चुनाव जीतने की नई “मसीहनीति” पहली बार मे ही प्लाॅप
वोट चोरी का आरोप, सुप्रीम कोर्ट में पड़ी फटकार, फिर कोर्ट में मांगी माफी, गठबंधन ने घेरा
रीतेश माहेश्वरी
चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव से पूरे देश भर मे चर्चा मे आए प्रीसाइडिंग ऑफीसर अनिल मसीह, ने राजनीति में चुनाव जीतने के लिए एक नया ही मॉडल सेट कर दिया था , जिसके आने वाले समय में दूरगामी परिणाम अभी से नजर आने लगे थे । मगर यह मॉडल स्थापित हो पाता उसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मॉडल की हवा निकाल दी । पहले आपको बता देते हैं यह मसीह मॉडल है क्या ?
चंडीगढ़ में नगर निगम चुनाव में पहली बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर इकट्ठे चुनाव लड़ा था। समझौते के तहत मेयर पद पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे तो डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर पद पर कांग्रेस पद के उम्मीदवार थे। नगर निगम चुनाव में सांसद किरण खेर का वोट वा पार्षदों के वोट मिलाकर 36 वोट पड़ने थे जिसमें बहुमत का आंकड़ा 19 चाहिए था जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के पास में 20 वोट थे और भारतीय जनता पार्टी की तरफ 16 वोट। मगर जब राजनीति का मसीह मॉडल चलता है तो 20 वोट वाला जीता हुआ उम्मीदवार भी हार जाता है और बिल्कुल ऐसा ही हुआ। चुनाव में गठबंधन के 8 वोट इनवेलिड करार दे दिए गए जिसकी वजह से भाजपा के उम्मीदवार मनोज सोनकर मेयर घोषित हो गए। आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार इस पूरे मामले को लेकर पहले हाईकोर्ट बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट मे तीसरी आंख ने राजनीति के मसीह मॉडल की पूरी पोल खोल दी। तीसरी आंख का मतलब सीसीटीवी कैमरा, एक प्रसिद्ध सीसीटीवी कैमरे कंपनी का स्लोगन है, “ऊपर वाला सब कुछ देख रहा है”। ये तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की किस्मत ही थी कि वाकई में ऊपर वाला सब कुछ देख रहा था वरना ऊपर लगा हुआ जो कैमरा था सारा खेल उस कैमरे में रिकॉर्ड ना हुआ होता तो शायद भारत की राजनीति में मसीह मॉडल स्थापित हो जाता। मगर सुप्रीम कोर्ट में इस मसीह मॉडल की धज्जियां उड़ गई और प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह को जबरदस्त फटकार पड़ी और कोर्ट ने उन आठ इनवेलिड वोटो को वैलिड माना। और भाजपा के मेयर मनोज सोनकर को इस्तीफा देना पड़ा और आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप टीटा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चंडीगढ़ के मेयर बने। तो यह था राजनीति में मसीह मॉडल।
अनिल मसीह ने आज कोर्ट में माफी मांगी
प्रीसाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह ने आज सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांग ली। अनिल मसीह की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि हम पुराना हलफनामा वापस लेना चाहते हैं। हालांकि इसके पहले इसी सुप्रीम कोर्ट में अनिल मसीह ने कहा था कि मैं दबाव में था जिसकी वजह से मैंने गलत बयान दे दिया था। जिसकी वजह से उनको अवमानना का नोटिस भी जारी हुआ था।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मसीह की माफी पर ली चुटकी
चंडीगढ़ महिला कांग्रेस अध्यक्षा दीपा दूबे ने अनिल मसीह के गलती मानने पर कहा की मेयर चुनाव को लेकर जो समय ख़राब हुआ, सरकारी मशीनरी का ख़र्च बढ़ा उसकी जवाबदेही कौन देगा। उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर कहा की मसीह तो सिर्फ मोहरा था। पर्दे के पीछे तो कई किरदार शामिल थे।
तो आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ ईकाई के पूर्व अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने मीडिया से कहा, “अनिल मसीह की गलती माफ़ी योग्य बिलकुल भी नहीं। उसे सख़्त से सख़्त सजा मिले”।
