हिंदुस्तान टाइम्स और पूर्व रिपोर्टर नीलेश मिश्रा को 40 लाख रुपये हर्जाना अदा करने का आदेश
मानहानि मामले में कोर्ट सख्त, 60 दिनों में माफी प्रकाशित करने के निर्देश
न्याय की नसीहत : पत्रकारिता में ज़िम्मेदारी ज़रूरी
नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने प्रतिष्ठित समाचार पत्र हिंदुस्तान टाइम्स और उसके पूर्व पत्रकार नीलेश मिश्रा को व्यवसायी अरुण कुमार गुप्ता के मानहानि मामले में कुल 40 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह फैसला 2007 में प्रकाशित एक रिपोर्ट को लेकर सुनाया, जिसमें गुप्ता पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे।
जिम्मेदारी तय: संस्थान पर बड़ा भार
जिला न्यायाधीश प्रभदीप कौर ने अपने फैसले में कहा कि कुल हर्जाना राशि में से 75% हिंदुस्तान टाइम्स को और शेष 25% नीलेश मिश्रा को देना होगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अखबार 60 दिनों के भीतर एक सार्वजनिक माफी प्रकाशित करे और भविष्य में गुप्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की मानहानिपूर्ण सामग्री प्रकाशित न करे।
क्या है मामला?
अरुण कुमार गुप्ता वर्ष 2000 में इंटेग्रिक्स नामक कंपनी के निदेशक थे और 2005 में इस्तीफा देकर Darts IT Network की स्थापना की। इसके बाद, 2006 में इंटेग्रिक्स ने उनके खिलाफ ईमेल और वेबसाइट हैकिंग से जुड़ी शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, अदालत में यह स्पष्ट हुआ कि आरोपित IP एड्रेस गुप्ता से संबंधित था, पर 2007 में हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट ने दावा किया कि एक व्यक्ति को वित्तीय अनियमितताओं के कारण कंपनी से निकाला गया — जिससे गुप्ता की छवि प्रभावित हुई।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप प्रमाणहीन और गुप्ता की सामाजिक छवि को ठेस पहुँचाने वाले थे। अदालत ने माना कि रिपोर्ट में बिना नाम लिए जिन बातों का उल्लेख किया गया था, वे सीधे तौर पर गुप्ता से जुड़ती थीं, जैसा कि कई गवाहों ने पुष्टि की।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ना तो रिपोर्टर और ना ही अखबार ने ऐसा कोई ठोस साक्ष्य पेश किया, जिससे यह साबित हो सके कि गुप्ता को वित्तीय गड़बड़ियों के कारण निकाला गया था।
न्याय की नसीहत: पत्रकारिता में ज़िम्मेदारी ज़रूरी
अदालत ने कहा, “संस्थान की जिम्मेदारी व्यक्ति से अधिक होती है। बड़े मीडिया हाउस को खबर प्रकाशित करने से पहले तथ्यों की गहन जांच करनी चाहिए।”
यह फैसला एक बार फिर मीडिया संस्थानों के लिए यह स्पष्ट संकेत है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ तथ्यपरकता और ज़िम्मेदारी भी अनिवार्य है।
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