पद्मश्री डॉ. नीलम मान सिंह चौधरी ने टैगोर थिएटर में डिवाइस थिएटर पर साझा किए 35 वर्षों का अनुभव
चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा टैगोर थिएटर में आयोजित तकनीकी कार्यशाला में आज पद्मश्री डॉ. नीलम मान सिंह चौधरी ने डिवाइस थिएटर के प्रयोगात्मक कार्य से रंगमांच्या प्रस्तुति तैयार करने के अपने 35 वर्षों के अनुभव को साझा करते हुए थिएटर की बारीकियों को प्रशिक्षणार्थियों कलाकारों के साथ साझा किया।
डॉ. नीलम मान सिंह चौधरी ने डिवाइस थिएटर के बारे में बात करते हुए कहा कि इसमें पहले हमारे पास एक विचार होता है, जिसमें कलाकार और निर्देशक मिलकर काम करते हैं। थिएटर में जो परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं, डिवाइस थिएटर उन परंपराओं को तोड़ता भी है और नए ढंग से जोड़ता भी है।
उन्होंने कहा कि एक नाटक के मंचन से पहले, कलाकार को नाटक के पाठ के साथ-साथ नाटक के उप-पाठ sub text पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। नाटक में पाठ की तुलना में ( sub text,) between the lines उप-पाठ अधिक महत्वपूर्ण होता है। कलाकार के लिए उप-पाठ पर काम करना बहुत जरूरी है।
डॉ. नीलम मान सिंह ने “नकल शैली” के बारे में बात करते हुए कहा कि इसमें लड़कियां रोल नहीं करती थीं, बल्कि पुरुष ही महिलाओं की भेष-भूषा धारण करते थे। मेरे लिए यह एक अलग अनुभव था
उन्होंने आगे कहा कि अभिनेता निर्देशक की कठपुतली नहीं होता, बल्कि अभिनेता मंच का राजा होता है। राजा बनने के लिए अधिक से अधिक अच्छी किताबें, अच्छे उपन्यास, अच्छे नाटकों को पढ़ना बहुत जरूरी है, ताकि आपके दिमाग की बंद पड़ी खिड़कियां और दरवाजे खुल जाएं।
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