एक के बाद एक हो रहे ट्रेन हादसों पर मंत्रालय ने सभी जोनों को दिया बड़ा आदेश
30 अक्टूबर को सभी रेलवे जोन के महाप्रबंधकों को भेजे गए एक पत्र में बोर्ड ने कहा, “एसपीएडी (खतरे पर पारित सिग्नल) और दुर्घटनाओं के हालिया मामलों में ट्रेन संचालन में निर्धारित प्रोटोकॉल और सतर्कता को मजबूत करने की जरूरत है. इसके लिए, 31 अक्टूबर से 14 नवंबर तक 2 सप्ताह का एक गहन सुरक्षा अभियान तुरंत शुरू किया जाना है, जिसमें सभी स्तरों के अधिकारी शामिल होंगे.”
बोर्ड ने 23 सुरक्षा पहलुओं को सूचीबद्ध किया है और जोनल रेलवे को अभियान के दौरान इन पर जोर देने का निर्देश दिया है. इसमें कहा गया है कि अधिकारियों और लोको निरीक्षकों को इंजन में रेंडमली सफर करना चाहिए, खासकर रात में इस पर ध्यान देना चाहिए और यह देखना चाहिए कि चालक दल सुरक्षा मानदंडों का पालन कर रहा है या नहीं.
पत्र में निर्देश दिया गया है कि लोको निरीक्षकों को क्रू वॉयस और वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस) की निगरानी के साथ-साथ फिजिकली भी जांच करनी चाहिए, कि क्या चालक दल, लोको पायलट (एलपी) और सहायक लोको पायलट (एएलपी) सभी को कॉल कर रहे हैं या एक-दूसरे को स्पष्ट रूप से संकेत दे पा रहे हैं. लोको निरीक्षकों को यह देखने के लिए भी कहा गया है कि ट्रेन चलाते समय चालक दल मोबाइल फोन का उपयोग कर रहा है या नहीं क्योंकि ट्रेन संचालन के दौरान ड्राइवरों के लिए मोबाइल फोन का उपयोग सख्त वर्जित है.
बोर्ड चाहता है कि चालक दल की पीले सिग्नल और ग्रेडिएंट में ट्रेन को संभालने की उनकी क्षमता पर विशेष रूप से निगरानी रखी जाए ताकि वे लाल सिग्नल पर तुरंत रुक सकें. एक ज़ोन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा कि, “पत्र में लोको निरीक्षकों से यह देखने के लिए कहा गया है कि चालक दल स्वचालित ब्लॉक प्रणाली में ट्रेन को कैसे नियंत्रित करता है, जिसमें ट्रेनों के गुजरने पर सिग्नल स्वचालित रूप से काम करते हैं.”
उन्होंने कहा, “बोर्ड ने जोनों को यह भी निगरानी करने का निर्देश दिया है कि क्या चालक दल सभी गति प्रतिबंधों का सावधानीपूर्वक पालन कर रहा है और विभिन्न प्रकार के भार के लिए सही ब्रेकिंग तकनीक का उपयोग कर रहा है? चालक दल की चिकित्सा स्थितियों का भी पता लगाने को कहा है. बोर्ड ने जोनों से यह भी देखने को कहा है कि क्या चालक दल को उचित आराम मिलता है और क्या उनके द्वारा रिपोर्ट की गई असामान्य घटनाओं और वास्तविक शिकायतों का समय पर समाधान किया गया है.
अधिकारी ने कहा, “सभी जोनों को अभियान की साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट उन्हें उपलब्ध कराए गए सिस्टम पर अपलोड करनी होगी.” लेकिन ट्रेन ड्राइवरों की यूनियनों ने एक पखवाड़े के भीतर दो बड़ी ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद बोर्ड की पहल को महज एक दिखावा और सिर्फ अपना चेहरा बचाने का एक कदम बताया है. उनका कहना है कि अधिकांश मंडलों में लोको पायलटों के 10 से 15 फीसदी पद खाली हैं और लगभग इतना ही प्रतिशत उन ट्रेन ड्राइवरों का है जो 12 घंटे से ज्यादा काम करने को मजबूर हैं.
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने 2010 में आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन पर रेलवे बोर्ड की प्रतिक्रिया साझा की, जिसमें बोर्ड ने स्वीकार किया था कि ट्रेन चालकों के लिए नाश्ते, दोपहर के भोजन या रात के खाने के ब्रेक का कोई प्रावधान नहीं है. पांधी ने कहा कि स्थिति आज भी नहीं बदली है. रेलवे के कामकाजी घंटों के दिशानिर्देशों में ‘आवश्यकता’ शब्द का उपयोग इसके पक्ष में जाता है. इसमें कहा गया है कि वे ‘आवश्यकता’ के मामले में निर्धारित सीमा से परे चालक दल का उपयोग कर सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा, “यात्रियों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाना अपने आप में एक आपातकालीन स्थिति है. आपातकालीन स्थिति की आड़ में, ड्राइवरों को अक्सर 15 घंटे या उससे भी अधिक समय तक काम करने के लिए कहा जाता है. रनिंग स्टाफ को कैसे कार्यमुक्त किया जाए, इस पर कोई उचित दिशानिर्देश नहीं हैं.” और उन्हें काम से मुक्त करने का अंतिम अधिकार किसके पास है.”
पांधी ने चालक दल के अतिरिक्त कामकाजी घंटों के संबंध में मई 2023 के अहमदाबाद रेलवे डिवीजन के एक परिपत्र का भी हवाला दिया, जिससे पता चलता है कि 23 प्रतिशत चालक दल 12 घंटे से अधिक काम करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया, “रात की ड्यूटी परिभाषित नहीं है. ड्राइवर अपनी नेचर कॉल के लिए भी ब्रेक नहीं ले सकते क्योंकि कई इंजनों में वॉशरूम नहीं हैं.” उन्होंने बोर्ड से इन पहलुओं पर भी ध्यान देने की मांग की.
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