रेप का आरोप लगाओ , फिर मुकर जाओ, अब नहीं चलेगा ऐसा, होगा मुकदमा दर्ज ; कोर्ट
कोर्ट का एक बड़ा फैसला , रेप का आरोप लगाकर मुकरने वालों पर की जाएगी कार्रवाई
कोर्ट ने रेप केस पर लिया एक बड़ा फैसला। रेप का आरोप लगाने के बाद मुकरने वाली महिलाओं पर अब किया जाएगा मुकदमा दर्ज।
रेप का आरोप लगाने के बाद महिलाएं जो केस से मुकरती है अब उन पर पुलिस आपराधिक मुकदमा दर्ज करेगी। एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा के हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया। रेप का केस लगाने के बाद वह लोग जो परदे के पीछे लेनदेन करके फिर मुकर जाते हैं और समझौता कर लेते हैं उन पर अब पुलिस कार्रवाई करेगी। कोर्ट का यह कहना है कि ऐसे केसेस दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।
इस आदेश में 5 पॉइंट्स का खास ध्यान रखा जाएगा। कोर्ट का यह कहना है कि इस आदेश के बाद पीड़ितों पर दबाव नहीं बनेगा और कोई बेकसूर एक्सटॉर्शन का शिकार नहीं बनेगा। हाई कोर्ट ने पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी को निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट ने आखिर यह फैसला क्यों लिया
कुछ समय पहले हरियाणा और पंजाब के हाईकोर्ट में एक रेप केस आया था जिसमें एसआई राजबीर और एएसआई सुनीता ने अग्रिम जमानत की मांग की थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने 12 लाख लेकर समझौता करवाया, उसमें से 4 लाख पीड़ित महिला को दे दिए और बाकी के आपस में बांट लिए। हाई कोर्ट का यह कहना है कि इसमें पीड़ित महिला की वकील और हेड कांस्टेबल भी शामिल है।
हाई कोर्ट ने कहां है कि पीड़ित के मुकरने पर जांच अधिकारी एक रिपोर्ट एसपी को सौंपेंगे। इसके बाद एसपी इस मामले की जांच खुद करेंगे या किसी दूसरे अधिकारी से करवाएंगे। अगर किसी केस में महिला मुकरती है तो एसपी लिखित में इसके बारे में डीजीपी को बताएंगे और आखिरी फैसला डीजीपी का ही होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि कुछ लोग सिर्फ पैसों के लिए कानून का मजाक बना देते हैं।
अभी क्या है जमीनी हकीकत रेप मामलो की
अगर ऐसे मामलों की जमीनी हकीकत की बात की जाए तो जमीनी हकीकत कोर्ट की शब्दावली के अनुसार ही है । कई पुलिस कर्मियों से हमने जब इस मामले को लेकर बात की तो उन्होंने नाम न छापने के शर्त पर कहा कि ज्यादातर मामलों में आरोप लगाने के बाद पीड़िता और आरोपी के बीच समझौता हो जाता है । जिसे कहीं ना कहीं जो लोग वाकई में न्याय पाना चाहते हैं उनके मामले में न्याय मिलने में देरी होती है । और और कई मामले में तो देखा इस तरह से गया है कि सिर्फ पैसा लेने के लिए ही इस तरीके के आरोप लगाए जाते हैं । और पैसा लेने के साथ कोर्ट में एक एफिडेविट देकर के मामले को रफा दफा करवा दिया जाता है ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 फरवरी को दिया था लगभग यही फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 6 फरवरी 2024 को ऐसे ही एक मामले में लगभग यही फैसला सुनाया था और आज पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने भी इस बात को दोहराया है जिस बात को इलाहाबाद हाईकोर्ट दोहरा चुका है । तो इसे समझा जा सकता है कि कोर्ट भी ऐसे मामलों को लेकर चिंतित है । सही मायने में तो एक सख्त कानून बनाने की जरूरत है ताकि फर्जी मामलों पर रोक लगाई जा सके । और वाकई में जो पीड़ित है उसको न्याय मिल सके ।
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