22 करोड़ की प्रॉपर्टी, 7.5 करोड़ कन्वरशन फीस, NOC की जगह तीन साल से एस्टेट ऑफिस दे रहा तारीख पे तारीख
केंद्र शासित चंडीगढ़ जैसे अत्याधुनिक शहर में, जहां प्रशासन का दावा है कि सरकारी रिकॉर्ड पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुके हैं, एक मामला प्रकाश में आया है। भाजपा कार्यकारिणी सदस्य और निवेशक सुभाष शर्मा पिछले साढ़े तीन साल से चंडीगढ़ के एस्टेट ऑफिस के सम्पदा विभाग के चक्कर काट रहे हैं। उनकी प्रॉपर्टी कन्वर्शन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है, जिसके चलते उन्होंने NOC विभाग के बाहर धरना दे दिया है।
सुभाष शर्मा कौन हैं?: सुभाष शर्मा एक प्रमुख निवेशक और बिल्डर हैं। उन्होंने 2020 में इंडस्ट्रियल एरिया फेज में प्लॉट नंबर 89 लगभग 22 करोड़ रुपये में खरीदा। उनका उद्देश्य था कि प्रॉपर्टी का कन्वर्शन कर इसे किराए पर दे दें। उन्होंने 2021 में सभी आवश्यक कागजात एस्टेट ऑफिस की बिल्डिंग ब्रांच में जमा कर दिए थे। लेकिन फरवरी 2021 से अगस्त 2024 तक उन्हें एसडीओ बिल्डिंग सेक्टर 17 चंडीगढ़ के चक्कर काटने पड़े हैं।
मामला क्या है?: सुभाष शर्मा ने दावा किया है कि उनके दस्तावेजों पर लगातार आपत्तियां उठाई गईं, जैसे कि नक्शा ठीक नहीं है, रिकॉर्ड मैन्युअल में है लेकिन ऑनलाइन नहीं है, या फिर संबंधित अधिकारी छुट्टी पर हैं। हर बार जब नक्शा बदला गया, उसे फिर से पास किया गया और हर बार अलग-अलग फीस भी भरनी पड़ी। शर्मा का कहना है कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में सात करोड़ रुपये कन्वर्जन फीस के रूप में जमा किए हैं और रिश्वत भी दी है।
तत्कालीन डी सी का आश्वासन और जवाब: सुभाष शर्मा ने बताया कि उन्होंने कई बार तत्कालीन डी सी एस्टेट ऑफिस से मुलाकात की और छः महीने पहले डी सी ने आश्वासन दिया था कि अगर यह काम मैन्युअली भी किया जाए तो दो से तीन महीने में फाइल क्लियर हो जाएगी। हालाँकि, डी सी रहे एच सी एस संयम गर्ग, जो अब हरियाणा जा चुके हैं, ने इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
सुभाष शर्मा के धरने ने चंडीगढ़ के प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और दक्षता पर सवाल उठाए हैं। देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे का समाधान कब तक निकालता है और सुभाष शर्मा को उनके अधिकार मिलते हैं या नहीं।
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