योगी आदित्यनाथ झूठे हैं उन्हें इस्तीफा देना चाहिए : शंकराचार्य अवि मुक्तेश्वरानंद सरस्वती
बुधवार को भगदड़ के दो हादसे हुए एक हादसे को मेला प्रशासन छुपा गया
वीरवार को फिर मेला क्षेत्र में लगी आग
हादसे के बाद प्रशासन ने बदली रणनीति, अब वीवीआईपी पास रद्द , गाड़ियों की नो एंट्री
लापरवाह ऑफिसरों पर होगी कोई कार्यवाही या मिलेगा इनाम
प्रयागराज के महाकुंभ मेला क्षेत्र में बुधवार को हुई भगदड़ के बाद प्रशासन को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है। इस हादसे में सरकार के आधिकारिक बुलेटिन के अनुसार 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हुए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर रात इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की। वहीं बुधवार को ही मेला क्षेत्र में भगदड़ की एक और घटना हुई थी जिसको ना तो मेला प्रशासन ने कोई जिक्र किया ना ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। यह तो भला हो कुछ स्थानीय न्यूज़ चैनल के पत्रकारों का जिन्होंने इस घटना के बारे में जिक्र किया उसके बाद में यह घटना नोएडा की टीवी चैनलों पर भी आई। आज तक के सहयोगी चैनल लल्लनटॉप ने बुधवार के दूसरी भगदड़ की विस्तृत रिपोर्ट जारी की। तो वही लखनऊ से छपने वाले अखबार 4पीएम के अनुसार मृतकों की 58 डेड बॉडी पोस्टमार्टम हाउस में उनके स्टिंग ऑपरेशन में निकल कर सामने आई है। 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, कि मुझ पर सुबह से ही इस वीडियो को हटाने का दबाव बनाया जा रहा है पर मैने हमेशा सच का साथ दिया है यह वीडियो कभी नहीं हटेगा।
हालांकि हादसे के 17 घंटे बाद प्रशासन का आधिकारिक बयान सामने आया, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद प्रशासन को देर से जानकारी कैसे मिली। इस पर कई लोगों ने ताज्जुब जाहिर किया है कि कुंभ मेला प्रशासन जो आमतौर पर हर 3-4 घंटे में आंकड़े जारी करता है, तो उसकी मौत के आंकड़े देने में 17 घंटे क्यों लगे? लोगों का तो यहां तक कहना था कि प्रशासन नहाने वाले लोगों के आंकड़े तो चंद मिनट में ही जारी कर देता है फिर हादसे के आंकड़ों को जारी करने में इतना समय क्यों लगा। क्या कोई आंकड़े छुपाए जा रहे थे या कोई और वजह थी।
दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें प्रयागराज के कमिश्नर मेला क्षेत्र में माइक पर यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि “उठो जागो और स्नान करो, कहीं ऐसा न हो कि आप लेट हो जाएं और भगदड़ मच जाए।” इस बयान पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि क्या इस तरह के बयान से स्थिति और बिगड़ी?
इस हादसे के बाद कुंभ मेला प्रशासन की ओर से एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक दूसरा हादसा मुक्ति मार्ग पर हुआ था, जिसमें सात महिलाएं भीड़ में दबकर मारी गईं। हालांकि, प्रशासन ने इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया और मुख्यमंत्री ने भी इस पर चुप्पी साधे रखी। टीवी चैनल आज तक के सहयोगी चैनल लल्लन टॉप ने एक महिला का इंटरव्यू अपने चैनल पर दिखाया जिसमें वह महिला कहती हुई नजर आ रही है कि हमारी दुकान में ही 25 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और लाखों का सामान हमारा लोग लूट कर ले गए हैं इसकी भरपाई कौन करेगा ।
गुरुवार को प्रयागराज में भारी जाम की स्थिति बनी रही, और हजारों श्रद्धालु अपने घर लौटने के लिए परेशान थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बड़े विज्ञापन और होर्डिंग्स के बावजूद, श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में जाने से रोक दिया गया, जिससे लोग नाराज हो गए। वहीं, बनारस और अयोध्या में भी स्थिति बिगड़ गई, जहां भीड़ की वजह से यातायात की स्थिति खराब हो गई। महाकुंभ में पूरे देश में दूर दूर आए हुए लोग प्रयागराज के बॉर्डर पर खबर लिखे जाने के वक्त तक रुके हुए थे। जानकारी यह है कि प्रयागराज के चारों तरफ लगभग 15 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ रहा। लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ खाने पीने के सामान के लिए भी परेशान दिखे। तो प्रयागराज के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों ने जाम में फंसे लोगों के लिए चाय पानी बिस्कुट की व्यवस्था करवाई ।
कुंभ मेला प्रशासन ने अब एक नई रणनीति अपनाते हुए मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया है, ताकि वाहनों की घुसपैठ रोकी जा सके। इसके अलावा सभी वीवीआईपी पास को रद्द कर दिया गया है और मेला क्षेत्र में एकतरफा यातायात व्यवस्था लागू की गई है। साथ ही, 4 फरवरी तक प्रयागराज में चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने एडीजी और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को यातायात सुनिश्चित करने का आदेश दिया है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षित विदाई हो और शहर में कहीं भी यातायात या भीड़ का दबाव न बढ़े।
हादसे के कारणों की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इस पैनल में जस्टिस हर्ष कुमार, पूर्व महानिदेशक वी.के. गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वी.के. सिंह शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह मुआवजा उन परिवारों की पीड़ा को कम कर पाएगा जिनके प्रियजनों ने इस हादसे में अपनी जान खो दी?
