पहली बरसात में मोदी का विकास मॉडल पानी से बहा, हादसों की जवाबदारी किसकी ?
ना खाऊंगा , ना खाने दूंगा की सच्चाई बरसात ने दिखाई
तीन दिन में तीन एयरपोर्ट ,करोड़ों रुपए से श्री राम मंदिर ने खोल दी भ्रष्टाचार की पोल
ज्यादातर जगहों पर ठेके गुजरात की कंपनियों को मिलने के आरोप ?
अभी मोदी सरकार नीट पेपर लीक मामले से ढंग से उबर भी नही पाई थी की साल की पहली बरसात की शुरुआत होते ही मोदी सरकार के विकास मॉडल की पोल खुल गई। रामलला की नगरी अयोध्या हो या दिल्ली इंदिरा गांधी के टर्मिनल 1 की छत हो या जबलपुर एयरपोर्ट या नवनिर्मित हाईटेक राजकोट एयरपोर्ट हो या बिहार में कई पुलों के टूटने का मामला हो या गत वर्ष उज्जैन महाकाल मंदिर हो , इन सभी ने मोदी सरकार के विकास मॉडल की पोल खोल दी है। मानसून के आते ही इन जगहों पर निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्ष ने इन हादसों के लिए पूर्ण रूप से मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है । पर सवाल इस बात का है कि आखिरकार इन हादसों की जिम्मेदारी है किसकी क्या सरकार की या प्रशासनिक अधिकारियों की या फिर हर बार की तरह नेहरू गांधी परिवार पर ही फूटने वाला है
प्री मानसून बारिश से ही अयोध्या में भरा पानी
प्री मानसून बारिश में ही अयोध्या की सड़कों पर जलभराव की स्थिति बन गई। निर्माणाधीन राम मंदिर की छत से पानी टपकने लगा है। हालात तो यह है की गर्भ गृह में पानी टपक रहा हैं। इसके अलावा करोड़ों रुपए खर्च बनाए गए रामपथ की सड़क भी पहली बारिश में सड़कें धंसने लग गई हैं। सड़क में कई जगह गड्ढे तो इतने गहरे हैं की पूरा का पूरा इंसान गड्ढे में समा जाए। इस पर अखिलेश यादव ने सरकार की आलोचना करते हुए कार्रवाई की मांग की है। यूपी सरकार ने इस पर एक्शन लेते हुए पीडब्लूडी और जल निगम के 6 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव ने क्या कहा?
सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि “जो हर तरफ ‘भ्रष्टाचार का सैलाब’ है। उसके लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “अयोध्या के हालात देखने के बाद मैं सरकार से जवाब मांगने का काम करूंगा। अभी तो बरसात शुरू भी नहीं हुई है कि पानी की समस्या अयोध्या के मंदिर में मुश्किलें पैदा करने लगी है। छत से पानी टपकने के साथ रामपथ का भी बुरा हाल है। वहा की सड़क धसने लगी है। सहादतगंज से नया घाट तक लगभग साढे़ 13 किलोमीटर लंबी इस सड़क का काम हाल ही में पूरा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि सहादतगंज हनुमानगढ़ी, रिकाबगंज जेसे स्थानों पर सड़क धंसने वाली जगह में पीडब्ल्यूडी ने गिट्टी और मिट्टी डाल कर निर्माण कार्य में हुई अनियमितता पर पर्दा डालने की कोशिश करी गई है।
