1991 फिल्म अभिनेत्री रेखा का सनसनीखेज इंटरव्यू पढ़िए आज रेखा के जन्मदिन पर
कुछ दिन पहले तक लोग कह रहे थे कि रेखा को ज़मीन निगल गई या आसमान खा गया? रेखा आखिर हैं कहां? किसी को नहीं पता था कि रेखा कहां हैं। कोई कहता कि बंबई में ही हैं। तो कोई कहता कि मद्रास चली गई हैं। अमेरिका, लंदन और दुबई में भी रेखा के होने का अंदाज़ा लोगों ने जताया। वास्तव में रेखा उस समय न्यूयॉर्क में थी। वहां से वो सीधा मद्रास के.सी. बोकाडिया की फिल्म “फूल बने अंगारे” शूट करने आई। सच तो ये है कि रेखा की फिल्मी बातों से ज़्यादा लोगों को उनकी निजी ज़िंदगी में दिलचस्पी है। लोग रेखा की ज़ुबानी ही उनकी कहानी सुनना चाहते हैं। वो जानना चाहते हैं कि जिस मुकेश अग्रवाल से शादी करने के बाद रेखा कहते ना थकती थी कि उन्हें उनके ख्वाबों का शहज़ादा मिल गया है, वही अब उनके लिए विलेन क्यों बन गया है? क्यों मुकेश अग्रवाल से उनकी शादी नाकामयाब हो गई? क्यों मुकेश अग्रवाल के पास रेखा ने तलाक के कागज़ात भिजवाए? और क्यों मुकेश अग्रवाल रेखा के दुप्पटे को ही फांसी का फंदा बनाकर उस पर झूल गए?
कहा जाता है कि विनोद मेहरा से रेखा ने बहुत छिपकर, चुपचाप शादी की थी। लेकिन वो शादी चुपचाप ही खत्म भी हो गई। उस वक्त भी रेखा ने कुछ नहीं कहा था। शायद इसिलिए बहुत से लोगों ने विनोद मेहरा और रेखा की शादी को फिल्म पत्रकारों की फैलाई गई गप्प ही माना। शादी तो मुकेश अग्रवाल से भी रेखा ने बहुत छिपकर की थी। मगर बाद में उन्होंने ही उस शादी का ढिंढोरा भी पीटा। तब शायद वो दुनिया को बताना चाहती थी कि वो भी शादीशुदा हैं। यूं तो रेखा का नाम फिल्मी दुनिया के कई लोगों से जुड़ा। मगर कोई भी उनके साथ शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहता था। मुकेश अग्रवाल ने रेखा का हाथ थामा। उनसे शादी की। लेकिन कुछ ही महीनों बाद मुकेश अग्रवाल की मौत के साथ ही वो शादी खत्म हो गई। अगर मुकेश की मौत ना भी होती, तो भी तलाक के ज़रिए वो शादी खत्म होती। उस शादी को तो खत्म होना ही था।
ज़रूरी नोट- साथियों एक्ट्रेस रेखा के बारे में ये जो लेख आप पढ़ रहे हैं, ये बीते दौर की बहुत लोकप्रिय उर्दू फिल्म मैगज़ीन रही “शमां” के साल 1991 के एक अंक में छपी थी। उस मैगज़ीन में “मुसाफिर की डायरी” नाम से एक कॉलम छपता था। उसी में रेखा और मुकेश अग्रवाल के रिश्ते के बनने-बिखरने की ये कहानी कही गई थी। वास्तविक लेख जैसे छपा था उसे ऐसे ही रखने का प्रयास किया गया है। इसलिए इस लेख को पढ़ते समय ये कल्पना करने की कोशिश कीजिएगा कि आप साल 1991 में जाकर ही इस लेख को पढ़ रहे हैं। इस कहानी को एक पाकिस्तानी पत्रकार ने अपने एक यूट्यूब वीडियो में विस्तार से बयां किया है।
