लखनऊ एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव लीक से मची खलबली: 1.5 किमी एरिया खाली, 2 कर्मचारी बेहोश
लखनऊ के चौधरी चरण सिंह (अमौसी) एयरपोर्ट पर शुक्रवार को रेडियोएक्टिव लीक की घटना ने हड़कंप मचा दिया। इस घटना में 2 कर्मचारी बेहोश हो गए हैं और 1.5 किलोमीटर का क्षेत्र खाली करवा दिया गया है। घटना के बाद एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 को CISF और NDRF के हवाले कर दिया गया है और लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है।
शुरुआती जानकारी के अनुसार, लखनऊ से गुवाहाटी की उड़ान के लिए चेक-इन के दौरान एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर एक स्कैनिंग मशीन ने बीप की आवाज दी। जांच के दौरान, एक बॉक्स जिसमें कैंसर रोधी दवाएं थीं, से रेडियोएक्टिव गैस लीक होने की जानकारी मिली। इस बॉक्स में रेडियोएक्टिव एलिमेंट मौजूद था, और जैसे ही इसे खोला गया, तेजी से गैस निकलने लगी।
गैस के फैलने के कारण 2 कर्मचारी बेहोश हो गए और वहां भगदड़ मच गई। इमरजेंसी के तहत, 1.5 किलोमीटर का क्षेत्र खाली कर दिया गया और लोगों को सुरक्षा के मद्देनजर बाहर कर दिया गया।
एडवाइजरी और राहत कार्य: एयरपोर्ट प्रशासन ने टर्मिनल-3 के पास कारगो से गैस लीक की पुष्टि की है और कहा है कि 3 फायर सर्विस, NDRF और SDRF की टीमें मौके पर हैं और राहत कार्य में जुटी हैं। कुछ दवाओं के बॉक्स से फ्लोरीन गैस लीक होने की बात सामने आई है। एहतियात के तौर पर एडवाइजरी जारी की गई है कि प्रभावित क्षेत्र में न जाएं। एयरपोर्ट प्रवक्ता ने यह भी बताया कि एयरपोर्ट पर सामान्य ऑपरेशन प्रभावित नहीं हुआ है।
प्रशासन ने बताया- एयरपोर्ट के कारगो डिपार्टमेंट में हर दिन फ्लोरिन आती-जाती रहती है। आज मात्रा ज्यादा होने की वजह से मशीन ने डिटेक्ट किया और अलार्म बजने लगा। फिलहाल, एयरपोर्ट पर स्थिति सामान्य है।
स्वास्थ्य पर असर: गैस लीक होने के बाद वहां मौजूद लोगों को आंखों में जलन और घबराहट का सामना करना पड़ा। लखनऊ के लोकबंधु हॉस्पिटल के एनेस्थीसिया एक्सपर्ट डॉक्टर सुरेश कौशल ने बताया कि रेडियोएक्टिव गैस के संपर्क में आने से बेहोशी, आंखों में जलन, ब्लड प्रेशर कम होना, और फेफड़ों पर असर हो सकता है। फ्लोरीन गैस का उपयोग मेडिकल जांच और दवाओं को सुरक्षित तापमान पर रखने के लिए किया जाता है।
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