दूसरी शादी में भी तलाक: भरण-पोषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि दूसरी शादी में तलाक होने की स्थिति में भी पति को भरण-पोषण का खर्च देना होगा, भले ही पहली शादी का मामला कोर्ट में विचाराधीन हो। इस फैसले ने एक अहम सवाल का समाधान किया, जिसमें कहा गया था कि क्या दूसरी पत्नी से तलाक होने के बाद भरण-पोषण का खर्च दिया जा सकता है, जबकि पहली शादी का मामला अभी कोर्ट में चल रहा हो।
कोर्ट का फैसला और उसके मायने
तेलंगाना से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि अगर दूसरी शादी के बाद तलाक होता है, तो यह तर्क नहीं चल सकता कि पहली शादी का मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है, इसलिए भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पहली शादी बातचीत के आधार पर समाप्त हो चुकी है, तो वह दूसरी शादी से संबंधित नहीं है और कोर्ट की प्रक्रिया का असर भरण-पोषण पर नहीं पड़ेगा।
पूरा मामला क्या था?
यह मामला तेलंगाना की उषा रानी से जुड़ा है, जिनकी शादी एम श्रीनिवास से 1999 में हुई थी। यह दोनों की दूसरी शादी थी। एक साल बाद दोनों के घर एक बेटा पैदा हुआ, लेकिन 2005 में दोनों के बीच तलाक हो गया। उषा रानी ने भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने यह कहकर उनका याचिका खारिज कर दिया कि पहली शादी का मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग था।
हैदराबाद हाई कोर्ट ने भी उषा रानी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उषा को कानूनी रूप से श्रीनिवास की पत्नी का दर्जा प्राप्त था, और लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि दूसरी शादी में तलाक होने पर भी पति को भरण-पोषण देना आवश्यक होगा, और इसे लेकर किसी प्रकार के कानूनी जटिलताओं का हवाला नहीं दिया जा सकता। यह फैसला न सिर्फ उषा रानी के मामले में राहत देने वाला था, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!