मेहरबानी क्यों ? गरीबों के आशियानों पर बुलडोजर, अमीरों पर कब कार्रवाई होगी?
जो सत्ता पक्ष का करीबी उसके घर और प्रतिष्ठान तक नहीं पहुंच रहा बुलडोजर
प्रशासन की दोहरी नीति पर उठ रहे सवाल
पंचकूला, शुक्रवार:
शहर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को लेकर उठे सवाल अब एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुके हैं। शुक्रवार को खड़क मंगोली क्षेत्र में नगर निगम और HSVP प्रशासन की कार्रवाई में बुलडोजर ने गरीब बस्ती को निशाना बनाते हुए 300 से अधिक झुग्गी-झोपड़ियां तोड़ दीं। प्रशासन की कार्रवाई को “अतिक्रमण हटाने” के नाम पर सही ठहराया गया, लेकिन शहर में मौजूद अन्य बड़े अवैध कब्जों पर अब भी चुप्पी साधे रखी गई है। गरीबों पर कड़ी कार्रवाई और अमीरों के प्रतिष्ठानों के सामने सरकारी जमीन पर कब्जे को अनदेखा करने से प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
पंचकूला शहरी क्षेत्र में कई अमीरों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है पर प्रशासन की निगाहें वहां तक नहीं जाती हैं क्योंकि यह सभी प्रतिष्ठान सत्ता पक्ष से या तो सीधे तौर पर जुड़े हुए या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े होते हैं । यही वजह है कि गरीबों की बस्ती तक पहुंचने वाला पीला पंजा यहां तक नहीं पहुंचता । और अगर कभी कबार गलती से पीले पंजे वाली गाड़ी उनके प्रतिष्ठान तक पहुंच भी जाती है तो उसे अधिकारी की खैर नहीं होती जिसने आर्डर दिया होता है । क्या यही कानून का राज है । जहां पर कानून के दोहरे मापदंड हो , यही कानून है ।
अवैध कब्जों का असली चेहरा: अमीरों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
होटल कोव , सेक्टर 5 — ग्रीन बेल्ट पर कब्जा
सेक्टर 5 में स्थित होटल कोव ने अपने होटल के ठीक सामने सरकारी जमीन पर ग्रीन बेल्ट डेवलप करके उसे अपने होटल का बना दिया है यानी सरकारी जमीन पर कब्जा। और तो और होटल के बैक साइड में भी अवैध कब्जा बरकरार है । कभी बुलडोजर यहां भी पहुंच जाए जैसे गरीबों की बस्ती पर पहुंच जाता है । प्रशासन की नज़र से यह अतिक्रमण अछूता बना हुआ है।
यह होटल वार्ड नंबर 5 में आता है । और इस वार्ड से पार्षद सोनू बिरला है । वार्ड नंबर 5 की पार्षद सोनू बिरला से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें इस कब्जे की जानकारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सोमवार को HSVP से बात करके ही स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी।

होटल पेन इन सुला , सेक्टर 8 — सार्वजनिक सुविधाओं के रास्ते पर कब्जा
सेक्टर 8-9 की लाइट प्वाइंट के बिल्कुल करीब होटल ‘पेन इन सुला ’ ने अपने प्रवेश द्वार पर ग्रीन बेल्ट का निर्माण कर दिया है, जिससे सार्वजनिक टॉयलेट का रास्ता बंद हो गया है। पिछले दो वर्षों में कई बार नगर निगम से शिकायत की गई, लेकिन न तो ग्रीन बेल्ट हटाई गई और न ही वैकल्पिक व्यवस्था की गई। मजे की बात तो यह कि यह होटल भी भाजपा के एक कद्दावर नेता से जुड़ा हुआ बताया जाता है और यही वजह है यहां पर भी बुलडोजर नहीं पहुंच रहा ।
यह होटल वार्ड नंबर 4 में आता है जिसकी पार्षद सोनिया सूद है । वार्ड नंबर 4 की पार्षद सोनिया सूद ने बताया कि होटल ने पीछे की तरफ भी कब्जा कर रखा है, जिससे लोग सार्वजनिक शौचालय का उपयोग तक नहीं कर पा रहे हैं। इसके संबंध में उन्होंने लिखित तौर पर शिकायत नगर निगम को दे रखी है पर कार्यवाही नहीं हो रही । लगभग 15 महीने पहले कांग्रेस के पार्षदों ने इस होटल के पास पहुंचकर अतिक्रमण को लेकर काफी हंगामा भी किया था । पर अतिक्रमण आज तक बरकरार है ।


