बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अफसरों को दी सख्त हिदायत, तय नहीं कर सकते दोषी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी अधिकारी जज नहीं होते, और इसलिए वे यह तय नहीं कर सकते कि कौन दोषी है। अदालत ने ताकत के गलत इस्तेमाल को लेकर सख्त चेतावनी दी और अधिकारियों को कड़ी हिदायत दी कि किसी भी आरोपी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके साथ ही, कोर्ट ने 15 गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनका पालन किया जाना जरूरी होगा।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले पर अपना निर्णय सुनाया, जिसे 1 अक्टूबर को सुरक्षित कर लिया गया था। इस फैसले के बाद, कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर कई अहम बातें उठाईं, जिनसे यह साफ हुआ कि यदि किसी व्यक्ति का घर केवल आरोपी होने के आधार पर गिरा दिया जाता है तो वह पूरी तरह असंवैधानिक होगा।
1. ताकत का गलत इस्तेमाल नहीं सहा जाएगा
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति का घर इस आधार पर गिराया जाता है कि वह आरोपी है, तो यह गलत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिकारी स्वयं को जज मानकर किसी को दोषी नहीं ठहरा सकते। किसी आरोपी को बिना पूरी कानूनी प्रक्रिया के दंडित करना संविधान के खिलाफ है।
2. समाजिक और आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
अदालत ने यह भी कहा कि घर सिर्फ एक निर्माण नहीं होता, बल्कि यह किसी व्यक्ति के सामाजिक और आर्थिक संघर्ष का प्रतीक है। यदि किसी व्यक्ति का घर केवल आरोपों के आधार पर गिराया जाता है, तो यह पूरी परिवार को दंडित करने जैसा होगा, जो कि संविधान के खिलाफ है।
3. 15 गाइडलाइंस जारी
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की कार्रवाई के लिए 15 गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनके तहत किसी भी अवैध निर्माण को गिराने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होगा। इसमें शो कॉज नोटिस, व्यक्तिगत सुनवाई, और नोटिस की डिजिटल रिकॉर्डिंग जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसके अलावा, अवैध निर्माण गिराने के आदेश से पहले संबंधित व्यक्ति को 15 दिन का समय देने का भी प्रावधान किया गया है।
4. अधिकारी के खिलाफ होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई अधिकारी इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है, तो उसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उसे न सिर्फ मुआवजा देना होगा, बल्कि गिराए गए निर्माण को भी अपने खर्च पर दोबारा बनाना होगा।
कोर्ट के इस निर्णय ने स्पष्ट किया है कि सरकारी अधिकारियों को अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करने का कोई हक नहीं है, और किसी भी नागरिक के अधिकारों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है।
यह फैसला देशभर में बुलडोजर एक्शन और अवैध निर्माण गिराने को लेकर हो रही बहस में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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