राजस्थान में अति आत्मविश्वास ले डूबा भाजपा को
“टीटी” को राजस्थान की जनता का “टाटा“
प्रत्याशी को ही मंत्री बनाया मगर “माननीय” चुनाव हार गए
आत्मविश्वास अच्छा, मगर अति आत्मविश्वास बुरा!! और लगता है राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी इसी अति आत्मविश्वास का शिकार हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल अपनी पहली ही चुनावी परीक्षा में फेल हो गए हैं। जिस प्रत्याशी को चुनाव परिणाम आने के पहले मंत्री बना दिया था वह चुनाव परिणाम आने के बाद हार गए हैं।
25 नवंबर को राजस्थान में चुनाव हुए थे, जिसका परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किया गया था। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भजनलाल के नेतृत्व में बनी थी। मगर श्री करनपुर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रक्रिया के दौरान वहां के प्रत्याशी की मौत हो जाने के कारण 25 नवंबर को चुनाव नहीं हुआ था। मगर मंत्रिमंडल गठन के दौरान वहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को भजनलाल सरकार में मंत्री बनाया गया था और 4 विभाग दिए गए थे। मगर शायद राजस्थान की जनता को यह पसंद नहीं आया कि प्रत्याशी जीता नहीं और आपने उसको मंत्री बना दिया। इसीलिए राजस्थान की जनता ने टीटी को टाटा कर दिया।
चुनाव हारने के बाद भी 6 महीने तक वह मंत्री रह सकते हैं
विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब सवाल इस बात का है कि क्या मंत्री जी अपने पद से इस्तीफा देंगे। तो आपको बता दे नियम यह कहता है बिना चुनाव जीते हुए भी कोई व्यक्ति 6 महीने तक मंत्री रह सकता है। मगर नैतिकता का तगाजा यह कहता है कि टीटी को इस्तीफा दे देना चाहिए। मगर आज के राजनीतिज्ञ में नैतिकता बची कहां है?
राजस्थान उपचुनाव के नतीजे लोकसभा चुनाव 2024 पर भी डालेंगे असर
राजस्थान उपचुनाव में भाजपा की हार होने का असर लोकसभा चुनाव 2024 पर भी पडना तय!!!
उपचुनाव की हार के बाद में भारतीय जनता पार्टी पर लोकसभा चुनाव 2024 की सभी सीटों को जीतने का दबाव बढ़ गया है। 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में क्लीन स्वीप किया था यानी कि सभी की सभी सीट जीत ली थी।
उपचुनाव के नतीजे के बाद कछुए और खरगोश की कहानी होने लगी ट्रेड
बचपन से लेकर अब तक हम सब ने कछुए और खरगोश की कहानी तो सुनी ही होगी । राजस्थान उपचुनाव के नतीजे आने के बाद वह कहानी एक बार फिर से सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने लगी है । अहंकार से भरे हुए खरगोश और कछुए के बीच में एक दौड़ शुरू होती है और इस दौड़ में कछुआ पीछे रह जाता है ।खरगोश यह देखकर की कछुआ बहुत पीछे है ,, आधे रास्ते में सो जाता है और कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ आगे निकल जाता है और जीत जाता है । कुछ ऐसा ही हाल तीन राज्यों के चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी नजर आ रहा है । क्योंकि वह मोदी गुरुर के ऐसे रथ पर सवार हो चुके हैं कि अगर चुनावी रेस में उनको नींद आ गई तू यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी और घमंड भरी नींद आने के बाद इतिहास गवाह है कि कछुआ तो हमेशा जीतता ही आया है ।
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