इस लेख में कहानी का जो कंस्ट्रक्शन है वो उसी तरह है जैसा कि पाकिस्तानी पत्रकार ने अपने वीडियो में रखा है। हमने बस अपने शब्द अधिक से अधिक रखने की कोशिश की है। ताकि हमारे पाठकों को लेख समझने में आसानी हो। क्योंकि जिन पाकिस्तानी पत्रकार साहब ने ये कहानी कही है उन्होंने तो विशुद्ध उर्दू का प्रयोग किया है। अगर…. अगर… अगर ये लेख आपको पसंद आया, तो इसका श्रेय उन्हीं पाकिस्तानी पत्रकार को जाएगा। क्योंकि बरसों पहले कही जा चुकी इस कहानी को उन्होंने ही आज के दौर में फिर से कहा है। ज़ाहिर है, इस काम में काफी मेहनत उन्हें करनी पड़ी होगी। चूंकि आज रेखा जी का जन्मदिन है तो आज ही इस कहानी को फिर से कहने का सबसे सही मौका है। 10 अक्टूबर 1954 को रेखा का जन्म हुआ था। चलिए, साल 1991 में वापस चलते हैं। लाइक-शेयर ज़रूर करते जाइएगा।
फिल्म “ये आग कब बुझेगी” के सेट पर एक पत्रकार की मुलाकात रेखा से हुई थी। उस वक्त तक मुकेश अग्रवाल और रेखा की शादी हो चुकी थी। लेकिन रेखा के चेहरे पर मेकअप के बाद भी वो नूर नहीं दिख रहा था जो किसी नई दुल्हन के चेहरे पर शादी के बाद दिखाई दे जाता है। उससे कुछ ही दिन पहले मुकेश अग्रवाल ने खुदकुशी की एक नाकाम कोशिश की थी। तब रेखा से उनकी शादी के बारे में कई सवाल पूछे गए थे। और रेखा ने पूरी बेबाकी से कहा था कि अगर मुकेश अग्रवाल संग उनका तालमेल नहीं बैठेगा तो वो बेझिझक अलग हो जाएंगी। रेखा ने वही किया भी। जब मुकेश अग्रवाल संग उनका रिश्ता बहुत ज़्यादा खराब हो गया तो उन्होंने मुकेश से तलाक लेकर अलग होने का फैसला कर लिया। किसी तरह ये बात मीडिया में लीक हो गई। अब दिल्ली से लेकर बंबई तक, रेखा के बारे में तरह-तरह की बाते की जा रही हैं। रेखा और उनकी सेक्रेटरी फरज़ाना के रिश्ते पर भी तरह-तरह की बात हो रही है। रेखा ने एक अंग्रेजी मैगज़ीन पर एक करोड़ रुपए और फरज़ाना ने पचास लाख रुपए का मानहानि का दावा किया है। हर रोज़ मुकेश और रेखा के बारे में कोई नई बात सुनने को मिल जाती है।
मुकेश अग्रवाल की ज़िंदगी उस परिंदे की ज़िंदगी की तरह थी जिसने आसमानों से आगे उड़ने की कोशिश की। हिम्मत और हौंसले, मेहनत और मुहब्बत की कहानी है मुकेश अग्रवाल की कहानी। साइकिलों में लगाने वाली लाइट्स से मुकेश ने अपना कारोबार शुरू किया था। कभी मुकेश की जेब में इतने पैसे भी नहीं होते थे कि वो रिक्शे या बस का किराया भी दे सके। लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने इतनी तरक्की की थी कि वो करोड़पति बन गए। और एक दिन बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस रेखा के पति भी बन गए। बड़े फिल्मी अंदाज़ में मुकेश और रेखा की शादी हुई थी। पहले टेलीफोन पर प्यारी-प्यारी बातें हुई। फिर अच्छी-अच्छी मुलाकातें हुई। और फिर शादी हो गई। यहां तक तो ये कहानी बहुत खूबसूरत लगती है। लेकिन इस कहानी का जो अंत हुआ, वो किसी ने सोचा भी नहीं था। बहुत दर्दनाक अंत हुआ था मुकेश और रेखा की इस प्रेम कहानी का।
