जल है तो कल है, बेंगलुरु में आया जल संकट
प्रेरणा ढींगरा, नई दिल्ली : बेंगलुरु जिसे किसी समय झीलों की नगरी भी कहा जाता था वही जिलों की नगरी आज के समय में पानी की गंभीर समस्या से जूझ रही है। कर्नाटक सरकार ने जल संकट में कुछ अहम फैसले भी लिए। अब बेंगलुरु में जल से होने वाले कई कामों पर रोक लगा दी है। बात यहां तक बढ़ गई कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के घर में पानी टैंकर के द्वारा पहुंचाया जा रहा है।
जल संकट की स्थिति में बेंगलुरु के लोगों को टैंकर माफिया के राज को भी झेलना पड़ रहा है। जो टैंकर किसी समय पर 600-800 के दाम में बिकता था आज उसी टैंकर की कीमत 2000 तक पहुंच चुकी है। ऐसे हालातो में टैंकर ऑपरेटर अपना फायदा देख रहे हैं। जो लोग मध्यम या ऊंचे घराने के हैं उनके लिए टैंकर का बंदोबस्त पैसे देकर करा जा सकता है पर गरीबी से परेशान लोगों के लिए तो पानी की महामारी हो चुकी है। हालात इस समय कुछ ऐसे हैं की उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के घर में भी पानी टैंकर से पहुंचा जा रहा है। जब उपमुख्यमंत्री तक इस जल संकट से गुजर रहे है तो आम जनता का क्या हाल होगा? बेंगलुरु में समय कुछ ऐसा हाल है कि लोग मॉल के अंदर जाकर शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं।
बेंगलुरु में जल समस्या का कारण
बेंगलुरु विकास प्रभाव के प्रभारी और उपमुख्यमंत्री डीके शिवाकुमार ने बताया कि बेंगलुरु में 13,900 बोरवेल में से 6900 बोरवेल ने काम करना बंद कर दिया है।फरवरी तक कावेरी बेसिन के हरंगी, हेमवती, केआरएस और काबिनी जैसे जलाशयों में जल स्तर भी कम हो गया था। इस जल संकट का एक और कारण पिछले साल कम बारिश होना भी बताया जा रहा है। कावेरी बेसन में भी जल का स्तर काफी नीचे पहुंच चुका है। इस जल समस्या के लिए सीधा निशाना टैंकर माफिया को भी आम जनता बता रही है। लोगों ने बताया कि टैंकर माफिया आजकल पंप ज्यादा खोद रहे है जिसके कारण जल की समस्या आन पड़ी है। पर सोचने वाली बात तो यह भी है कि इस जल समस्या को लोग रोक भी सकते थे। अक्सर हम जल का दुरुपयोग करते हैं। जिस जगह में जल कम मात्रा में इस्तेमाल हो सकता है वही हम अधिक जल का उपयोग करते हैं। ऐसे समय में सबसे बड़ा सवाल सरकार की जल नीतियों पर उठाया जा सकता है। अगर सरकार की जल नीति सही होती तो क्या बेंगलुरु में पानी की समस्या इतनी बढ़ती?
राज्य सरकार के कदम जल समस्या के लिए
राज्य सरकार ने इस जल समस्या से लड़ने के लिए 556 करोड़ का प्रबंध किया है। सरकार ने कार धोने, बागवानी, निर्माण, पानी के फव्वारे और सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए पीने के पानी के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है। पानी के टैंकर देने का भी प्रबंध सरकार द्वारा किया गया है। अगर कोई इंसान सरकार के आदेशों का पालन करता हुआ नहीं दिखाई दिया तो उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। पानी के संकट को लेकर सरकार ने मीटिंग भी रखवाई थी जिसमें उन्होंने जल संकट को लेकर अहम फैसले लिए थे। इस मीटिंग में 556 करोड़ जल संकट में लगाने का सरकार ने फैसला लिया है। दूध के टैंकरों को भी पानी की टैंकर जैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। बेंगलुरु सरकार ने तालुक स्टार के नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन नंबर की भी स्थापना करने के लिए कहा है। इस लिए गए फैसले में क्या आम जनता को परेशानी नहीं होगी? जो चीज रोज मर्रा के लिए जरूरी है उन चीजों पर रोक लगाने से आम जनता क्या करेगी?
इस समस्या से शहर के लोगों की आम जिंदगी पर प्रभाव पड़ रहा है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस चुके हैं। इस समस्या में जो जल बचाएगा, वही समझदार भी कहलाएगा ऐसा कहना कुछ गलत नहीं होगा। बात सिर्फ बेंगलुरु की ही नहीं है आज के समय में भारत के अंदर 60 करोड़ लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। भारत के अंदर ही ऐसे कितने गांव हैं जिनमें पानी आज भी नहीं आता और ऐसे कितनी जगह है जहां पर पानी साफ नहीं आता। पानी की समस्या से जो मुश्किलें पैदा होती है उसे हर साल भारत के अंदर लगभग दो लाख लोगों की मौत भी हो जाती है। गर्मियां आते-आते पानी की समस्या और गंभीर रूप ले लेती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार 185 जिलों में से 30 तो सूख चुके है। पानी की समस्या का एक कारण जलवायु में बदलाव भी है। हर एक व्यक्ति को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए की जल ही जीवन है। जल का कभी भी दुरुपयोग ना करें।
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