आरएसएस का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग तेज, मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण पर विवाद
नई दिल्ली
स्वतंत्रता दिवस 2025 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार लाल किले से तिरंगा फहराया और रिकॉर्ड 103 मिनट का भाषण दिया। भाषण में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का उल्लेख करते हुए उसकी भूमिका का महिमामंडन किया। इसी को लेकर अब देशभर में राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ गई है। कई संगठनों और नेताओं ने सवाल उठाते हुए आरएसएस से उसकी संपूर्ण बुनियादी और वित्तीय जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है।
15 दिन में आरएसएस का बायोडाटा सार्वजनिक करने की मांग
लखनऊ में आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को पत्र लिखकर संगठन से जुड़ी सभी बुनियादी जानकारियों को सार्वजनिक करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि—
- आरएसएस देश का सबसे बड़ा सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन होने का दावा करता है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन, बैंक अकाउंट, पैन नंबर, आयकर छूट, एफसीआरए अनुमोदन, वार्षिक रिपोर्ट और सरकारी जमीन आवंटन से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि संगठन अपने सभी दस्तावेज़ आधिकारिक वेबसाइट पर डाले।
- यह जानकारी 15 दिन में उपलब्ध करानी चाहिए।

स्वतंत्रता दिवस पर उठी ‘समानता’ की बहस
पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने स्वतंत्रता दिवस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि असली आज़ादी अभी भी देश के गरीब और वंचित वर्गों तक नहीं पहुंची है। उन्होंने लिखा—
“आज भी थानों, राजस्व दफ्तरों और प्रशासनिक कार्यालयों के बाहर खड़े गरीबों को देखकर लगता है कि स्वतंत्रता केवल शक्तिशाली लोगों तक सीमित है। हम आज़ाद हैं लेकिन समान नहीं।”
“प्रधानमंत्री जनता के नहीं, नागपुर के आदेशपाल”
राजनीतिक विश्लेषक आलोक शर्मा ने मोदी के भाषण पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा—
- प्रधानमंत्री ने लाल किले से राष्ट्र के मुद्दों के बजाय RSS की चर्चा की, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अविश्वास और राजनीतिक मजबूरी को दर्शाता है।
- “मोदी की कुर्सी अब मोहन भागवत की कृपा पर टिकी है। लाल किले से RSS का नाम लेना यह स्वीकारोक्ति है कि देश के प्रधानमंत्री जनता के नेता नहीं, बल्कि नागपुर के आदेशपाल हैं।”
- शर्मा ने याद दिलाया कि RSS ने अपने अस्तित्व के 52 साल बाद तिरंगा फहराया और नागपुर में उन बच्चों को जेल भेज दिया गया, जिन्होंने संघ मुख्यालय पर तिरंगा फहराने की कोशिश की थी।
सोशल मीडिया पर गरमाहट
मोदी के भाषण के बाद सोशल मीडिया पर दो धाराएं साफ दिख रही हैं—
- समर्थक RSS की तारीफ को “राष्ट्रवाद का सम्मान” मान रहे हैं।
- विरोधी इसे “लोकतंत्र की संस्थाओं से ध्यान भटकाने की कोशिश” बता रहे हैं।
प्रधानमंत्री के भाषण ने एक बार फिर RSS की भूमिका और उसके कानूनी ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष और सामाजिक संगठनों की मांग है कि संघ को अपनी पारदर्शिता साबित करनी होगी। अब निगाहें संघ और सरकार की ओर हैं कि क्या वाकई अगले 15 दिनों में वह अपनी संपूर्ण जानकारी सार्वजनिक करेंगे या विवाद और गहराएगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!