दिल्ली सरकार के शेल्टर होम में 13 बच्चों की मौत से हड़कंप, वजह को छुपाने की करी कोशिश
दिल्ली के शेल्टर होम में 13 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। जिसके जांच के आदेश दे दिए गए हैं। बच्चों की मौत को लेकर फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन हुआ है। पर अभी तक मौत के कारण का पता नहीं चल पाया है।
आपको बता दे की दिल्ली के रोहिणी के आशा किरण में जुलाई महीने के अंदर अब तक 13 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार से आतिशी का बयान भी सामने आया है। हालांकि जांच की मांग रखी जा रही है पर अब तक मौत की वजह का पता नहीं चल पाया है। रिपोर्ट के अनुसार शेल्टर होम में 20 जुलाई तक 27 मानसिक रूप से बीमार बच्चों और लोगों की मौत हुई है और 13 मौत तो जुलाई महीने के 20 दिन में ही रिकॉर्ड हो चुकी हैं। फिलहाल सबसे बड़ा सवाल है कि यह मौत आखिर किस वजह से हुई? क्या कारण को छुपाने की कोशिश की जा रही है? दरअसल, आशा किरण में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों की देखभाल की जाती है। एक अधिकारी का तो यह भी कहना है कि मौजूदा समय में शेल्टर होम के अंदर क्षमता से अधिक बच्चे हैं और अनुमान लगाया जा रहा है कि यह मौतें कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण की वजह से हुई है। क्या इस बात से यह कहना सही होगा कि उस जगह पर बच्चों को सही तरीके की सुविधा नहीं मिल पा रही है?
किन लापरवाहियों के कारण हुई मौत?
अगर स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मौत हुई है तो यह कहा जा सकता है कि उस शेल्टर होम में बच्चों को सही तरीके की सुविधाएं नहीं मिल पा रही थी। बच्चों के पालन पोषण में हजारों समस्याएं आती है। उनके खाने पीने से लेकर सोने के समय तक पर ध्यान देना पड़ता है। ऐसे में सोचने वाली बात तो यह है कि ऐसा क्या हुआ होगा जिस वजह से 20 दिन में 13 बच्चों की मौत हो गई। अगर सच में बच्चों की मौत खराब पानी पीने के कारण हुई है तो एक सवाल यह भी उठता है कि वहां के वॉटर प्यूरीफायर को सही क्यों नहीं करवाया गया? क्या यह लापरवाही है या सोच समझकर करी हुई साजिश? क्योंकि सूत्रों की माने तो ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब उस शेल्टर होम का नाम विवादों में आया हो। पहले भी कई बार वहां पर बच्चों की मौत रहस्यमय कारणों से हुई है। साल 2024 में संदिग्ध हालात में 27 मौतें हुई हैं, जिनमें जनवरी में तीन, फरवरी में दो, मार्च में तीन, अप्रैल में दो, मई में एक, जून में तीन और जुलाई में 13 मौतें रजिस्टर की गई है। पर भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सुझावात्मक उपाय सुझाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
लेकिन इस मामले में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा गुप्ता क्या कहना है कि “हमारी जानकारी के अनुसार बच्चों को गंदा पानी मिल रहा है, उन्हें खाना नहीं मिलता, उन्हें इलाज नहीं मिलता है।” उन्होंने यह भी कहा है कि “साल 2024 से अब तक 27 लोगों की मौत हुई है। जुलाई महीने में ही 17 लोगों की मौत हुई है, ऐसा हमारी जानकारी में है। प्रशासन कारण नहीं बता रहा है, एसडीएम जांच में क्या है, हमें नहीं पता, सभी अधिकारी गेट बंद करके बैठे हैं, किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं है। हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं है।”
आतिशी ने दिया बयान
दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा कि “जानकारी मिली है कि जुलाई में दिल्ली के रोहिणी के आशा किरण होम (मानसिक रूप से विकलांगों के लिए) में 13 मौतें हुई हैं। ये मौतें कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण की वजह से हुई है। साथ ही उन्होंने कहा इससे पता चलता है कि बच्चों को उचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।”