स्काई वर्ल्ड स्कूल, वार्ड 13 — सरकारी जमीन पर स्थायी कब्जा
वार्ड 13 में स्थित स्काई वर्ल्ड स्कूल ने हुड्डा की खाली जमीन पर कब्जा पिछले कई सालों से कर रखा है। सेक्टर 21 के कम्युनिटी सेंटर और स्कूल के बीच पड़ी सरकारी जमीन को जोड़कर ग्रीन बेल्ट बना दी गई है। और तो और स्कूल इस ग्रीन बेल्ट को स्कूल का हिस्सा बढ़कर अभिभावकों से फीस भी ज्यादा वसूलत रहा है । पर यह अतिक्रमण भी प्रशासन की निगाह से दूर है । हालांकि इसी स्कूल के अतिक्रमण को लेकर जब एचएसबीपी के एक अधिकारी ने कार्यवाही करने की कोशिश की थी तो उसे चार्ज शीट करवा दिया गया । क्योंकि इस स्कूल के मालिकों के संबंध भी सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं । ऐसे में बुलडोजर यहां कैसे आ सकता है ।
यह स्कूल वार्ड नंबर 13 में आता है जिसके पार्षद सुनीत सिंगला है । इस अतिक्रमण को लेकर पार्षद सुनील सिंगला ने कहा कि यह मामला HSVP का है और वे खुद इसकी पुष्टि नहीं कर सकते।
लेकिन प्रशासन की चुप्पी और कार्रवाई की कमी से यह कब्जा धीरे-धीरे स्थायी रूप लेता जा रहा है। स्कूल मालिकों के सत्ता पक्ष से जुड़े होने की बात सार्वजनिक चर्चा में है।

प्रशासन की प्राथमिकताएँ: गरीबों पर बुलडोजर, अमीरों पर क्यों नहीं?
यह तो सिर्फ चंद उदाहरण है पर इन उदाहरणों से साफ हो गया है कि सरकारी जमीनों पर कब्जों के मामले में प्रशासन की कार्रवाई वर्ग विशेष पर केंद्रित हो गई है। गरीबों की बस्तियाँ, जिनमें रहने वाले समाज के कमजोर वर्ग से आते हैं, उन्हें हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल तुरंत किया जाता है। वहीं, बड़ी होटल श्रृंखलाओं, निजी स्कूलों और प्रभावशाली परिवारों द्वारा किए गए कब्जों पर प्रशासन चुप्पी साधे रहता है।

यह दोहरा मापदंड प्रशासन की निष्पक्षता और समतामूलक नीति पर गंभीर सवाल उठाता है। जिसकी वजह से आम जनता में नाराज़गी बढ़ती जा रही है और सवाल किया जा रहा है कि सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले अमीर प्रतिष्ठितव्यक्तियों पर कार्रवाई कब होगी? या फिर कार्रवाई कभी होगी भी नहीं ।
जनप्रतिनिधियों के बयान: जानकारी सीमित, कार्रवाई अधूरी
सोनू बिरला, पार्षद, वार्ड 5:
“हमें इस कब्जे की जानकारी नहीं है। सोमवार को HSVP से बात कर स्थिति स्पष्ट करेंगे। यदि अतिक्रमण है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”
सोनिया सूद, पार्षद, वार्ड 4:
“हमने कई बार नगर निगम को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। होटल ने ग्रीन बेल्ट के अलावा पीछे की तरफ भी कब्जा कर रखा है। सार्वजनिक टॉयलेट का रास्ता बंद है, लोग परेशान हैं।”
सुनील सिंगला, पार्षद, वार्ड 13:
“यह मामला HSVP का है। मैं नगर निगम का पार्षद हूँ। अतिक्रमण है या नहीं, यह HSVP के अधिकारी बता सकते हैं। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता।”
अंबाला क्षेत्र के लोकसभा सांसद वरुण मुलाना का इस पूरे मामले पर कहना है कि , जब मोदी जी चुनाव 2014 में आए थे तब उन्होंने 2022 में सबके घर पर छत देने का वादा किया था । 2022 तो बीत गया 2025 में छत छीनने का काम बीजेपी कर रही है ।
शहर की सरकारी जमीनों पर बढ़ते अतिक्रमण और प्रशासन की निष्क्रियता ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या कार्रवाई केवल गरीबों के खिलाफ होगी, जबकि अमीरों और प्रभावशाली लोगों पर मेहरबानी की जाएगी? प्रशासन को चाहिए कि वह सभी पर समान रूप से कानून लागू करे। तभी सरकारी जमीनों की रक्षा संभव होगी और समाज में न्याय की भावना बनी रहेगी।
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