकिन शब्द नहीं है और शब्द हैं भी तो कहने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा है। बाडी लेंग्वेज को देखकर धारावाहिक लिखने वाले भी असमंजस में हैं कि ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को एक साथ डिनर पर ले जाने की बात कैसे कह दी ? डिनर दिल्ली के खान मार्केट में होगा या पाकिस्तान के मीना बाजार में ? क्या प्रेसीडेंट ट्रम्प पीएम मोदी पर तंज करने यानी ताना मार रहे हैं ? इसका भी विश्लेषण किया जाना चाहिए। सवाल यह भी है कि मोदी भले ही शहबाज के साथ डिनर की तैयार हो जायें तो क्या भारत की जनता (अंध भक्तों को छोड़ कर) वास्तविक तो छोड़िए काल्पनिक डिनर के लिए भी तैयार होगी ?
ट्रम्प सीज फायर के मूल में ट्रेड को अहम बता रहे हैं। जिसे देशी-विदेशी अखबार अपनी हेडलाइन भी बना रहे हैं। दैनिक जागरण की हेडलाइन है – पीएम मोदी भारत के महान प्रधानमंत्री, वह मेरे अच्छे दोस्त, ट्रम्प ने भारत के साथ टैरिफ डील पर दिया बड़ा बयान। अमर उजाला ने लिखा है – ट्रम्प ने बांधे पीएम मोदी की तारीफों के पुल, कहा हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त, वे बहुत स्मार्ट Mint (मिंट) लिखता है – How Donald Trump describes PM Modi, Friend for long time, tough negotiator. पहलगाम हमले के बाद से भारतीय पीएम मोदी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बाॅडी लेंग्वेज और उनके शब्दों में वह सम्मान दिखाई नहीं दे रहा है जो 6 साल पहले हुआ करता था। अब तो वे पीएम नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ को एक ही तराजू में तौले जा रहे हैं। पाकिस्तान के साथ आतंकवाद शब्द लगाने से ट्रम्प को एलर्जी हो रही है। 6 जुलाई 2012 में जब ट्रम्प राष्ट्रपति नहीं थे तब और 1 जनवरी 2018 में जब वे राष्ट्रपति थे तब पाकिस्तान को लेकर कुछ ऐसा ही कहा था – The United States has foolishly given Pakistan more than 33 Billion Dollars in aid over the last 15 years and they have given us nothing but lies and deceity thinking of our leaders as fools. They give safe havan to the terrorists we hunt in Afghanistan, with little help. No move! When will Pakistan apologize to us for providing safe sanctuary to Osama Bin Laden for 6 years? Some “ally”
डोनाल्ड ट्रम्प के एकबार फिर अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मान न मान मैं तेरा मेहमान बतौर जब नरेन्द्र मोदी अमेरिका गए थे तो उन्होंने ट्रम्प से मुलाकात के दौरान कहा था कि अहमदाबाद में NAMASTE TRUMP और Houston में HOWDY MODI की गूंज उन्हें अब भी सुनाई देती है। मेरे लिए खुशी की बात है मुझे इस कार्यकाल में राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ एक बार कार्यक्रम करने का अवसर मिला है। मैं कह सकता हूं कि राष्ट्रपति ट्रम्प के पहले चार वर्ष का मेरा जो अनुभव था, जो गर्मजोशी थी, जो उत्साह था, जो विश्वास था वही गर्मजोशी, वही उत्साह, वही विश्वास के साथ हम फिर एकबार साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे। और मेरे लिए खुशी की बात है कि आते ही राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक मित्र की तरह मुझे पुराने अहमदाबाद के स्टेडियम की याद दिलाई। मगर पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान के साथ हुई झड़प के बाद बदले – बदले से सरकार नजर आने लगे हैं।
इसके पीछे का कारण यह तो नहीं है कि चुनाव प्रचार के समय जब नरेन्द्र मोदी अमेरिका गये थे ट्रम्प ने कहा था कि पीएम मोदी मुझसे मिलेंगे। जिसे अखबारों में प्रकाशित भी किया गया था। Trump to meet fantastic India PM MODI in US (Al Jazeera), Republican candidate praise Indian leader while labelling New Delhi a very big abuser in trade. Donald Trump terms India abuser but say will meet fantastic PM Modi in US (The Indian Express) मगर पीएम नरेन्द्र मोदी ने रिपब्लिकन राष्ट्रपति कैंडीडेट डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात नहीं की। जबकि इसी वक्त इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी अमेरिका दौरे पर थे और उन्होंने ट्रम्प और राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की थी। इसका खुल्लम-खुल्ला नजारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में दिखाई दिया। सारी मशक्कत के बाद भी ट्रम्प ने पीएम मोदी को समारोह में शामिल होने का न्यौता नहीं दिया। जबकि इसके पहले (चार साल पहले) चुनाव में तो पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प के साथ मंच साझा किया था और बकायदा “अब की बार ट्रम्प सरकार” का नारा भी लगाया था। यह अलग बात है कि ट्रम्प चुनाव हार गए थे।