सोशल मीडिया पर हर जगह अयोध्या की फोटो वायरल होने के बाद यूपी सरकार ने इसके ऊपर एक्शन लेना शुरू कर दिया है।यूपी सरकार ने लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी और जल निगम के 6 इंजीनियरों-अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। अयोघ्या में अकेले सड़कों, सीवर लाइनों के निर्माण के लिए 600 करोड़ से भी अधिक धनराशि खर्च की गई थी। अब इस पर बंदर बांट का आरोप लगा शुरू हो गया है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट सोपा गया था। कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि “बिजली की तार लगाने के लिए इलेक्ट्रिक काउंटयूजर लगाए गए हैं, जो फिलहाल खुले हुए हैं। बारिश का पानी इन्हीं से होकर जाता है, लेकिन इतना नहीं की अंदर जल जमा हो जाए। कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद उसे बंद कर दिया जाएगा।”
अब तक छह अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है जिनका नाम है- ध्रुव अग्रवाल (कार्यकारी इंजीनियर), अनुज देशवाल (सहायक इंजीनियर), जल निगम के जूनियर इंजीनियर मोहम्मद शाहिद, प्रभात पांडे (जूनियर इंजीनियर), आनंद कुमार दुबे (कार्यकारी इंजीनियर) और राजेंद्र कुमार यादव (सहायक इंजीनियर)
वही अयोध्या मंदिर मामले को लेकर मंदिर के व्यवस्थापकों का कहना है कि मंदिर के अंदर पानी की जो तस्वीर अखबारों में और मीडिया में दिखाई जा रही है यह पूरी तरीके से गलत है ऐसा कुछ भी नहीं है । अब मंदिर की व्यवस्थापकों ने यह बयान किसके कहने पर दिया होगा और क्यों दिया होगा इस बात को यहां लिखने की हम जरूरत महसूस नहीं करते ।
विनोद शर्मा नाम के एक यूजर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा मोदी सरकार को चाहिए की अयोध्या में भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी राजा दशरथ की सर पर डाल दें ।
जबलपुर एयरपोर्ट हादसा
मध्य प्रदेश के जबलपुर एयरपोर्ट पर भी बरसात का कहर देखने को मिला। ऐसा माना जा रहा है कि काम में किसी न किसी तरीके की लापरवाही बरती गई है। जिसका नमूना देखने को मिला। एयरपोर्ट पर एक कार खड़ी हुई थी और उस पर कैनोपी टेंट का हिस्सा गिर गया। वह कार यात्री को छोड़ने आई थी। इसके बाद जबलपुर एयरपोर्ट के डायरेक्टर ने जांच के निर्देश दिए हैं। इसी साल 10 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली जबलपुर डुमना एयरपोर्ट का शिलान्यास और उद्घाटन किया था और इतनी जल्दी यह कमजोर पड गया ।
इस एयरपोर्ट को 450 करोड़ की लागत से बनाया गया था। एयरपोर्ट से भ्रष्टाचार की पोल खुल चुकी है। दरअसल टर्मिनल बिल्डिंग के पोर्च में केनोपी टेंट लगाया गया है ताकि बारिश का पानी टर्मिनल बिल्डिंग के अंदर ना जा सके। हालांकि बारिश का पानी कैनोपी टेंट से बाहर भी नहीं निकल पाया, जिसके कारण टेंट के ऊपर पानी का भार बढ़ गया और लोहे के टेंट का एक हिस्सा कार के ऊपर गिर गया। अब इस मामले की जांच की जा रही है कि आखिरकार कहां टेक्निकल फॉल्ट आया, जिसकी वजह से लोहे का एक बड़ा हिस्सा टूट कर गिर गया।
एयरपोर्ट हादसे पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने एक्स पर लिखा- “अत्यंत शर्मिन्दगी का विषय है कि अभी चुनाव पूर्व जबलपुर एयरपोर्ट टर्मिनल की जिस बिल्डिंग का प्रधानमंत्री द्वारा धूमधाम से उद्घाटन किया गया था, वह बिल्डिंग चंद महीने और एक बरसात भी नहीं चल पायी। जबलपुर की जनता के चार सौ करोड़ रूपए की बर्बादी। क्या किसी पर कार्यवाही होगी?”
इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल 1
दिल्ली एनसीआर में बारिश की वजह से शुक्रवार सुबह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल 1 पर पार्किंग की छत गिर गई। इस हादसे में एक कैब ड्राइवर की मौत और 8 घायल हुए। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टर्मिनल 1 का 10 मार्च को उद्घाटन किया था और वहां की छत गिर गई। दिल्ली एयरपोर्ट पर हुए हादसे की तस्वीरों ने दिल दहला दिया है। फिलहाल इस घटना के बाद टर्मिनल 1 से उड़ने वाली सारी फ्लाइट को रोक दिया गया है।
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट टर्मिनल वन पर हुई घटना के साथ अयोध्या कांड को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को घेरा और लिखा कि “मार्च में प्रधानमंत्री जी ने दिल्ली एयरपोर्ट टर्मिनल-1 का उद्घाटन किया था, आज उसकी छत ढह गई जिसमें एक कैब ड्राइवर की दुखद मृत्यु हो गई। तीन महीने पहले प्रधानमंत्री जी ने जिस जबलपुर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था, उसकी भी छत ढह गई। अयोध्या में निर्माण कार्यों के खस्ताहाल पर पूरा देश दुखी है। यह भाजपा का “चंदा लो और धंधा दो” का भ्रष्टाचारी मॉडल है जिससे अब पर्दा उठ चुका है। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री उद्घाटन मंत्री जी क्या इन घटिया निर्माण कार्यों और इस भ्रष्टाचारी मॉडल की जिम्मेदारी लेंगे?”
दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 का जो हिस्सा गिरा है उसे जीएमआर ने विकसित किया था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 की छत साल 2008-09 के दौरान बनी थी। जीएमआर ने प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर्स के जरिये यह काम कराया गया था।
बिहार में टूटा पुल
बिहार में पुल गिरना थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार के अररिया जिले में कुछ दिन पहले ही करोड़ों की लागत से बन रहा पुल गिर गया था और उसके बाद बिहार के सीवान जिले से बड़ी खबर सामने आई, जहां गंडक नहर पर बना पुल अचानक टूट गया। पुल के गिरने से आई आवाज ने इलाके में हड़कंप मचा दिया।
इससे पहले जो पुल इलाके में बना हुआ था उसकी हालत भी खराब हो चुकी थी और उद्घाटन से पहले ही पुल टूट जाने से कई ग्रामीणों ने विभाग पर सवाल उठाए है । बिहार में मार्च के महीने में सुपौल में केंद्र सरकार की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी भारत माला योजना के तहत कोसी नदी पर बकौर से भेजा घाट पुल का निर्माणाधीन हिस्सा गिर गया था और उस में 1 मजदूर की मौत हो गई थी, यहां तक की 10 लोग घायल भी हुए थे। यह हादसा 22 मार्च सुबह 7:00 बजे हुआ था। वर्ष 2023 में भी 4 जून के दिन भागलपुर के सुल्तानगंज से खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर बन रहे पुल के पिलर नंबर 10, 11 और 12 व सेगमेंट अचानक टूटकर नदी में बह गए थे। यह पुल 1710 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था।
राजकोट एयरपोर्ट की कैनोपी गिरी
शनिवार को गुजरात के राजकोट एयरपोर्ट की कैनोपी गिर गई । हालांकि इस हादसे में किसी प्रकार के जानवर के नुकसान की खबर नहीं मिली है । परंतु तीन दिन में तीन एयरपोर्ट पर हुए हादसे ने एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था और विकास व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं ।
बताया जा रहा है कि शनिवार को ही राजकोट में मानसून ने एंट्री ली है और इस सीजन की पहली बारिश में ही राजकोट एयरपोर्ट के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है । 27 जुलाई 2023 को राजकोट एयरपोर्ट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था । 1405 करोड रुपए की लागत से 23000 वर्ग मीटर बने इस एयरपोर्ट पर हर घंटे लगभग 1300 यात्रियों के संचालन की क्षमता है ।
हाईटेक सुविधाओं से लेस है राजकोट एयरपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गुजरात का राजकोट एयरपोर्ट हाईटेक सुविधाओं से लैस है । इस एयरपोर्ट पर सोलर पावर सिस्टम ग्रीन बेल्ट रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी सुविधाएं हैं । और यहां से एयरबस a380 बोइंग 747 बोइंग 770 जैसे विमान उड़ सकते हैं , और उत्तर भी सकते हैं ।
गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने राजकोट हवाई अड्डे पर कैनोपी गिरने की घटना पर कहा, “11 महीने भी नहीं हुए हैं देश के प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करके गए थे। 11 महीने में कैनोपी गिर जाती है। अच्छा है उसके नीचे उस समय कोई नहीं था वरना किसी की जान चली जाती। भयमुक्त भ्रष्टाचार हो रहा है इसके ये नतीजे हैं।”
मोदी सरकार पर उठे हैं सवाल
अगर बात इंदिरा गांधी और जबलपुर एयरपोर्ट की जाए तो दोनों एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद यह हादसा हुआ, बिहार में भी लगातार पुल टूटते रहे है और अयोध्या के राम मंदिर को लीकेज का मंदिर बताया जा रहा है। ऐसे में कई सारे सवाल खड़े होते हैं कि आखिर देश का विकास हो रहा था या इसमें भी किसी तरीके का कोई भ्रष्टाचार मिला हुआ है? लोगों का कहना है कि इसे भाजपा सरकार के विकास मॉडल से पहचाना जाए या भ्रष्टाचार मॉडल से। एक और सवाल खड़ा होता है की क्या बारिश का कसूर बता कर प्रशासन की लापरवाही छुप सकती है? आखिर इन हादसों की जवाबदारी कौन लेगा?