मुकेश के बड़े भाई और भाभी को ये अंदाज़ा तो था कि पत्नी रेखा से मुकेश की कुछ खटपट चल रही है। मुकेश दिल्ली में थे और रेखा बंबई में। वो रेखा से बात करने की बहुत कोशिश कर रहे थे। जाने कितनी दफा उन्होंने रेखा के घर पर फोन किया था। मुकेश के भाई और भाभी ने कहा था कि फरज़ाना ने रेखा और मुकेश के बीच दूरियां पैदा कर दी थी। वो मुकेश से रेखा को बात नहीं करने देती थी। जब रेखा से बात करने की मुकेश की हर कोशिश नाकाम हो गई तो वो अपनी भाभी को साथ लेकर रेखा से मिलने उनके घर बंबई पहुंच गए। मुकेश रेखा से बात करके गलतफहमियां दूर करना चाहते थे। जब ये लोग रेखा के घर पहुंचे तो चौकीदार ने बहुत देर तक इन्हें घर में घुसने ही नहीं दिया था। किसी तरह रेखा के घर में इन्हें एंट्री मिली।
मुकेश अग्रवाल की भाभी ने पत्रकारों को बताया था कि कई घंटे के इंतज़ार के बाद रेखा की गाड़ी आई। पहले फरज़ाना घर में आई। लेकिन जैसे ही उसने मुकेश को देखा, वो दौड़कर वापस बाहर चली गई। रेखा को गाड़ी में साथ लेकर वो वहां से कहीं ओर चल दी। मुकेश वो देखकर दंग रह गए। वो पागलों की तरह रेखा का नाम चिल्लाते हुए उनकी गाड़ी के पीछे दौड़े। उन दिनों बंबई में बहुत बारिश पड़ रही थी। आगे-आगे रेखा की गाड़ी थी। पीछे-पीछे बदहवाश सी हालत में मुकेश दौड़ रहे थे। और मुकेश को रोकने के लिए उनकी भाभी उनके पीछे दौड़ रही थी। लेकिन कुछ ही पलों में गाड़ी उनकी नज़रों से ओझल हो गई। बेहद निराश हो चुके मुकेश अग्रवाल वापस रेखा के घर पहुंचे। उन्होंने जेब से कई सारी गोलियां निकाली और एक साथ निगल ली।
मुकेश की भाभी ने कहा था कि पहले तो उन्हें लगा कि मुकेश थककर सो गया है। मगर जब देर रात तक मुकेश बेसुध पड़े रहे तो भाभी को उनकी चिंता हुई। उन्होंने मुकेश के भाई यानि अपने पति को दिल्ली में फोन लगाया। उन्हें सारी बात बताई। कुछ देर बाद मुकेश के भाई के एक दोस्त वहां आए। भाई ने उस दोस्त को फोन करके मुकेश को देखने वहां भेजा था। उस दोस्त ने मुकेश को एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉक्टरी मदद से मुकेश को फिर से होश में लाया गया। ठीक होकर मुकेश दिल्ली लौट आए। लेकिन दिल्ली आने के बाद भी मुकेश रेखा से बात करने की कोशिशों में लगे रहे। वो बार-बार रेखा के घर फोन करते। लेकिन रेखा से उनकी बात नहीं हो सकी। मुकेश बेचैन हो उठे। उन्होंने एक दफा फिर से नींद की साठ गोलियां खाकर अपनी जान देने की कोशिश की। हालांकि उस दफा भी डॉक्टरों ने उनको बचा लिया। कई दिनों तक मुकेश को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था।
मुकेश रेखा से बस एक दफा बात करना चाहते थे। उन्होंने बहुत कोशिश की थी कि रेखा उनसे बात कर लें। लेकिन उनकी हर कोशिश नाकामयाब रही। एक दिन मुकेश को पता चला कि रेखा एक कॉन्सर्ट के लिए अमेरिका चली गई हैं। और उन्होंने तलाक के कागज़ात साइन करने के लिए भिजवा दिए हैं। मुकेश के भाई के मुताबिक, मुकेश तलाक के कागज़ों पर साइन करने के लिए भी तैयार थे। वो बस इतना ही चाहते थे कि रेखा उनसे एक दफा बात कर लें। उन्हें बता दें कि आखिर उनसे ऐसी कौन सी गलती हो गई जो रेखा उनसे इतनी बेरुखी से तलाक लेना चाहती हैं। लेकिन रेखा से बात करने की वो हसरत मुकेश अग्रवाल के दिल में ही रह गई।