10 मई को सीज फायर के बाद ट्रम्प ने मोदी का नाम दोस्ताना लहजे में लेने के बजाय पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ के साथ ही लिया है। दोनों को एक ही पायदान पर खड़ा करके दोनों को ही लोकप्रिय नेता, मजबूत नेता, दूरदर्शी नेता के साथ ही स्मार्ट नेता भी कहा है । 9 मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच क्या हो रहा है, हमारा बिजनेस नहीं है। अगले दिन यानी 10 मई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ट्यूट कर जानकारी देते हैं कि दोनों देशों के बीच सीज फायर हो गया है। Vance called Indian Prime Minister to encourage ceasefire talks after receiving alarming intelligence, saivces say (CNN) India and Pakistan agree ceasefire than resume fight (Washington Post) Refucant at first Trump officials Intervened in South Asia as Nuclear Fears Grew (Newyork Times) How backhannels and US mediators pulled India and Pakistan back from the brink. (BBC) How India and Pakistan pulled back from the brink of war (Blumbarg) How India and Pakistan pulled back from the brink with US – brokered ceasefire. (Reuters)
इन तमाम अखबारों की खबरों से अचानक सीज फायर होने का खुलासा होता है। CNN लिखता है कि 10 मई की सुबह अमेरिका को बेहद चिंताजनक खुफिया जानकारी मिली जिसके बाद हस्तक्षेप का निर्णय लिया गया मगर कौन सी खुफिया जानकारी मिली थी इस पर अखबार ने चुप्पी साधी है। वहीं बीबीसी और न्यूयार्क टाइम्स ने ईशारा किया है कि पाकिस्तान द्वारा परमाणु समिति की बैठक इसका कारण थी। ट्रम्प का बार बार यह कहना कि लाखों लोग मारे जा सकते थे यह भी परमाणु हमले की तरफ ईशारा माना जा रहा है। अगर ऐसा है तो फिर ट्रम्प पाकिस्तान की आलोचना करने के बजाय भारत को पाकिस्तान के साथ एक ही पायदान पर कैसे खड़ा कर रहे हैं ? The Guardian – – From missiles to ceasefire : how India and Pakistan pulled back from the brink. As Nuclear war became areal possibility, Trump tasked Marco Rubio and JD Vance to contact the feuding countries. FB – – How India and Pakistan can pull back from the Brink.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने जब इंडियन प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी को फोन कर के पाकिस्तान से बात करने को कहा तो पीएम मोदी का जबाब क्या था यह न तो फोन करने वाले ने बताया न ही फोन सुनने वाले ने बताया और न ही किसी अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से प्रसारित किया। विश्लेषकों का कहना है कि बातचीत में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और साउदी अरब भी शामिल थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री तो बातचीत में 36 देशों के शामिल होने की बात कहते हैं। भले ही 16 मई को डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले बयानों से पलटते हुए यह कहा है कि उनने सीज फायर करने सलाह दी थी फिर भी यह रहस्य तो अभी भी रहस्य बना हुआ है कि 10 मई को सीज फायर की असली वजह क्या थी और असली हीरो कौन है ? राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ में से किसे सीज फायर का मुकुट पहनाया जाय किसी एक को या फिर तीनों को ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्यू नार्मल बनाम नई बराबरी की बात की। पीएम मोदी के इसी कहे पर देश पूछ रहा है कि पहलगाम हमले में या उसके बाद की गई कार्रवाई में न्यू क्या है और नार्मल क्या है.? किसी भी आतंकी हमले का जबाब देना न तो नया है न ही नार्मल है। भारत ने इसके पहले भी आतंकी हमलों का जबाब दिया है। अमेरिका, इजराइल सहित दुनिया के तमाम देशों ने आतंकवादी हमलों का जबाब दिया है। हां जबाब देने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। पीएम मोदी को बताना चाहिए कि युद्ध की परिस्थिति में किस हद तक जबाब देना न्यू नार्मल है ? मोदी और उनके सहयोगियों, मातहतों को बताना चाहिए कि वे नई बराबरी पर चुप क्यों हैं ? क्या उनकी चुप्पी न्यू नार्मल है ? उन्हें नई बराबरी मंजूर है ? क्या ये वैश्विक नीति में भारत के परचम का प्रदर्शन है ?
हिन्दुस्तान टाइम्स में खबर छपी है कि मोदी सरकार को आपरेशन सिंदूर के बारे में केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को जानकारी देनी चाहिए ! जिस पर सवाल किया जा रहा है कि सीमावर्ती राज्यों पंजाब, हिमाचल आदि को आपरेशन सिंदूर की जानकारी से अवगत क्यों नहीं कराया जाना चाहिए ? अब शुरू होगी राजनीति, बड़े-बड़े दावे, लेकिन देश को कोई नहीं बतायेगा कि पहलगाम में चूक कैसे हुई ? आतंकवादी घटना को अंजाम देकर आतंकी कैसे भाग गए ? सुरक्षा क्यों नहीं थी ? जिम्मेदार कौन है और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई ?
(मैं – नरेन्द्र मोदी, प्रेम – ट्रम्प से दोस्ती, नगर – दुनिया)
जो मैं ऐसा जानता प्रेम किये दु:ख होय
नगर ढ़िढ़ोरा पीटता प्रेम न करियो कोय
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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