सब्जियों के दाम आसमान पर, गरीबों की थाली से गायब पोषण
खबरी प्रशाद पंचकूला केशव माहेश्वरी
सर्दियों का सीजन स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है । ऐसे में हर किसी की थाली में अलग-अलग तरह की सब्जियों के साथ-साथ अलग-अलग वैरायटी के पराठे भी नजर आते हैं । पर 2024 की सर्दियों में सब्जी मंडी में सब्जियों के दाम इस बार आसमान छू रहे हैं ।
सर्दियों आते ही सब्जियों की महक से रसोई घर महकने लगती है। चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में सब्जियों के दाम इन दिनों आम आदमी के लिए सपने जैसे हो गई हैं। सर्दियों में जो सब्जियां कभी 10-20 रुपए प्रति किलो बिकती थीं, आज उनके दाम 50 से 80 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों की थाली से सब्जियां गायब होती नजर आ रही हैं।
बीते कल यानी 19 नवंबर को बाजार में सब्जियों के ये भाव सब्जी मंडी में थे । जबकि घरों के आसपास रेडी पर जो लोग सब्जी बेचने वाले आते हैं उनकी रेडी पर यही दम 20 से 30 रुपए किलो ज्यादा थे ।
टमाटर: ₹60 प्रति किलो
गोभी: ₹60 प्रति किलो
गाजर: ₹80-₹100 प्रति किलो
मूली: ₹30 प्रति किलो
आलू: ₹40-₹50 प्रति किलो
मटर: ₹80-₹100 प्रति किलो
प्याज: ₹50 प्रति किलो
चुकंदर: ₹50 की एक गाड़ी जिसमें चार चुकंदर आते हैं ।
पालक / बथुआ / साग ₹20 की एक गड्डी ( लगभग 300 ग्राम )
इनमें से गाजर और मटर जैसी सब्जियां, जो सर्दियों में आमतौर पर हर घर में खाई जाती हैं, अब केवल अमीरों की थाली तक सीमित रह गई हैं। गरीबों के लिए आलू, प्याज और टमाटर जैसी बुनियादी सब्जियां भी अब लग्जरी बन चुकी हैं।
सब्जियों के महंगे होने के कारण
- ठंड का देर से आना: सर्दियों के मौसम में देरी के कारण फसल की उपज प्रभावित हुई है।
- सर्दियों की शुरुआत में बारिश का न होना: बारिश की कमी ने खेतों में नमी घटा दी, जिससे सब्जियों की पैदावार में कमी आई।
- शादियों का सीजन: नवंबर और दिसंबर में शादियों का सीजन होने से सब्जियों की मांग बढ़ गई है, लेकिन आपूर्ति उतनी नहीं हो पाई है।
- पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर: परिवहन खर्च बढ़ने से सब्जियों के दाम और भी ऊपर चले गए हैं।
गरीबों की थाली पर असर
जब आलू, टमाटर और प्याज जैसी बुनियादी सब्जियां भी ₹40-₹60 प्रति किलो की रेंज में बिकेंगी, तो गरीब परिवारों के लिए दिन में एक वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा। दाल-सब्जी की जगह अब उनकी थाली में केवल सूखी रोटी और नमक बचा है। जो गरीब आदमी पहले 100 से 150 रुपए में हफ्ते भर की सब्जियां खरीद लेता था, आज वही राशि उसके लिए दो दिन का खर्च भी पूरा नहीं कर पाती है। पोषण की कमी से बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
सब्जियों के दाम आसमान पर, गरीबों की थाली से गायब पोषण
सरकार को जल्द से जल्द बाजार में सब्जियों की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने होंगे। मंडी शुल्क में कटौती, किसानों को सही कीमत और खरीदारों को राहत देने के लिए सब्सिडी जैसे उपाय किए जा सकते हैं।
महंगाई की यह मार न केवल लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन स्तर को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है। ऐसे में सब्जियों की कीमतों पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है।
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