रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर: डॉलर के मुकाबले 27 पैसे गिरकर 86.31 पर पहुंचा, महंगाई और बढ़ेगीनई दिल्ली, 13 जनवरी
रुपया आज अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यह 27 पैसे कमजोर होकर 86.31 पर बंद हुआ। यह गिरावट भारतीय मुद्रा के इतिहास में एक नए रिकॉर्ड को दर्शाती है। इससे पहले 10 जनवरी को रुपया 86.04 पर बंद हुआ था।
आज का दिन रुपए के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। शुरुआती कारोबार में डॉलर 86.12 पर खुला, लेकिन कुछ ही घंटों में भारतीय मुद्रा ने 27 पैसे की गिरावट दर्ज की। इस गिरावट ने इंपोर्ट महंगा कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की मुद्रा को कमजोर स्थिति में ला दिया है।
रुपया गिरने के कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि हालिया गिरावट के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:
- विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकासी।
- वैश्विक जियोपॉलिटिकल तनाव, जिसका सीधा असर भारतीय मुद्रा पर पड़ा है।
- अमेरिका में डॉलर की मजबूती।
रुपए की गिरावट से महंगाई पर असर
रुपया कमजोर होने का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा।
- इंपोर्ट महंगा होगा: कच्चे तेल, गैस, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आयातित उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी।
- विदेश में पढ़ाई और घूमना महंगा होगा: छात्रों और पर्यटकों को अब 1 डॉलर के लिए 86.31 रुपए खर्च करने होंगे।
- महंगाई बढ़ेगी: घरेलू बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।
कुछ फायदे भी, लेकिन नुकसान भारी
रुपए की कमजोरी से एक्सपोर्टर्स और भारतीय मेडिकल टूरिज्म को फायदा हो सकता है। साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए भारत में घूमना सस्ता हो जाएगा। हालांकि, महंगाई और विदेशी निवेश में कमी जैसे बड़े नुकसान इसकी तुलना में भारी पड़ेंगे।
डॉलर और रुपए का दशकवार प्रदर्शन
भारतीय मुद्रा पिछले कई दशकों से डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है। यह स्थिति वैश्विक व्यापार और आर्थिक दबावों का परिणाम है।
साल | 1 USD की कीमत (INR में) |
---|---|
1950 | 4.76 |
1960 | 4.77 |
1970 | 7.50 |
1980 | 8.39 |
1990 | 17.01 |
2000 | 43.50 |
2010 | 46.21 |
2020 | 73.78 |
2025 | 86.31 (वर्तमान) |
पिछले 75 वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया 18 गुना से अधिक कमजोर हो चुका है। खासकर 1990 के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में आए बदलावों और भारत के विदेशी व्यापार पर बढ़ती निर्भरता ने इस कमजोरी को बढ़ावा दिया है।
डॉलर का दबदबा जारी
गौरतलब है कि वैश्विक व्यापार का लगभग 85% हिस्सा अमेरिकी डॉलर में होता है। इसके अलावा, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार का 64% डॉलर के रूप में है। इस स्थिति में रुपए को स्थिर रखने की चुनौती और बढ़ जाती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट करते हुए कहा:
“रुपया गिरता जा रहा है
ग्रोथ थमती जा रही है
महंगाई बहुत है
बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है
किसान परेशान हैं
इन्हें परवाह किसकी है? सिर्फ अडानी की।”
अगले कदम पर नजर
रुपए की गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने और महंगाई पर काबू पाने के लिए आर्थिक नीतियों में सुधार जरूरी है।
रुपए की ऐतिहासिक गिरावट देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है। इस स्थिति में सरकार और वित्तीय संस्थानों को मिलकर नीतिगत कदम उठाने होंगे, ताकि भारतीय मुद्रा अपनी स्थिरता वापस पा सके।
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