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने यह भी कहा कि “राजधानी दिल्ली में ऐसी खबर सुनना बहुत चौंकाने वाला है और अगर यह सच पाया जाता है तो हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इसकी गहन जांच की जानी चाहिए। ताकि इन बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए ऐसे सभी केयर होम की स्थिति में सुधार करने के लिए पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कठोर कदम उठाए जा सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट जांच शुरू करने और 48 घंटे के बीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
आतिशी ने कार्रवाई के आदेश देते हुए तीन बातों को ध्यान में रखने के लिए कहा है
- मीडिया रिपोर्ट में बताए गए पूरे मामले की तुरंत मजिस्ट्रेट जांच शुरू कर दी जाए और 48 घंटे के भीतर इस पर एक रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
- उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी जिनकी लापरवाही की वजह से बच्चों की जान गई है।
- भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो, इसके लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
बच्चों की मौतों पर SDM का बयान
रोहिणी के एसडीएम मनीष वर्मा ने बताया “जैसे ही इसकी खबर आई तो हमने तुरंत तहकीकात शुरू की। जो जानकारी आई वो बिल्कुल सत्य है। जो मृत्यु दर है वो पिछले महीनों और पिछले साल की तुलना में ज्याादा हुई है।हमने इसके बारे में जब वहां के देखरेख करने वाले डिप्टी डायरेक्टर से पूछा तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि संख्या ज्यादा है। चूंकि अभी बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है तो असली कारण क्या है वो नहीं बता पाए।रिपोर्ट आने के बाद वो बताएंगे। हमने उनको सजेस्ट किया है कि वो पानी की जांच करवाएं, वाटर फिल्टर बदलवाएं और खाने-पीने को पहले टेस्ट करें उसके बाद ही उन्हें सर्व करें। इन सब चीजों पर उन्होंने गौर किया है और बताया है कि सारे एक्वागार्ड बदल दिए गए हैं।”
इस मामले पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने ट्वीट कर कहा, “मैं अभी आशा किरण का निराक्षण करके आ रही हूँ। ये सच में मौत का घर है। लड़कियाँ भुखमरी, गर्मी और overcrowding की वजह से मरी हैं। 280 महिलाओं को 6 छोटे कमरों में रखा हुआ है, और गर्मी और हुमस हद्द से ज़्यादा है। डॉक्टर बता रहे है की 30% लोग भुखमरी के शिकार है। 20 % को ठीक से रखरखाव न होने के कारण skin disease हैं। जो मरे उनको Bedsores तक हो रखे थे!”
भाजपा के वार पर आम आदमी पार्टी का जवाब
भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले को लेकर आप को घेरती हुई नजर आ रही है। इन हालातो में दिल्ली के मंत्री गोपाल राय क्या कहना है कि “भाजपा प्रदर्शन करने पहुंच रही है लेकिन मां-बेटे की मौत पर प्रदर्शन करने के लिए मयूर विहार नहीं गई, भागकर आशा किरण पहुंच गई क्योंकि उनको पता है कि वो दिल्ली सरकार के अधीन आता है। इस मामले में संबंधित मंत्री क्लोजली मॉनिटर कर रहे हैं। दोषी लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा। दिल्ली सरकार लोगों के साथ खड़ी है।”
सोचने वाली बात तो यह है कि आशा किरण शेल्टर होम दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के अंदर आता है। कुछ समय पहले तक समाज कल्याण विभाग के मंत्री राजकुमार आनंद हुआ करते थे पर 10 अप्रैल को उन्होंने आम आदमी पार्टी और मंत्री पर दोनों से इस्तीफा दे दिया और तब से ही यह मंत्री पद खाली हो गया है। अभी तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पद को किसी को भी नहीं सौंपा है। दिल्ली के सीएम तिहाड़ जेल में बंद है और मंत्री पद का खाली होना उसी के साथ ऐसी दुर्घटना होना दिल्ली सरकार की असफलता का संकेत है। इन सब बातों से यह लगता है कि रोहिणी सेक्टर होम मैं बच्चों की मौत दिल्ली सरकार की लापरवाही को भी जताती है।
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