प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर शंकराचार्य ने खोल दी मोदी सरकार की पोल
राममय कर बीजेपी की देशभर को भगवामय करने की तैयारी…
जनवरी 22, 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना निश्चित है जिसकी तैयारी जोरों शोरों पर चल रही हैं। अब इसी कार्यक्रम को लेकर लगातार विरोध के सुर भी दिखाई पड़ रहे हैं। पहले आपको बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के विरोध के सुर उठे क्यों हैं?
विरोध के सुर उठने की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट पर एक फोटो शेयर करने के साथ शुरू हुई। हालांकि जैसे ही यह विरोध के सुर उठे, भारतीय जनता पार्टी द्वारा वह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा ली गई। इस फोटो के अंदर दिखाया गया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के बाल स्वरूप को अयोध्या राम मंदिर में लेते जाते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेथ ने इस फोटो को लेकर सवाल खड़े किए थे और पूछा था कि क्या अब नरेंद्र मोदी भगवान श्री राम से भी बड़े हो गए हैं। जैसे ही कांग्रेस नेत्री के साथ-साथ अन्य विरोधी दलों ने भी इस फोटो का विरोध करना शुरू किया ओर भाजपा को अपनी गलती का एहसास हुआ और यह फोटो सोशल मीडिया से हटा ली गई। मगर विरोध यहीं पर खत्म नहीं हो जाता है। विरोध की मसाल अयोध्या के साधु संतों तथा जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरांद सरस्वती ने भी उठा ली है। सोशल मीडिया पर ही एक और वीडियो वायरल हुआ था जिसमें भगवा वस्त्र पहने हुए संत के द्वारा यह कहा जा रहा है कि हिंदू धर्म में जीवित पत्नी के रहते हुए किसी प्रकार का धर्म का काम करना पूरी तरीके से अनुचित है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक अपनी पत्नी के बिना ही नजर आते हैं। अगर वह अयोध्या में बिना पत्नी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आएंगे तो उनका विरोध किया जाएगा। वही शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 22 जनवरी 2024 को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
उनका कहना है कि आधे अधूरे बने हुए राम मंदिर पर क्यों प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। क्यों नहीं 2-3 महीने बाद में जब रामनवमी आने वाली है तब प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। दरअसल लोकसभा के चुनाव होने हैं और अगर अप्रैल के महीने में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जाएगा तो उसे समय चुनाव आचार संहिता लगी होगी। भारतीय जनता पार्टी इसका लाभ नहीं ले पाएगी। यही कारण है कि आनन फानन में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 22 जनवरी 2024 की तारीख प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए निर्धारित की गई है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद में बजट सेशन आएगा और बजट सेशन के तुरंत बाद ऐसी संभावना है कि चुनाव आचार संहिता लगाई जा सकती है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपूर्ण होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने देश के हर लोकसभा क्षेत्र से 5000 व्यक्तियों को अयोध्या लेकर आने की भी जिम्मेदारी वहां के सांसदों और विधायकों की लगाई है। लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी ने अबकी बार 400 पार के आंकड़े को पूरा करने के लिए कमर कस ली है और अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होने के साथ ही हर लोकसभा सीट से 5000 लोग और हर विधानसभा सीट से 2000 लोगों को अयोध्या ले जाए जाने की तैयारी की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार पूरे भारत की 543 लोकसभा सीटों से लगभग ढाई करोड़ लोगों को अयोध्या के दर्शन कराए जाने की योजना बनाई गई है जिसके लिए रेलवे की तरफ से प्राण प्रतिष्ठा एक्सप्रेस नाम की 100 स्पेशल ट्रेन चलाई जाने की योजना भी है। अयोध्या लाने ले जाने, वहां पर रहने और खाने का खर्च भी सांसद या विधायक को ही उठाना पड़ेगा।
भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा चुनाव 2024 जीतने का बड़ा गेम प्लान
याद कीजिए जब 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद का चुनाव लड़ने उतरे थे तब भाजपा सरकार द्वारा वादा किया गया था अच्छे दिन आएंगे, काला धन वापस आएगा, हर भारतीय के खाते में 15-15 लख रुपए आएंगे। जनता भी उस समय यूपीए सरकार के 10 साल के शासन में हो रहे भ्रष्टाचार से परेशान थी और वह बदलाव चाहती थी जिसका नतीजा हुआ की जनता ने दिल खोलकर भारतीय जनता पार्टी के वादों पर भरोसा किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई। अब आते हैं 2019 के चुनाव को लेकर 2019 के चुनाव के ठीक पहले पुलवामा हमला हुआ था। पुलवामा हमले के बाद में भारत ने जवाबी कार्रवाई की और एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को जवाब दिया था। जिसकी वजह से देश में एक तरह से देशभक्ति की लहर दौड़ गई और इस देशभक्ति की लहर पर भारतीय जनता पार्टी की सेना सवार होकर एक बार फिर चुनाव जीत गई। जो 2014 के वादे थे वह धीरे-धीरे भुला दिए गए। अब 2024 के चुनाव को लेकर भी कुछ इसी तरीके की तैयारी भारतीय जनता पार्टी की नजर आ रही है। 2024 लोकसभा चुनाव अप्रैल में में होने प्रस्तावित है। राम मंदिर का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी का एक ऐसा मुद्दा है जिसके दम पर 1990 से भाजपा राजनीति की राह पर चल रही है। 2024 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर प्राप्त प्रतिष्ठा कार्यक्रम करने के बाद एक तरह से दोबारा से राम मंदिर की लहर के सहारे चुनावी नैया पार करने की कोशिश में नजर आ रही है। क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा के ठीक बाद जनता सिर्फ और सिर्फ राम मंदिर को याद रखेगी जिससे जितने चुनावी वादे हैं वह सारे भुला दिए जाएंगे ना कोई महंगाई पर बात करेगा, ना बेरोजगारी पर, सब कुछ राममय की आड़ में भगवामय ही हो जाएगा। यही सबसे बड़ी वजह है कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरांद सरस्वती ने इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर सवाल खड़े किए हैं कि जबकि मंदिर अभी आधा अधूरा बना हुआ है तो इतनी जल्दी किस बात की है की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम किया जा रहा है।
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