दो अक्टूबर की सुबह मुकेश अग्रवाल ने अपने घरवालों से कहा कि वो किसी काम से कहीं जा रहे हैं। दोपहर तक लौट आएंगे। लेकिन सच ये था कि वो मुकेश का आखिरी दिन था। मुकेश अपने फार्म हाउस पर गए। वहां उन्होंने रेखा के दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी लगा ली। मुकेश अग्रवाल खत्म हो गए। मुकेश के परिवार वालों, दोस्तों और डॉक्टर ने तब कहा था कि अगर रेखा एक दफा मुकेश से बात कर लेती तो वो खुदकुशी ना करते। मुकेश रेखा को तलाक देने को तैयार थे। वो बस अपनी गलती जाना चाहते थे। जो उन्हें कभी पता ना चल सकी।
रेखा से जब पूछा गया कि वो मुकेश अग्रवाल की मौत पर उन्हें देखने क्यों नहीं आई? रेखा ने जवाब में कहा कि वो उस वक्त न्यूयॉर्क में थी जब उन्हें मुकेश की मौत की खबर मिली थी। उन्होंने तभी मुकेश के घर फोन करके उनकी भाभी से बात की। रेखा ने ये भी कहा कि वो तो तभी अमेरिका से दिल्ली वापस लौटना चाहती थी। लेकिन जिस कॉन्सर्ट के लिए वो अमेरिका गई थी उसके ऑर्गेनाइज़र्स ने उन्हें कानूनी नोटिस देकर भारत नहीं लौटने दिया।
उसी दौरान ये खबरें भी सामने आई थी कि रेखा जब भारत वापस लौटी तो अमिताभ बच्चन उनसे मिलने उनके घर आए थे। किसी पत्रकार ने अमिताभ की गाड़ी रेखा के घर के बाहर खड़ी देखी थी। लेकिन अमिताभ बच्चन ने कहा था कि ये गलत खबर है। वो उस समय रेखा से मिलने उनके घर नहीं गए थे। पत्रकार ने जो गाड़ी रेखा के घर के बाहर देखी थी वो मेरी नहीं, मनमोहन देसाई की गाड़ी थी।
बाद में रेखा ने एक पत्रकार को इंटरव्यू देकर मुकेश अग्रवाल की खुदकुशी मामले पर अपना पक्ष रखा था। उन दोनों के बीच जो सवाल-जवाब हुए थे अब आप वो पढ़ेंगे।
पत्रकार- मुकेश की मौत के बाद आप खामोश क्यों हैं?
रेखा- मुझे बोलने का मौका ही कहां दिया गया है? प्रैस वालों और मुकेश के घरवालों ने जो मन में आया, मेरे बारे में उड़ाया। सारा इल्ज़ाम मुझ पर थोप दिया। मेरे प्रति इतना कठोर नहीं होना चाहिए इन लोगों को।
पत्रकार- मुकेश की कहानी की हक़ीकत क्या है?
रेखा- मुझे बड़ी हैरत है कि मुझ पर इल्ज़ाम लगाने वालों को मेरे और मुकेश के रिश्ते की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन फिर भी मेरे बारे में इतनी बातें की गई। जो लोग कभी मेरी तारीफें करते नहीं थकते थे अब वो मुझे भला-बुरा कह रहे हैं। खासतौर पर मुकेश के घरवाले। मुकेश की भाभी ने शादी के वक्त बड़े गर्व से कहा था कि रेखा हमारी बहू बन गई है। ये हमारी खुशकिस्मती है। फिर क्यों मेरे बारे में गलत बाते उड़ाई जा रही हैं? क्यों मुझे ही मुकेश की खुदकुशी का ज़िम्मेदार समझा जा रहा है? जबकी हर किसी को सच्चाई पता है।
पत्रकार- आपके और मुकेश अग्रवाल के बीच ऐसे हालात कब से पैदा हुए?
रेखा- सितंबर में मुकेश और मैंने मिलकर तय किया था कि हम एक-दूजे से अलग हो जाएंगे। लेकिन मुझे नहीं पता था कि हम दोनों के बीच की वो बात लीक हो जाएगी।
पत्रकार- मुकेश की मौत के बाद आपने भी तो उन्हें भुला दिया?