आज सुप्रीम कोर्ट में अनिल मशीह द्वारा माफ़ी की याचिका पर प्रतिक्रिया करते हुए आप नेता प्रेम गर्ग का कहना है कि उसे सख़्त से सख़्त सजा मिले। अनिल मसीह ने गलती नहीं, जनता के विश्वास का बलात्कार किया है। डेमोक्रेसी का मर्डर किया है और देश के संविधान का मज़ाक़ उड़ाया है। अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया है। हमारे हक़ पर डाका डाला है। अनिल मसीह ने वोट चोरी की है।
प्रेम गर्ग का कहना है कि मैं हैरान हूँ कि अभी तक अनिल मसीह को चण्डीगढ़ पुलिस ने गिरफ़्तार क्यों नहीं किया। अब तक तो पूरी इन्क्वायरी करके सब अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। उसको नगर निगम ने अभी तक बर्खास्त क्यों नहीं किया गया। अनिल मसीह ने बार बार माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी धोखा देने की कोशिश की। अभी कुछ दिन पहले ही वो कह रहा था कि उसने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दिया था वो डिप्रेशन में आकर दिया था और आज वो अपनी गलती मानने का ड्रामा कर रहा है। सिर्फ़ अनिल मसीह को ही नहीं, सभी नॉमिनेटेड पार्षदों को भी नगर निगम से बर्खास्त किया जाना चाहिए और कोर्ट को एक दूसरी वीडियो का भी संज्ञान लेना चाहिए, जिसमें मनोनीत पार्षद कैमरे हटाने के लिए कह रहे हैं। जब देश की सर्वोच्च न्यायालय में अनिल मसीह को पहले ही दोषी क़रार दे दिया है, जोकि अपने आप में अभूतपूर्व है। तो क्यों नहीं अभी तक उसको गिरफ़्तार किया गया और बर्खास्त किया गया। इस फ्रॉड के लिए अभी तक भाजपा के नेताओं ने जनता से माफ़ी नहीं माँगी। एक तरफ़ तो आप नैशनल कन्वीनर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक झूठी गवाही के आधार पर जेल में डाल दिया और दूसरी तरफ़ अनिल मसीह और दूसरे पार्षदों का गुनाह जो कि पूरी तरह से सबूतों के आधार पर साबित हो चुका है, उस पर भाजपा सरकार ने, भाजपा के गवर्नर ने अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं किया? भाजपा का ये दोहरा चेहरा, ये बताने के लिए काफ़ी है कि भाजपा के चरित्र और चलन, कहनी और कथनी में ज़मीन आसमान का फ़र्क है। हमारी माँग है कि जो भी अफ़सर इसमें शामिल हैं, उनपर भी उचित करवाई हो। गर्ग का ये भी कहना है के 2021 के मेयर चुनाव में भी इसी तरह की धाँधली हुई थी। उसकी भी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।
पिछले कुछ समय से कोर्ट का मजाक उड़ाने का चलन बढ़ रहा, यह गलत
पिछले कुछ समय से ऐसा देखने में आ रहा है की कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश को कुछ रसूखदार आरोपियों द्वारा नहीं माना जाता है। चाहे अनिल मसीह का मामला हो या हाल ही में पतंजलि कंपनी के प्रमुख बाबा रामदेव का मामला हो। बाबा रामदेव के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो आदेश जारी किए गए थे वह पतंजलि कंपनी की तरफ से नहीं माना गया। तब जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी लाल आंखे दिखाई, तो बाबा भी वहां पर हाथ जोड़ खड़े हुए नजर आए और सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। मगर यहां सवाल इस बात का है इन रसूखदार लोगों के मामले में तो सुप्रीम कोर्ट माफ कर देता है। सजा के हकदार तो यह रसूखदार लोग भी होते हैं मगर यह माफी मांग कर बच जाते हैं। कानून को अब जरूरत है कुछ रसूखदार लोगों को भी कड़ी सजा देने की अगर वह कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हैं तो ।
मसीह मॉडल की भले ही आज सुप्रीम कोर्ट में धज्जियां उड़ गई हो , मगर इस बात की गारंटी नहीं है कि आगे कभी भविष्य में मसीह मॉडल नहीं आएगा । मगर यह भारत है अगर कभी भी भविष्य में मसीह मॉडल लाने की कोशिश कहीं पर भी किसी भी राज्य में की जाएगी तो यह निश्चित है कि उसकी हवा माननीय कोर्ट द्वारा निकाल दी जाएगी ।
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