पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने अनाधिकृत वीजा ऐजेंटों के खिलाफ याचिका स्वीकार की
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ पंजाब हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया
याचिका में कहा गया: इमीगेेशन एजेंसी का लाइसैंस देने का अधिकार डीसी या राज्य या केंद्र सरकारकी एजेंसी को नहीं अधिकार केवल संबंधित देश की इमीग्रेशन ऐजेंसी को
याचिका में कहा गया: इमीगेेशन एजेंसी का लाइसैंस देने का अधिकार डीसी या राज्य या केंद्र सरकारकी एजेंसी को नहीं अधिकार केवल संबंधित देश की इमीग्रेशन ऐजेंसी को
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने अनधिकृत इमीग्रेशन एजेंटों के साथ इमीग्रेशन एजेंसी के लिए आहर्ता निर्धारित करने के साथ युवाओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए कानून बनाने के साथ अधिकृत वीज़ा एजेंटों की सूची जारी करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को स्वीकार कर केंद्र सरकार के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा की सरकारों को नोटिस भेज कर जवाब तलब किया है। पंजाब और हरियाणा में हाईकोर्ट में याचिका करनाल के समाजसेवी अरविंद कुमार ने पिछले दिनों जारी की थी। हरियाणा के करनाल के अरविंद कुमार एक कनाडा की अधिकृत संस्था से मान्यता प्राप्त परामर्शदाता हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, वह कनाडा की अधिकृत संस्था से मान्यता प्राप्त परामर्शदाता है। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि पंजाब और हरियाणा में, संबंधित राज्यों के उपायुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक वीजा एजेंटों को मंजूरी देते रहे हैं। जबकि लाइसैंस संबंधित देशों की इमीग्रेशन विभाग या वहां की नियामक संस्था द्वारा दिया जाता है । अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, एजेंट या सलाहकार या किसी विशिष्ट देश के लिए वीजा पर काम करने वालों को उस देश के नियामक प्राधिकरण से उसके कानूनों का अनुपालन करते हुए लाइसैंस प्राप्त करना चाहिए। विशेष रूप से, अवैध वीज़ा एजेंटों के मुद्दे ने वीज़ा सुविधा प्रक्रियाओं की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के बारे में चिंता पैदा कर दी है। अनधिकृत आव्रजन एजेंटों में वृद्धि के साथ, वीजा चाहने वाले व्यक्तियों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकृत वीज़ा एजेंटों की सत्यापित सूची की कमी ने आवेदकों के बीच काफी असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे संभावित शोषण और वित्तीय जोखिम हो सकते हैं। विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा क्षेत्र में ऐसे एजेंटों का प्रसार देखा गया है जो संबंधित देश से उचित मान्यता या अनुमोदन के बिना वीजा प्रक्रियाओं में सहायता करने का दावा करते हैं। इसके परिणामस्वरूप एक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है, जहां बिना सोचे-समझे आवेदक धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनके वित्त और विदेश यात्रा की आकांक्षाएं दोनों खतरे में पड़ जाती हैं। उहोंने अनधिकृत एजेंटों के हाथों युवाओं को प्रताडि़त होने से बचाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई थी। उनका कहना है कि इमीग्रेशन पालिसी के अनुसार जिस देश का वीजा लगवाने के लिए एजेंट काम करता है उसे संबंधित देश ही लाइसेंस दे सकता है। हाईकोर्ट ने एजेंटों के हाथों प्रताडि़त होने वाले युवाओं से जुड़ी जानकारी इस सुनवाई पर सौंपने का याची को आदेश दिया था। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली। संबंधित प्रतिवादी पक्षों से इस संबंध में जवाब मांगा है।
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