रेखा- ये झूठा इल्ज़ाम है। पहली दफा मेरे ऑर्गेनाइज़र ने मुझे मुकेश की खुदकुशी की खबर दी थी। मैंने फौरन न्यूयॉर्क से मिट्ठू भाभी(मुकेश अग्रवाल के बड़े भाई की पत्नी) को फोन किया। सबूत के तौर पर मेरे पास टेलिफोन का बिल है। मिट्ठू भाभी ने मुझसे कहा था कि तुम अपना ध्यान रखना। तुम्हारे दुख में हम सब तुम्हारे साथ हैं। जब इतनी बात मेरी उनसे हो चुकी थी तो ये कहना कहां तक सही है कि मैंने मुकेश की मौत पर चुप्पी साध ली थी?
पत्रकार- कहीं ऐसा तो नहीं कि मुकेश अग्रवाल के परिवार वालों को ये शक हो कि उनकी मौत के बाद आप उनकी जायदाद हथिया लेंगी?
रेखा- जिस तरह का रवैया उन्होंने मुझसे बरता है उससे तो मुझे उनकी नियत पर शक होता है। वो हमेशा से ही पैसों के लालची थे।
पत्रकार- ऐसा किस आधार पर आप कह रही हैं?
रेखा- सितंबर में एक फिल्मी मैगज़ीन ने मेरे बारे में लिखा था कि मैंने मुकेश को नींद की गोलियां खाकर खुदकुशी करने पर मजबूर किया था। वो पढ़कर मुकेश के भाई ने मुझसे बात की थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि क्यों ना हम इस मैगज़ीन पर दावा ठोक दें कि क्यों उसने ये झूठी बात तु्म्हारे बारे में लिखी है। उस वक्त उन्होंने सरसरी तौर पर वो बात कही थी। मुझे नहीं लगा कि उन्हें इस बात की कोई फिक्र हुई होगी कि मुझे जो बदनाम किया जा रहा है उससे मुझ पर क्या फर्क पड़ रहा होगा।
मुकेश के जाने के बाद जब मैं अमेरिका से लौटी तो मुझे पता चला कि मेरे बारे में क्या-क्या बातें की जा रही हैं। मुझे ही मुकेश का हत्यारा बताया जा रहा है। और उनमें से ज़्यादातर बातें मुकेश के घरवालों ने कही थी। एक महीना गुज़र गया। सबने मेरे बारे में तरह-तरह की बातें की। लेकिन मुझसे इस बारे में किसी ने कोई बात नहीं की। मुकेश के घरवालों ने एक दिन मुझे एक डॉक्यूमेंट साइन करने को भेजा। उसमें लिखा था कि मुझे मुकेश की जायदाद से एक रुपया भी नहीं चाहिए। उनके लालच का इसे बड़ा और क्या सबूत हो सकता है? उन्होंने मुझसे बात किए बगैर ही वो डॉक्यूमेंट मुझे भेज दिया।
मेरे एक शुभचिंतक ने मुझसे कई दफा कहा था कि मैं भी मीडिया में मुकेश के घरवालों का भेजा वो डॉक्यूमेंट रिलीज़ करूं। उनके लालच को एक्सपोज़ करूं। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। ये सोचकर कि वो लोग खुद ही अपनी गलती पर शर्मिंदगी महसूस करें।
पत्रकार- मुकेश अग्रवाल के घरवालों ने कहा है कि मुकेश मानसिक तौर पर एकदम सही थे। फिर उन्होंने खुदकुशी जैसा भयानक कदम क्यों उठाया? क्या पहले भी कभी उन्होंने कोई ऐसी कोशिश की थी?
रेखा- मैंने कभी मुकेश के बारे में कोई ऐसी बात नहीं कही। ऐसी बातें कहने वाले लोग वही हैं जो ये कहते हैं कि जिस दुपट्टे को बांधकर मुकेश ने खुदकुशी की थी वो मेरा दुपट्टा था। क्या उस पर मेरा नाम लिखा था?
पत्रकार- जब आपको मुकेश की मृत्यु की खबर मिल चुकी थी तो आपने अमेरिका से लौटने में इतनी देर क्यों लगा दी?