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अब शायद ही कोई ऐसी जगह बची हो जहां भाजपा ने भ्रष्टाचार ना किया हो? इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 को लेकर भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि इसका निर्माण कांग्रेस के समय हुआ था। इस बात पर भी एक सवाल उठता है कि क्या निर्माण के बाद एयरपोर्ट की मेंटेनेंस जरूरी नहीं थी? आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि जहां-जहां बीजेपी वहां भ्रष्टाचार होगा। चाहे अयोध्या हो, दिल्ली एयरपोर्ट टर्मिनल 1, जबलपुर एयरपोर्ट या बिहार के पुल हर जगह दुर्घटना होती हुई नजर आ रही है। क्या इनके निर्माण में किसी तरीके का घपला किया गया था? क्या इनका उद्घाटन समय से पहले कर दिया गया था? बिहार के पुल का तो उद्घाटन भी नहीं हुआ था की पुल ने पहले ही समाधि ले ली। जहां एक तरफ मोदी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देख रही है वही उन्हीं के राज में विकास होने से पहले ही पानी के प्रभाव से इमारतें, छते और पुल टूटने लगे हैं। अब क्या यह कहना सही होगा कि यह विकास कितना खोखला है इस बात का खुलासा बारिश ने कर दिया।
गुजरात मोरबी पूल हादसा 141 की मौत
18 महीने पहले गुजरात में ही मोरबी नदी पर बना पुल टूट गया था जिसमें 141 लोगों की जान चली गई थी । इस पल का निर्माण करने वाली कंपनी भी गुजरात की थी और पूल को बिना फिटनेस प्रमाण पत्र दिए हुए ही शुरू कर दिया गया था । हादसे के बाद हुई सरकारी जांच में यह पाया गया था कि इसके सरियों में कई जगह जंग लगे हुए थे ।
विपक्ष के लगातार हमले के बावजूद भी हर बार की तरह इस बार भी एक जांच कमेटी बना दी गई है जो इस बात की तहकीकात करेगी कि आखिरकार तीनों एयरपोर्ट पर क्या वजह थी जो हादसे हुए । पर पुराने अनुभव यही कहते हैं की जांच कमेटिया सिर्फ एक बार मामले को ठंडा करने के लिए बनाई जाती है और अगर किसी कमेटी की जांच रिपोर्ट आ भी जाती है तो उस पर अमल हो जाएगा इस बात की संभावना कम ही बनी रहती है । रही बात अयोध्या के श्री राम मंदिर की तो जैसे ही इस बात की खबरें सोशल मीडिया के माध्यम से अखबारों की और टीवी मीडिया की सुरक्षा बनी अगले ही दिन अयोध्या मंदिर के व्यवस्थापकों के बयान आने शुरू हो गए कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ ना तो राम मंदिर में किसी प्रकार की लीकेज हुई ना ही किसी प्रकार से बरसात ने राम मंदिर में नुकसान किया । परंतु यह बयान देने के पहले व्यवस्थापक यह भूल गए कि जो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है , जनता उन सभी बातों को जानती है अच्छी तरीके से समझती भी है ।
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