क्या कांग्रेसी / भाजपाई चंडीगढ़ लोकसभा की टिकट फाइनल होने पर एकजुट होंगे ?
क्या हार जीत की सुई एकजुटता पर टिकी है ?
जगदीप शर्मा चंडीगढ़
चंडीगढ़ लोकसभा सीट के लिए कौन सी पार्टी किस उम्मीदवार को चुनावी रण में उतारेगी ये अभी सस्पेंस थ्रिलर मूवी की तरह है, भाजपा उम्मीदवार के तौर पर कई नाम की लिस्ट वायरल हुई ऐसे ही कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट भी वायरल हो रही है,कभी किसी का नाम तो कभी किसी का नाम देखने सुनने के बाद उम्मीदवार सुनिश्चित लगने लगता है फिर शांत लहर आती है और सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई देता है, ऐसे में शहरवासियों के सुर इस बार स्थानीय नेताओं को ही वोट देने वाले सुनाई दे रहे हैं,जिसके चलते हर पार्टी हाईकमान इस बार कोई भी गलती करने से बचेगी |
शहरवासियों के अनुसार न तो पैराशूट उम्मीदवार न कोई अभिनेता अभिनेत्री न ही खिलाड़ी इत्यादि को वोट डालेंगे क्योंकि शहरवासियों के मुताबिक कोई भी बाहरी व्यक्ति जिसे अफसरशाही से घुलना मिलना नहीं आता होगा उनके साथ मिलकर विकास कार्यों हेतु कहना या करवाना नहीं आता होगा ,जिसे शहर की जरूरतों का नहीं पता होगा वो केवल जीत के मकसद से आएगा व ऐसे उम्मीदवार की जीत के बाद शहर के विकास कार्यों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा क्योंकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में शहरवासियों ने एक ऐसे उम्मीदवार का ही चयन कर लिया था जिसने विकास कार्यों में दिलचस्पी नहीं दिखाई व शहर विकास की दृष्टि से पिछड़ गया |
ऐसे में अब सुई टिकती है कि कौन सी पार्टी का कौन सा स्थानीय उम्मीदवार इस बार अपनी पार्टी के दिल में स्थान बना चुका है व उसकी सोच शहर के रुके हुए विकास कार्यों के प्रति कितनी संवेदनशील है ये सब परखने के बाद ही शहरवासी ईवीएम मशीन में अपना मतदान रूपी योगदान देते हुए बटन दबाएंगे | बात आती है कांग्रेस पार्टी की तो क्या हर कांग्रेसी नेता अपने आप को कांग्रेसी उम्मीदवार के रूप में देखने लगा है और हाईकमान से इस बार लोकसभा चुनावों के लिए टिकट की दावेदारी ठोकेगा ? जैसे कि कई नामों की लिस्ट वायरल हुई जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के अलावा कई अन्य कांग्रेसी नेताओं के नाम थे जो बहुत सालों से कांग्रेस को सींचते आ रहे हैं एवं अपना कद लोकसभा चुनावों में टिकट के लिए बढ़ा हुआ मानते हैं,ये तो सभी को पता है कि हाईकमान इन्हीं में से किसी एक को टिकट देकर रणभूमि में उतारेगी लेकिन बाकि के दावेदार जो उम्मीद लगाए बैठे हैं क्या वो पार्टी द्वारा उतारे गए अपने उस कांग्रेसी उम्मीदवार का साथ देंगे या पार्टी को एहसास दिलाने के लिए अंदर खाते अपने ही उम्मीदवार को भारी मतों से हराने के लिए पुरजोर कोशिश करेंगे ये भी विचार करने योग्य है|
बिल्कुल ऐसे ही भाजपा उम्मीदवार की घोषणा के बाद बाकि भाजपाई नेताओं की भी बात करें तो क्या टिकट की उम्मीद लगाए बैठे नेता अपनी टिकट कटते ही अपने उम्मीदवार के कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे ? ऐसे समय पर अकसर रूठे हुए नेता या तो दूसरी पार्टी के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो जाते हैं या अपने गुस्से को दिखाने के लिए प्रचार से अपना मुख मोड़ लेते हैं,फिर रूठने मनाने का दौर शुरू होने उपरांत क्या माहौल बनेगा ये आने वाला समय बताएगा |
गौरतलब है कि महागठबंधन के चलते आपियों द्वारा चंडीगढ़ की जो सीट आम आदमी पार्टी की पक्की मानी जाने लगी थी उसी गठबंधन के चलते ये सीट कांग्रेसी खाते में जाने से यहां मुकाबला अब एकतरफा न होकर संघर्ष वाला कड़ा मुकाबला माना जाने लगा है,कांग्रेसियों की मानें तो वो अपने आपको भारी मतों से जीता हुआ बता रहे हैं ,उनका तथ्य है कि बीते 10 सालों में भाजपा की एक ही उम्मीदवार यहां की सांसद रहीं जिन्होंने विकास कार्यों में दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके चलते शहर का हर विकास कार्य प्रभावित माना जा रहा है लेकिन वहीं भाजपा नेताओं की मानें तो उनके सामने किसी दल का कोई उम्मीदवार टिक नहीं पाएगा क्योंकि मोदी राज में हर भारतीय की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं,उनका मानना है कि भारत को राम राज्य का दर्जा दिलाने में हर मतदाता पहले से तैयार बैठा है जिसके चलते चंडीगढ़ की सीट पर इस बार भी भाजपा ही काबिज होगी |
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!