शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाई जाती है हल्दी
जानें किस देवता और ग्रह से जुड़ा है संबंध
हल्दी की रस्म क्यों होती है: शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। इसका कारण यह है कि पीले रंग का सम्बध बृहस्पति, सूर्यदेव और मंगल से जोड़ा जाता है क्योंकि पीला रंग खुद में हल्का-सा लाल और नारंगी रंग भी समेटे हुए होता है। साथ ही पीला रंग विष्णु भगवान का रंग भी माना जाता है।
शादी की कई रस्मों में हल्दी की रस्म भी विशेष है। शादी से 3-4 दिन पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। विविधताओं से भरे इस देश में हल्दी की रस्म भी अलग-अलग तरीकों से निभाई जाती है। कहीं शादी से एक दिन पहले हल्दी की रस्म की जाती है, तो कहीं शादी की सुबह हल्दी लगाई जाती है। वहीं, बदलते परिवेश में अब दूल्हा-दुल्हन को एक साथ हल्दी लगाकर इसे ‘हल्दी सेरेमनी’ का रूप भी दिया जाता है। हल्दी की रस्म के धार्मिक महत्व की बात करें, तो हल्दी की रस्म केवल विवाह की एक रस्म भर नहीं है बल्कि इससे कई विशेष पहलू भी जुड़े हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं हल्दी की रस्म का धार्मिक महत्व।
इन ग्रहों का प्रतिनिधित्व करता है पीला रंग
पीले रंग का सम्बध बृहस्पति, सूर्यदेव और मंगल से जोड़ा जाता है क्योंकि पीला रंग खुद में हल्का-सा लाल और नारंगी रंग भी समेटे हुए होता है। विशेषकर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह को शादी और शादीशुदा जिंदगी के लिए अच्छा माना जाता है। हल्दी का संबंध भी बृहस्पति से है। इसलिए शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाने से उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। हल्दी नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर रखती है। ऐसा माना जाता है कि हल्दी लगाने से बृहस्पति ग्रह की कृपा बनी रहती है, जिससे शादीशुदा जिंदगी में खुशियां आती हैं। यही कारण है कि जिन लोगों के विवाह में अड़चन आती है, उन्हें गुरुवार का व्रत रखने का उपाय बताया जाता है क्योंकि बृहस्पति विवाह सम्बधों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
भगवान विष्णु का रंग है पीला
हल्दी का पीला रंग सौभाग्य से जोड़ा जाता है। भगवान विष्णु का रंग भी पीला ही माना जाता है। विवाह जैसे मांगलिक कार्यों में भगवान विष्णु की पूजा होती है और हल्दी उनकी पूजा में बहुत महत्वपूर्ण है। इसी कारण से भगवान विष्णु के दिन गुरुवार को उन्हें केले सहित पीले रंग की चीजों का भोग लगाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से नए जोड़े का जीवन खुशहाल बनता है।
अग्नि का रंग है पीला
हिंदू धर्म को अग्नि का विशेष महत्व है। अग्नि को एक देवता भी माना गया है। अग्नि में लाल, पीला और केसरिया रंग दिखाई देते हैं। मुख्य रूप से हवनकुंड में जलती हुई अग्नि पीले और गहरे पीले रंग की दिखाई देती है। पीले रंग को ताप और उष्मा से भी जोड़कर देखा जाता है। इन रंगों को नया जीवन, उल्लास, प्रेम और मंगल कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले रंग के तौर पर देखा जाता है। हल्दी को शरीर में लगाकर भीतर की उष्मा को जागृत करके नए जीवन के लिए तैयार किया जाता है।
हल्दी की रस्म में पहने जाते हैं पीले वस्त्र
पीले रंग को *•’पितांबर’* भी कहा जाता है जो गुरु का प्रतीक है और इसे धारण करने से गुरु का बल बढ़ता है। गुरु हमारे जीवन में भाग्य को जगाने का काम करते हैं। हल्दी की रस्म में इसलिए दूल्हा और दुल्हन को पीले रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं और फूलों से दुल्हन का श्रृंगार किया जाता है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!