शरद ऋतू और कोहरे में नियंत्रित गति और सावधानी से ही रुकेंगे सड़क हादसे लेखक- डॉ. अशोक कुमार वर्मा
शरद ऋतू में कोहरे के कारण हरियाणा में अनेक स्थानों पर सड़क दुर्घटनाओं में 9 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 65 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। इतना ही नहीं उत्तर भारत में शरद ऋतू में अनेक हवाई उड़ाने प्रभावित हो रही हैं तो दूसरी और विभिन्न रेलगाड़ियां घंटों देर से चल रही हैं। ऐसा प्रत्येक वर्ष हो रहा है। हरियाणा प्रान्त के झज्जर में वर्ष 2019 में 50 वाहन भिड़े थे जिसमे 8 लोगों की मृत्यु हो गई थी। मरने वालों में 7 महिलायें व् 1 पुरुष शामिल है। अधिकतर मृतक एक ही परिवार के थे। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार प्रतिवर्ष भारतवर्ष में कोहरे के कारण जहाँ एक और सड़क, रेल और हवाई यातायात के साधन बाधित होते हैं वहीँ दूसरी और प्रति वर्ष हज़ारों लोगों का जीवन इन दुर्घटनाओ में समाप्त हो जाता है। कोहरा होने पर सड़कों पर दिखाई देना बहुत कठिन हो जाता है और कई बार तो दिखाई देना बिलकुल बंद ही हो जाता है। ठिठुरती सर्दी में वाहन चलाना और अचानक कोहरे की चादर को फाड़ते हुए सड़क पर सामने आने वाले वाहन से बचना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ मानते है कि कोहरे में सड़क दुर्घटना की संभावना और बढ़ जाती है। ऐसे में वाहन चालाक को केवल सड़क पर बनी सफ़ेद पट्टी का सहारा लेना पड़ता है या अपने से आगे चल रहे वाहन का अनुसरण करना एक विकल्प शेष बचता है। कोहरे के कारण गाड़ियां सड़कों पर दौड़ने की बजाय रेंगती हुई नजर आती हैं। गाडी में सवार हरेक व्यक्ति का हृदय डर से धड़क रहा होता है क्योंकि न जाने कौन सा वाहन सामने से आ जाए ओर दुर्घटना हो जाए। ऐसे में वाहन चालक को कभी भी ओवरटेक नहीं करना चाहिए। केवल और केवल अपनी ही लाइन में चलते रहे और साथ ही हॉर्न का प्रयोग भी करते रहे।
प्राय: देखने को मिलता है कि उत्तर भारत में लोग सड़कों पर बैल गाडी, घोडा गाडी, झोटा बुग्गी और ट्रेक्टर ट्रॉली का अत्यधिक प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त व्यावसायिक कार्यों के लिए ट्रक, कैंटर आदि का प्रयोग होता है। कोहरे का मौसम आने के बावजूद इन सब में हेड लाइट, बैक लाइट, फॉग लाइट का कतई प्रयोग नहीं करते जबकि व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस में बारीकी से इन्हीं चीजों को देखा जाता है लेकिन पता नहीं लगता कि कैसे ये वाहन नियमों का पालन न करते हुए सड़कों पर आ जाते हैं और यही कारण है कि कोहरे के समय सड़क दुर्घटनाओ की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
कहते हैं हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती लेकिन कुछ चमकने वाली चीजे दुर्घटनाएं रोक सकती हैं जैसे कि गाडी का रिफ्लेक्टर. रिफ्लेक्टिव टेप अँधेरे में या धुंध में रौशनी पड़ने पर चमकती है। सभी सामान व् सवारी ढ़ोने वाले वाहनों पर पीछे 50 मि.मी. की लाल रंग की, साइडों में पीले रंग की व् आगे सफ़ेद रंग की रैटरो रिफ्लेक्टिव टेप लगी होनी चाहिए। कोहरे में सड़क पर सामने सावधानीपूर्वक देखते हुए चलें तथा गाड़ी चलाते समय खाना, पीना, सिगरेट या तेज आवाज में संगीत नहीं सुनें। यदि कोहरा ज्यादा घना दिखाई पड़ रहा हो तो सुरक्षित स्थान पर गाड़ी रोककर उसे छटने दें और उसके बाद ही आगे बढ़े। ऐसे में आवश्यक है कि लोग कोहरे में सड़क पर चलें तो पूरी सावधानी बरतें। यातायात के नियमों का पालन करने के साथ ही गाडी की गति पर भी नियंत्रण रखें। धैर्य और सावधानी बरतकर दूसरों के जीवन के साथ स्वयं को भी सुरक्षित रख सकते हैं। सबसे आवसश्यक बात यह है कि प्रत्येक वाहन चालक को वैद्य ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए बिचोलियों का सहारा नहीं लेना चाहिए। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया और परीक्षा देकर सड़क नियमों का ज्ञान अवश्य प्राप्त करें तो सड़क दुर्घटनों में बहुत कमी आ सकती है क्योंकि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए एक दो परीक्षण लिए जाते हैं ओर वे सबके लिए अत्यावश्यक हैं। ऐसा करके जहाँ एक ओर हम सड़क सुरक्षा व् यातायात के नियमों बारे बहुत कुछ सीखते हैं वहीँ दूसरी ओर भ्रष्टाचार को मिटाने में अपना योगदान देते हैं।
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