रेखा- जब मुझे मुकेश की खुदकुशी की खबर मिली थी तब मुझमें ज़रा भी हिम्मत नहीं बची थी कि मैं अमेरिका में और कोई शो कर पाती। मैं जल्द से जल्द लौटना चाहती थी। लेकिन शो के ऑर्गेनाइजर ने मुझे वापस नहीं आने दिया। वो मेरे भारत लौटने के खिलाफ अदालत चला गया था। मैं कॉन्ट्रैक्ट में बंधी थी। मजबूर थी।
पत्रकार- लोग कहते हैं कि आप अगर अमेरिका से एक दफा मुकेश से फोन पर बात कर लेती तो उनकी जान बच जाती। लेकिन आपने बेरहमी दिखाते हुए उनसे बात नहीं की। इस पर क्या कहेंगी?
रेखा- जो भी कहता है कि मैंने अमेरिका से मुकेेश को फोन नहीं किया, वो सफेद झूठ बोल रहा है। मैंने मुकेश को एक बार नहीं, बीसियों बार अमेरिका से फोन किया था। तलाक के कागज़ात भेजने के बाद भी मैंने मुकेश को फोन किया था। अगर मैं झूठ बोल रही हूं तो अगस्त और सितंबर के टेलिफोन के 40 हज़ार रुपए के बिल्स का क्या मतलब है? 10 सितंबर 1990 को मैंने पांच दफा मुकेश को फोन किया था। मुकेश की तरफ से मुझे दिक्कतें हुई थी तभी मैंने उनसे तलाक लेने का फैसला किया था। और उनसे तो मेरी बात तलाकनामा भिजवाने के बाद भी कई दफा हुई।
पत्रकार- आपने बड़े अरमानों से मुकेश अग्रवाल से शादी की थी। आपने कहा भी था कि आप बहुत खुश हो। लेकिन आप दोनों के रिश्तों में इतनी जल्दी ज़हर कैसे घुल गया? और तलाक की नौबत क्यों आई?
रेखा- मैंने तो तलाक के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। मुकेश ने सबसे पहले तलाक की बात उठाई थी। शायद मई में मुकेश और उनके किसी दोस्त ने प्रैस में ये खबर छपवाई कि मुकेश शादी से खुश नहीं है।
पत्रकार- कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी सेक्रेटरी फरज़ाना ने ये सब किया हो?
रेखा- फरज़ाना का नाम क्यों लिया जा रहा है? मैं बताती हूं। फरज़ाना मेरी राज़दार है। वो मेरी मुलाज़िम है। वही करती है जो मैं उसे करने को कहती हूं। इसिलिए उसका नाम घसीटा जा रहा है।
पत्रकार- आपकी शादीशुदा ज़िंदगी को तबाह करने का ज़िम्मेदार कौन हो सकता है?
रेखा- लोग मुकेश के बारे में कहते हैं कि वो बहुत दौलतमंद ज़रूर थे, लेकिन बेहद सीधे और भोले थे। ये लोग मुकेश की साइकोथैरेपिस्ट आकाश बजाज को सामने क्यों नहीं लाते? आकाश बजाज तलाकशुदा है और दो बच्चियों की मां है। मुकेश के बंबई जाने और स्टूडियोज़ आकर मुझसे मिलने को आकाश बजाज ज़रा भी पसंद नहीं करती थी।
वो नहीं चाहती थी कि मुकेश मुझसे शादी करें। इसका सबूत ये है कि एक दफा मुकेश ने मुझसे कहा था कि उनकी ज़िंदगी मेरे और आकाश बजाज के बीच झूल रही है। मुझ पर इल्ज़ाम लगाने वालों ने क्यों आकाश बजाज के नाम को छुपा दिया है?
मैं शशि कपूर की शुक्रगुज़ार हूं कि अमेरिका से वापस आने के बाद उन्होंने मुझसे अच्छी तरह से बात की। मुझसे हमदर्दी जताई। मुझे फोन किया। उनके अलावा किसी ने मुझसे बात नहीं की। मैं बस इतना ही कहूंगी कि मैं एकदम बेगुनाह हूं। बेकसूर हूं। मुझे जानबूझकर फंसाया जा रहा है। बदनाम किया जा रहा है। लोग अपने फायदे के लिए मेरे बारे में घटिया बातें कर रहे हैं। मेरे साथ ज़्यादती की जा रही है।
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