सवाल जिनके जवाब जनता जानना चाहती है, पर देगा कौन ?
- महाकुंभ : छोटी-मोटी घटनाएं तो होती रहती हैं _ मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
- महाकुंभ हादसा : जो सरकार ने बताया क्या वह सच है
- अगर वह सच है तो उन सैकड़ो परिजनों के बारे में जानकारी क्यों नहीं मिल रही है जो अपने परिजनों की तलाश में परेशान प्रयागराज में घूम रहे हैं।
- कई ट्रालियों में भरकर जो मलबा फेंका गया है उसका सच क्या है ?
- सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहे हैं क्या यह सब झूठ है ?
- घटना के 36 घंटे बीतने के बाद भी सरकार ने भगदड़ के वीडियो क्यों नहीं जारी किए जबकि पूरा मेला क्षेत्र हाइटेक सीसीटीवी कैमरे की नजर में है।
- या जो आपने देखा वो क्या है?
- वो मात्र एक अफ़वाह है।
1 फरवरी को ऊपराष्ट्रपति पहुंचेंगी प्रयागराज
मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के बीच 1 फरवरी को ऊपराष्ट्रपति के प्रयागराज पहुंचने की संभावना है। योगी सरकार के ऊपर अब दोहरी जिम्मेदारी बन गई है कि राष्ट्रपति के पहुंचने के पहले किसी भी हालत में मेला क्षेत्र के चारों तरफ लगे हुए जाम को खत्म करवाना और राष्ट्रपति के आने के पहले और बाद में भी किसी प्रकार की भी आम नागरिकों को अव्यवस्था न होने पाए।
बृहस्पतिवार को एक बार फिर मेला क्षेत्र में लगी आग
बृहस्पतिवार को भी मेला क्षेत्र में एक बार फिर आग लग गई। हालांकि इस आग से किसी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं मिली है। आग मेला क्षेत्र के सेक्टर 22 में लगी जहां पर कई पंडाल जलकर राख हो गए। मेला क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी प्रमोद शर्मा के अनुसार सेक्टर 22 में आग लगने की सूचना आई थी। जहां पर आग टेंट में लगी हुई थी। आग की वजह से 15 से ज्यादा टेंट जलकर राख हो गए। आग पर काबू पा लिया गया। जिस जगह पर आग लगी थी उस जगह पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को पहुंचने में थोड़ा समय जरूर लगा चुकी यह रास्ता एक्सेस रूट पर नहीं था।
इसके पहले मेला क्षेत्र में 19 जनवरी को आग लगी थी जब सरकारी आंकड़ों के अनुसार 180 से ज्यादा कॉटेज जलकर राख हो गए थे। तब भी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार किसी प्रकार की कोई जनहानि नहीं हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार तब गीता प्रेस की रसोई में सिलेंडर से चाय बनाते वक्त गैस लीक हुई थी जिसकी वजह से आग लगी थी और कई सिलेंडरों में ब्लास्ट हो गया था, जिसकी लपटे ढाई से तीन किलोमीटर दूर तक देखी गई थी। मगर जनहानि कोई नहीं हुई थी इस बात के लिए मेला प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपाई थी।
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