अबकी बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, लेकिन पृथ्वी लोक में नहीं बल्कि पाताल में रहेगा भद्रावास : पं. रामकिशन
रक्षाबंधन पर त्रिग्रही योग के साथ बना रहे हैं कई अन्य शुभ योग : पं. रामकिशन महाराज
बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त के लिए मिलेंगे 7 घंटे 38 मिनट : पं. रामकिशन महाराज
तोशाम, दीपक माहेश्वरी: अबकी बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा लेकिन अबकी बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। यह जानकारी देते हुए प्राचीन छपारिया हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि 18 अगस्त को देर रात 3 बजकर 04 मिनट से लेकर 19 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक भद्रा रहेगी। भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधना शुभ नहीं रहता। पंडित रामकिशन महाराज के मुताबिक 19 अगस्त को श्रावणी उपाकर्म भी रहेगा। उन्होंने बताया कि शास्त्रानुसार होलिका दहन और रक्षाबंधन का पर्व भद्रा में मनाना वर्जित है। सर्वार्थसिद्धि योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं। रवि योग सूर्यदेव से जुड़ा है और यह व्यक्ति को बल, स्वास्थ्य और मान-समान दिलाता है। शोभन योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। साथ ही श्रवण नक्षत्र ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। यह चारों योग 19 अगस्त की सुबह से लेकर रात तक रहेंगे। इसके अलावा 19 अगस्त को चंद्रमा मकर राशि में होने के कारण भद्रा निवास पाताल में रहेगा, पृथ्वीलोक पर भद्रावास नहीं होगा। फिर भी शास्त्र मान्यताओं के अनुसार भद्रा उपस्थिति में राखी बांधना ठीक नहीं है, इसलिए भद्रा समाप्ति होने के बाद ही रक्षाबंधन का पर्व मनाए तो बेहतर रहेगा।
शुभ बन रहे हैं सभी योग…. पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार सभी योग मिलकर अबकी बार रक्षाबंधन के दिन को बेहद शुभ बना रहे हैं। 18 अगस्त को देर रात 3 बजकर 04 मिनट से लेकर 19 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक भद्रा रहेगी। भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधना शुभ नहीं रहेगा। भद्रा टालकर अपराह्नकाल, प्रदोष काल का समय राखी बांधने के लिए अच्छा रहेगा। इसके अलावा रक्षाबंधन पर इस बार त्रिग्रहीयोग रहेगा जोकी बेहद शुभ है। पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि दोपहर में 2 बजकर 07 मिनट से 3 बजकर 44 मिनट तक चर का चौघड़िया रहेगा, इसके अलावा 3 बजकर 44 मिनट से सूर्यास्त तक लाभ व अमृत का चौघड़िया रहेगा। इसमें भी रक्षाबंधन का पर्व मनाना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। रक्षाबंधन पर इस बार त्रिग्रहीयोग रहेगा। 30 साल बाद सूर्य व शनि अपनी स्व राशि सिंह व कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य बुद्धादित्य योग रहेगा। सिंह राशि में सूर्य, बुध और शुक्र मिलकर त्रिग्रहीयोग का निर्माण करेंगे जिससे शास्त्रानुसार यह भी शुभ संकेत है।
रक्षाबंधन के शाम पंचक भी…. पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि रक्षाबंधन वाले दिन शाम के समय में पंचक भी लग रहा है। पंचक शाम 7 बजे से शुरू होगा और अगले दिन सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। पंचक सोमवार को लग रहा है, जो राज पंचक होगा, इसे अशुभ नहीं माना जाता है बल्कि यह शुभ होता है।
19 अगस्त को रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त…पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 8 मिनट तक है। उस दिन भाइयों को राखी बांधने के लिए 7 घंटे 38 मिनट तक का समय मिलेगा।
रक्षाबंधन की कथा…पंडित रामकिशन महाराज ने रक्षाबंधन की कथा बारे विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि एक बार बारह साल तक देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें देवताओं की हार हुई और असुरों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। हार से निराश इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास गए और कहने लगे कि मेरा युद्ध करना अनिवार्य है, जबकि अब तक के युद्ध में हमें हार ही हाथ लगी है। इंद्र की पत्नी इंद्राणी भी यह सब सुन रही थीं। उन्होंने कहा कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं विधानपूर्वक रक्षासूत्र तैयार करूंगी, आप ब्राह्मणों से बंधवा लीजिएगा, इससे आप जरूर विजयी होंगे। दूसरे दिन इंद्र ने रक्षा-विधान के साथ रक्षाबंधन करवाया। इसके बाद ऐरावत हाथी पर चढ़कर जब इंद्र रणक्षेत्र में पहुंचे तो असुर इतने भयभीत हुए कि वे भाग खड़े हुए। इस प्रकार, रक्षा विधान के प्रभाव से इंद्र की विजय हुई और तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।
इसके अतिरिक्त पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि एक अन्य कथा भी रक्षाबंधन को लेकर प्रचलित है। उनका कहना था कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधने की प्रथा महाभारत काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी। तब उनकी उंगली से खून बहता देख द्रौपदी ने बिना सोचे अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण की चोट पर बांधा था। उस समय भगवान ने हर समय द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया था और अपना ये वचन निभाया भी। श्री कृष्ण ने हस्तिनापुर के शाही दरबार में द्रौपदी को सार्वजनिक अपमानित होने से बचाया था। तभी से बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई कृष्ण भगवान की तरह उनकी हर स्थिति में रक्षा करने का वचन देते हैं।
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