सुषमा बिल्डटेक रियल एस्टेट घोटाले का बड़ा खुलासा: 1500 से अधिक निवेशकों की जमा पूंजी फंसी, निदेशकों पर लुक-आउट नोटिस जारी करने की मांग तेज
उत्तर भारत की प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी सुषमा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड पर बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगा है। ट्राइसिटी क्षेत्र — चंडीगढ़, मोहाली और ज़ीरकपुर — के लगभग 1500 निवेशकों ने दावा किया है कि कंपनी ने उनसे आवासीय व वाणिज्यिक प्रोजेक्ट्स में निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये लिये, लेकिन न तो उन्हें प्रॉपर्टी का कब्ज़ा मिला और न ही निवेश पर वादा किया गया रिटर्न।
निवेशक समुदाय ने कंपनी के निदेशकों बिंदर पाल मित्तल, भरत मित्तल और प्रतीक मित्तल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए शिकायतें प्रधानमंत्री कार्यालय, पंजाब सरकार, रेरा, ईओडब्ल्यू सहित कई केंद्रीय एजेंसियों को सौंपी हैं। साथ ही आरोपियों के विदेश भागने की आशंका जताते हुए उनके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी करने की भी मांग की गई है।
निवेशकों ने सुनाई आपबीती: “प्रोजेक्ट रुके, चेक बाउंस हुए, पैसा डूब गया…”
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान सेना के पूर्व कर्मचारी, शिक्षाविद, सेवानिवृत्त अधिकारी, महिला पेंशनभोगी, उद्यमी और एनआरआई सहित दर्जनों निवेशकों ने अपना दर्द बयां किया।
निवेशक आलोक शर्मा, महबूब अली, अनुराग वासन, सुनील मुंजाल, राजपाल सिंह, एस. सोही, विवेक गुप्ता, डॉ. अमिता शर्मा और सुषमा शर्मा ने बताया कि— कंपनी ने सुषमा प्रिस्टीन, सुषमा एम्पीरिया, सुषमा एयरोसिटी, सुषमा हबटाउन, सुषमा जॉयनेस्ट सहित अनेक हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट लॉन्च किए।
इन प्रोजेक्ट्स को “सुरक्षित निवेश” और “उच्च रिटर्न” का ठोस विकल्प बताकर प्रमोट किया गया।
कई निवेशकों को शुरुआत में कुछ महीनों तक 12% मासिक रिटर्न भी दिया गया ताकि विश्वास बने।
बाद में अचानक भुगतान बंद हो गए, साइट पर निर्माण रुक गया और प्रोजेक्ट अधर में लटक गए।
कई निवेशकों ने बताया कि जब उन्होंने अपने पैसे की वापसी की मांग की तो कंपनी ने चेक जारी किए, परंतु अधिकांश चेक बैंक में बाउंस हो गए।
सालों से रुके प्रोजेक्ट, साइटों पर विकास शून्य
निवेशकों ने बताया कि वे जब प्रोजेक्ट साइटों पर पहुंचे तो पाया कि—
- भारी-भरकम मार्केटिंग और प्रचार के बावजूद
- करोड़ों रुपये लेने के बाद भी
- साइट पर कोई ठोस प्रगति दिखाई नहीं दी।
“हमें बार-बार कहा गया कि प्रोजेक्ट समय पर पूरा होगा, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे,” एक वरिष्ठ नागरिक निवेशक ने बताया।
फंड्स विदेश भेजने की आशंका, कई एजेंसियों से जांच की मांग
निवेशकों का आरोप है कि कंपनी के निदेशक— फंड्स को दुबई सहित अन्य विदेशी लोकेशनों में भेजने और विदेशों में अपनी व्यक्तिगत संपत्तियाँ सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ आर्थिक अपराध है, बल्कि सेंकड़ों परिवारों के भविष्य से खिलवाड़ है, जिसकी तत्काल जांच होनी चाहिए।
इसके लिए निवेशकों ने जिन एजेंसियों से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है, उनमें शामिल हैं—
- पंजाब पुलिस इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW)
- चंडीगढ़ प्रशासन व मोहाली पुलिस कमिश्नरेट
- RERA और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय
- वित्त मंत्रालय और प्रवर्तन निदेशालय (ED)
- CBDT और RBI
निवेशकों ने कहा कि संबंधित प्राधिकरणों की चुप्पी से हालात और गंभीर हो सकते हैं।
1500 से अधिक परिवारों की कमाई दांव पर, मानसिक और आर्थिक तनाव चरम पर
इस घोटाले ने—
- पेंशनभोगियों
- सरकारी कर्मचारियों
- एनआरआई
- छोटे उद्यमियों
- तथा मध्यम-वर्गीय परिवारों
को गहरे आर्थिक संकट में डाल दिया है।
कई लोगों ने बताया कि उनकी जीवन भर की बचत इस घोटाले में फंस गई है। कई पीड़ितों ने मानसिक तनाव, अनिद्रा, अवसाद और आर्थिक अस्थिरता की शिकायत भी की है।
निवेशकों की प्रमुख मांगें
पीड़ित निवेशकों ने सरकार व केंद्रीय एजेंसियों से मिलकर कार्रवाई करने की अपील करते हुए कहा—
- निदेशकों के पासपोर्ट तुरंत जब्त किए जाएं
- लुक-आउट नोटिस जारी किया जाए
- कंपनी की देश व विदेश स्थित सभी संपत्तियां फ्रीज की जाएं
- फंड ट्रांसफर की फोरेंसिक जांच हो
- प्रोजेक्ट्स की वास्तविक स्थिति का स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए
- निवेशकों के धन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
उनका कहना है कि यह सिर्फ निवेशकों का मुद्दा नहीं, बल्कि जनहित का आपातकालीन मामला है जिसने पूरे रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसे को गहरा आघात पहुंचाया है।




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