समस्या समाधान शिविर : अब खुद बना रहे एक समस्या क्योंकि
जनता की शिकायतें कम , पर अधिकारी होते हैं ज्यादा
प्रदेश के हर जिले में रोजाना 10 बजे से 12 तक लगते हैं समाधान शिविर
हर शिविर के अंदर सभी विभागों के अधिकारियों को आना होता है
शिकायतें हैं कम इसलिए अधिकारी व्यस्त रहते हैं मोबाइल पर
खबरी प्रशाद चंडीगढ़
हरियाणा विधानसभा चुनाव के कुछ दिन पहले नायब सिंह सैनी सरकार ने जनता की शिकायतों को सुनने के लिए और उनका निवारण करने के लिए हरियाणा जिले के सभी उपायुक्त कार्यालय को निर्देश जारी किए थे कि रोजाना सुबह 10 बजे से 12 बजे तक यानी 2 घंटे के लिए समस्या समाधान शिविर लगाए जाएं। इन शिविरों में आम जनमानस की हर एक समस्या का समाधान किया जाए। यह प्रयास बहुत अच्छा था और इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। यहां तक कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना था कि समस्या समाधान शिविर पर आई हुई शिकायतों की वह खुद मॉनिटरिंग भी करते हैं। चुनाव के पहले लगाए गए समस्या समाधान शिविर चुनाव के बाद भी लगातार जारी हैं। लेकिन यदि आंकड़ों की बात की जाए तो लगभग हर जिले के आंकड़ों पर नजर डालने पर यह देखा गया कि शुरुआती दिनों में समस्या समाधान शिविर में जिस तरह की शिकायतें आ रही थीं, अब धीरे-धीरे वे कम होती जा रही हैं और अब ज्यादातर शिविरों में शिकायतें दहाई अंकों को भी नहीं छू पा रही हैं।
जबकि प्रत्येक समस्या समाधान शिविर में लगभग 30 से 35, कहीं-कहीं तो 50 से भी ज्यादा अधिकारियों को बैठना पड़ता है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि रोजाना (कामकाजी दिनों में) 2 घंटे जनता के काम नहीं होते हैं। क्योंकि जब अधिकारी समस्या समाधान शिविर में बैठे होंगे तो जनता के काम कौन करेगा। इसके अलावा, यह भी देखा जाता है कि जिन शिविरों को समस्या समाधान के लिए लगाया जाता है, वहां जब कोई शिकायतकर्ता नहीं होता तो अधिकारी सिर्फ मोबाइल में गेम खेलने या एक-दूसरे से बातचीत करने में व्यस्त रहते हैं। अधिकारियों की भी मजबूरी है क्योंकि मुख्यमंत्री के आदेश हैं कि वे 2 घंटे तक वहां से कहीं जा नहीं सकते। यदि वे वहां से चले गए और उनके विभाग से संबंधित कोई शिकायत आ गई तो जवाब कौन देगा।
ऐसे में यदि देखा जाए तो समस्या समाधान शिविर अब खुद एक समस्या बनकर खड़े हो रहे हैं।
एक अधिकारी ने ख़बरी प्रशाद अखबार से नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वर्तमान समय में समस्या समाधान शिविर रोजाना लगाने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सामान्यत: रोजाना किसी दिन 6 शिकायतें, किसी दिन 8 शिकायतें आ रही है। उनका कहना था कि जब 50 से ज्यादा अधिकारी या कर्मचारी शिविर में बैठे होते हैं और शिकायतें कम होती हैं तो जनता के काम रुक जाते हैं।
फिर समाधान क्या है?
इस समस्या के समाधान के लिए जब हमने कई और अधिकारियों से बात की तो किसी ने भी इस संबंध में कुछ ठोस बात नहीं की, बल्कि यह तक कहा कि हम जो आपसे बात कह रहे है यह व्यक्तिगत चर्चा है ,कही आप अखबार में हमारा नाम मत छाप देना । अधिकारियों का कहना था कि अब जरूरत हफ्ते में सिर्फ दो दिन समस्या समाधान शिविर लगाने की है। ऐसे में अधिकारी अपने दफ्तर में बैठकर जनता के काम कर सकेंगे और जिस दिन शिविर लगेगा, सिर्फ उसी दिन अधिकारी वहां जाएंगे। बाकी के कामकाजी दिन वे अपने दफ्तर में रहकर जनता के काम करेंगे।
एक अधिकारी ने इस समस्या का और भी अच्छा समाधान सुझाया। उन्होंने कहा कि समस्या समाधान शिविर लगाने के बजाय उपायुक्त कार्यालय में एक शिकायती डेस्क लगा दी जाए, जहां शिकायतें दर्ज हों और संबंधित विभागों के लिए निश्चित दिन तय किए जाएं। यदि कोई शिकायत आई है तो उसका जवाब तीन कामकाजी दिनों के अंदर मिल जाए। साथ ही, जब कोई शिकायत करता है तो उसे अगले तारीख के बारे में सूचित कर दिया जाए कि इस दिन उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा । इस तरह सभी अधिकारी अपने दफ्तर में बैठकर जनता के काम करेंगे और कोई समस्या समाधान शिविर में नहीं जाएंगे।
अगर सरकारी दृष्टिकोण से देखा जाए तो अधिकारियों का कहना कुछ हद तक जायज भी लगता है। जब सरकार चुनावी दौर में थी, तब सरकार को समस्या समाधान शिविर लगाने की जरूरत थी और जब शिविर लगाए गए थे, तब शिकायतें भी खूब आ रही थीं। यही कारण था कि जनता ने दिल खोलकर सरकार को वोट दिया और सरकार वापस आई। लेकिन अब जब शिकायतें कम हो चुकी हैं, तो अब आदेश में बदलाव की जरूरत है। समस्या समाधान शिविर को रोजाना लगाने की बजाय हफ्ते में दो या तीन दिन कर दिया जाए या फिर एक अलग से सभी उपायुक्त कार्यालय में एक डेस्क लगा दी जाए और एक कर्मचारी की ड्यूटी उस पर लगा दी जाए। इस तरह से वहां पर रोज 2 घंटे में आने वाली शिकायतों को दर्ज किया जाए और शिकायतकर्ता को अगली तारीख दे दी जाए। इसका फायदा यह होगा कि अधिकारी अपने दफ्तर में बैठेंगे और जनता के काम कर सकेंगे । और जो भी शिकायत जी भी अधिकारी की होगी उसे निश्चित समय अवध में उनका उसका जवाब भी देना होगा ।
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