रील मंत्री जी की ‘7,000 स्पेशल ट्रेनें’: लेकिन त्योहारों में यात्रियों की उम्मीदें धरी की धरी
दिवाली और छठ जैसे मुख्य त्योहारों पर घर लौटने की बेताबी से जूझ रहे लाखों यात्रियों के लिए भारतीय रेलवे ने इस बार 7,000 स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, इस कदम से प्रतिदिन दो लाख अतिरिक्त यात्रियों को सुविधा मिलेगी। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान के अनुसार, इस साल सेवाओं को 181% तक बढ़ाया गया है, ताकि देश के पूर्वी हिस्सों में त्योहारों के दौरान यात्रा करने वाले लोगों को राहत मिल सके। लेकिन क्या इस कदम से वास्तव में कोई राहत पहुंच रही है, या फिर यह महज आंकड़ों की बाजीगरी बन कर रह गया है?
बिहार जाने वाले यात्री टॉयलेट में, ‘रील मंत्री’ पर तंज
कांग्रेस ने 28 अक्टूबर को एक ट्वीट के जरिए रेल मंत्रालय पर निशाना साधा, जिसमें बिहार जाने वाले यात्रियों की दुर्दशा का जिक्र किया गया। कांग्रेस का कहना है कि दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से चलने वाली एक ट्रेन में बिहार जा रहे आठ यात्री सीटें न मिलने के कारण टॉयलेट में बैठे हुए पाए गए। ट्वीट में रेल मंत्री को तंज कसते हुए कहा गया, “अगली रील में ये फुटेज लगा लीजिएगा।” साथ ही यह भी सवाल उठाया गया कि जिन 7,000 स्पेशल ट्रेनों की बात की जा रही है, वे असल में कहां चल रही हैं, जब हर तरफ की ट्रेनें ठसाठस भरी हैं और सीटें नहीं मिल रही हैं।
ट्रेनों की भारी भीड़, सीटें कम और ‘रिग्रेट’ टिकट का साया
त्योहारों के इस मौसम में उत्तर और पूर्वी भारत जाने वाली ट्रेनों में टिकट की भारी कमी महसूस की जा रही है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, उत्तर भारत से बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड जाने वाली अधिकतर ट्रेनों में टिकट दिसंबर के पहले हफ्ते तक उपलब्ध नहीं हैं। कई ट्रेनों में तो ‘रिग्रेट’ की स्थिति तक पहुंच चुकी है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मुंबई और गुजरात से चलने वाली ट्रेनों में लंबे वेटिंग लिस्ट देखी जा रही है, जोकि लोगों की परेशानी को और बढ़ा रही है।
विशेष ट्रेनों की बढ़ोतरी लेकिन भीड़ में एडजस्ट करना मुश्किल
उत्तर रेलवे ने इस बार लगभग 3,050 फेरों का संचालन करने का निर्णय लिया है, ताकि अधिकतम यात्रियों को यात्रा का मौका मिल सके। लेकिन बढ़ती यात्री संख्या के आगे रेलवे की ये तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं। उत्तर रेलवे ने स्पेशल ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़ने की भी घोषणा की है, जिससे यात्रियों को थोड़ी राहत मिल सके। इसके बावजूद भीड़ की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है।
नया रिजर्वेशन नियम: अब 120 दिन नहीं, केवल 60 दिन पहले करें बुकिंग
1 नवंबर से लागू होने वाले नए नियम के तहत अब यात्री पहले की तरह 120 दिन नहीं, बल्कि केवल 60 दिन पहले ही ट्रेन टिकट की बुकिंग कर सकेंगे। रेलवे प्रशासन ने इस बदलाव को यात्रियों की सुविधा और भीड़ प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए लागू किया है। इस नए नियम से रेलवे को त्योहारी सीजन के दौरान सीटों की मांग को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिलने की उम्मीद है, और यात्रियों को भी अंतिम समय में टिकट बुक करने में आसानी होगी।
दक्षिण रेलवे ने बेंगलुरु-कलबुर्गी स्पेशल ट्रेन चलाई, लेकिन पूर्वी भारत में अधिक ट्रेनों की जरूरत
दक्षिण पश्चिम रेलवे ने बेंगलुरु और कलबुर्गी के बीच कुछ अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था की है ताकि त्योहारी भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन त्योहारों के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ उत्तर और पूर्व भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में होती है। ऐसे में रेलवे द्वारा अधिक ट्रेनों की व्यवस्था की आवश्यकता है, ताकि बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल और झारखंड जाने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके।
त्योहारी सीजन में बढ़ती ट्रेनों की जरूरत और सरकार की पहल
पिछले कुछ सालों में बढ़ती यात्री संख्या को देखते हुए रेलवे ने इस बार सेवाओं का विस्तार किया है। पिछले वर्ष 4,500 विशेष ट्रेनें चलाई गई थीं, जोकि यात्रियों की संख्या के अनुसार पर्याप्त नहीं थीं। इसके बाद से ही त्योहारी सीजन के दौरान ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग तेज हो गई थी। इस साल की घोषणा में वृद्धि को सराहा जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में टिकट की अनुपलब्धता और भीड़ का दबाव यात्रियों की उम्मीदों को चूर कर रहा है।
यात्रियों के लिए सुझाव और ध्यान देने योग्य बातें
- एडवांस बुकिंग: त्योहारी सीजन में टिकट बुकिंग के लिए यात्रियों को पहले से योजना बनानी चाहिए। एडवांस बुकिंग के जरिए भीड़ में यात्रा के लिए सुविधा हासिल की जा सकती है।
- तत्काल टिकट: चार्ट बनने के बाद भी वर्तमान टिकट की सुविधा उपलब्ध है, जिससे कुछ यात्रियों को राहत मिल सकती है।
- विशेष ट्रेनों पर ध्यान दें: स्पेशल ट्रेनों की जानकारी रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप से प्राप्त की जा सकती है। अतिरिक्त कोच की घोषणा के बाद भीड़ को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
भारतीय रेलवे ने हर साल की तरह इस बार भी यात्रियों को घर लौटने में मदद करने का प्रयास किया है। लेकिन यात्रियों की बढ़ती संख्या और सीमित संसाधनों के बीच, स्पेशल ट्रेनों के बावजूद स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में रेलवे को आने वाले सालों में यात्री सुविधाओं में और सुधार की आवश्यकता होगी, ताकि त्योहारों में सफर करना एक कष्टकारी अनुभव न बने।
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