साकिया : यही रात अंतिम यही रात बाकी ,
जा पर कृपा राम की होई , सत्ता सुख पावे वही भाई ।
आखरी मौका आज , कल तो आना है फैसला
साकिया आज मुझे नीद नही आयेगी , सुना है तेरे यहां कल चुनाव है । साहब आज साकिया को नीद आ भी कैसे सकती है । क्योंकि मेयर चुनाव इज्जत के साथ साथ नाक का भी सवाल बन गया है । डर दोनो तरफ पूरा है । जहां एक को अपनी सत्ता की हनक जाती हुई लग रही है , तो दूसरे को भी डर लग रहा है , कि इतनी आसानी से सत्ता धारी क्या सत्ता को छोड़ देंगे , या फिर कही 24 घंटे मे फिर कोई नया खेला न हो जाए । इसलिए रतजगा अगर वहां होगा तो रतजगा यहां भी होगा । सत्ताधारी दल के भी नए-नए साहब की इज्जत दांव पर लगी हुई है अगर कहीं लुटिया डूब गई तो जवाब तो बड़े साहब तक देना पड़ेगा । और इज्जत बचाने में अगर कामयाब हो गए तो इस स्थिति में पीठ भी थपथपाई जाएगी और इनाम भी मिलेगा । कमोबेश यही स्थिति दूसरी तरफ की भी है अगर उधर लुटिया डूब गई तो जवाब उनको भी ऊपर तक देना पड़ेगा और अगर बाजी मार ले गए तो इनाम मिलने की पूरी पूरी संभावना है ।
और पिछले कुछ दिनों में जब से राम राज्य आया है तब से समाज में देसी घी के लड्डू भी खूब बांटे जा रहे हैं । सुना है कुछ लड्डू के डब्बों में सोने , चांदी यहां तक कि हीरे की भी अंगूठियां डाली गई थी । क्या पता किसी को लड्डू के बीच में या फिर लड्डू के डब्बों में आशीर्वाद स्वरुप कोई सी अंगूठी ही मिल जाए या फिर कुछ और तरीके से आशीर्वाद मिल जाने की भी संभावना है । लड्डू का डब्बा अब तक मिला तो कई लोगो को , पर अभी तक किसी ने भी अंगूठी मिलने की बात नहीं बताई । खैर पता तो चल ही जाएगा आज नहीं तो कल ,, आखिर ऐसी बाते छुपती भी तो कहां है ।
अंतिम मे फिर शुभकामनाओं के साथ साकिया से सिर्फ यही कहना चाहेंगे , कि भले रात में नींद आए या ना आए मगर, जा पर कृपा राम की होई , सत्ता सुख पावे वही भाई ।
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