राम राज्य में “सुप्रीम” फटकार
मेयर चुनाव पर सुप्रीम फैसले से भाजपा आई टेंशन में
क्या तीसरी नजर लगाएगी बीजेपी के सपनो पर ब्रेक ?
चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी जहां पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मेयर चुनाव को लेकर प्रीसाइडिंग ऑफीसर अनिल मसीह पर सख्त एव कड़ी टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा यह पूरी तरह से वीडियो में स्पष्ट है कि उन्होंने (चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ) बैलट पेपर को खराब किया। क्या इसी तरह से वह चुनाव का संचालन करते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है और लोकतंत्र की हत्या है। प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया की शाम 5:00 बजे तक (सोमवार को क्योंकि आप अखबार मंगलवार को पढ़ रहे हैं) मेयर चुनाव के सारे रिकॉर्ड को जप्त कर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्टार जनरल के पास रखा जाए। बैलेट पेपर एवं वीडियोग्राफी को संभाल कर रखा जाए। इसके साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि चंडीगढ़ नगर निगम की बुधवार को होने वाली बैठक भी अगले आदेश तक रद्द रहेगी।
इस पूरे मामले पर अगली सुनवाई सोमवार यानी 12 फरवरी को दोबारा होगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर स्पष्ट किया कि हमें संतुष्ट करना होगा अन्यथा नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव के चुनाव अधिकारी अनिल मसीह को भी कहा है कि वह 12 फरवरी की होने वाली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहे और वीडियो में दिख रही अपनी कारगुजरी पर जवाब दें ।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल यह मामला 18 जनवरी को हुए मेयर चुनाव से जुड़ा हुआ है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन था जिसके संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप टीटा के पास 20 पार्षदों के वोट थे जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज सोनकर के पास 16 वोट थे। मगर 18 जनवरी को हुए चुनाव मे चुनाव अधिकारी अनिल मसीह की तबियत अचानक खराब हो जाती है। इसके बाद प्रशासन 6 फरवरी की तारीख चुनावों के लिए निर्धारित करता है। मगर गठबंधन के नेता कोर्ट का दरवाजा खटखटाते है। कोर्ट 30 जनवरी को चुनाव करवाने का फैसला देता है। और 30 जनवरी को चुनाव अधिकारी द्वारा 8 वोट रिजेक्ट करने के कारण भाजपा के उम्मीदवार मनोज सोनकर को विजई घोषित किया गया था। जिसको लेकर पहले कुलदीप टीटा ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और हाईकोर्ट ने 26 फरवरी की सुनवाई निर्धारित की थी। जिसको लेकर आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप टीटा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग की थी। आज 5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह को फटकार लगाई गई। हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट दोनों ही याचिका में यह कहा गया था कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने वोटो की गिनती में हेरा फेरी की है। कुलदीप टीटा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गठबंधन के उम्मीदवार का पक्ष रखा।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के नए-नए चुने गए मेयर मनोज सोनकर ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका फाइल कर दी है। इसमें उन्होंने कहा कि कुलदीप की याचिका पर कोई भी फैसला लेने से पहले उनकी भी बात सुनी जाए। मनोज सोनकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष स्व. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज रखेंगी।
तीसरी आंख ने बढ़ाई भाजपा नेताओं की टेंशन
प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह, जोकि नॉमिनेटेड काउंसलर भाजपा से हैं और भाजपा के माइनॉरिटी सेल के सदस्य भी है, सुप्रीम कोर्ट की इतनी कड़ी टिप्पणी आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की टेंशन बढ़ गई है की लोकसभा चुनाव सिर पर है, अगर कहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह चुनाव निरस्त कर दिया तो इंडिया गठबंधन को पूरे हिंदुस्तान में यह बताने का मौका मिल जाएगा कि भाजपा ने मेयर का चुनाव बेईमानी से जीता था। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता अब सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख (प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह को बचाने के लिए) किस तरह से रखना है, इसकी जुगत में लग गए हैं और वरिष्ठ वकीलों से विचार विमर्श किया जा रहा है।
गठबंधन के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला शाम को लगभग 5 बजे के आसपास आया, गठबंधन के नेताओं में एवं कार्यकर्ताओं में अचानक खुशी की लहर फैल गई। सभी के मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकला कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं और अब हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट न्याय जरूर करेगा।
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