पितृ पक्ष : क्या करे क्या न करे पूरी जानकारी
कुछ काम ऐसे जो नही करने चाहिए पितृ पक्ष के दौरान
हिन्दूधर्म में पितरों की आत्माशांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है। कहा जाता है कि हर साल पितृ पक्ष में पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं और श्राद्ध मिलने पर प्रसन्न होते हैं। इसलिए पितरों की पूजा,तर्पण के कार्य श्राद्ध पक्ष में बेहद उत्तम माने जाते हैं। इस साल 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर को तक चलेगा। इस दौरान पूर्वज और पितरों के लिए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म अति आवश्यक माने जाते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि से ही हो जाता है। इस बार श्राद्ध पक्ष के आरंभ में कई संयोग बन रहे हैं। आमतौर पर अनंत चतुर्दशी के अगले दिन भाद्रपद पूर्णिमा से श्राद्ध आरंभ होते हैं, लेकिन इस बार अनंत चतुर्दशी, गणेश विसर्जन और पूर्णिमा श्राद्ध एक ही दिन पड़ रहे हैं। 17 सितंबर को सूर्योदय से लेकर सुबह 11 बजकर 44 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। वहीं, 11:44 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी और पूर्णिमा का भी श्राद्ध आरंभ हो जाएगा।
पितृ पक्ष 2024 श्राद्ध की 16 तिथियां :
17 सितंबर 2024 पूर्णिमा श्राद्ध : भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 18 सितंबर सुबह 08 बजकर 4 मिनट तक रहेगी।
18 सितंबर 2024 प्रतिपदा श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट से लेकर 19 सितंबर सुबह 04 बजकर 19 ए एम तक रहेगी।
19 सितंबर 2024 द्वितीया श्राद्ध : अश्विन माह की कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि 19 सितंबर को सुबह 04 बजकर 19 मिनट से लेकर 20 सितंबर को प्रातःकाल 12 बजकर 39 तक रहेगी।
20 सितंबर 2024 तृतीया श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 20 सितंबर को सुबह 12 बजकर 39 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।
21 सितंबर 2024 चतुर्थी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 सितंबर को रात 09 बजकर 15 मिनट से लेकर 21 सितंबर को सायं 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगी।
22 सितंबर 2024 पंचमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 21 सितंबर को शाम 6 बजकर 13 मिनट से लेकर 22 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 34 मिनट तक रहेगी।
23 सितंबर 2024 षष्ठी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 22 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 43 मिनट से 23 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।
24 सितंबर 2024 सप्तमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 23 सितंबर से दोपहर 1 बजकर 50 मिनट से लेकर 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।
25 सितंबर 2024 अष्टमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगी।
26 सितंबर 2024 नवमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 26 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।
27 सितंबर 2024 दशमी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 26 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से 27 सितंबर दोपहर 01 बजकर 20 मिनट तक रहेगी।
28 सितंबर 2024 एकादशी श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट तक रहेगी।
29 सितंबर 2024 द्वादशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट तक रहेगी।
30 सितंबर 2024 को त्रयोदशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट से 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगी।
1 अक्टूबर 2024 को चतुर्दशी का श्राद्ध : अश्विन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट से 1 अक्टूबर को रात 09 बजकर 34 मिनट तक रहेगी।
2 अक्टूबर 2024 को अमावस्या का श्राद्ध : अश्विन माह की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को रात 09 बजकर 34 मिनट से 3 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।”
पितृपक्ष में पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इस दौरान पितृ धरती पर आकर अपने परिजनों से मिलते हैं। ऐसे में कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे वह नाराज हों।
पितृपक्ष में पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इस दौरान पितृ धरती पर आकर अपने परिजनों से मिलते है
इन कामों को भूलकर ना करें
नए घर का निर्माण ना शुरू करें
पितृ पक्ष के दौरान माना जाता है कि नए घर का निर्माण कार्य नहीं शुरू करना चाहिए। ऐसा करने पर पितृ गुस्सा हो जाते हैं, जिससे नकारात्मकता फैलती है।
मांगलिक कार्य ना करें
मुंडन, सगाई, जनेऊ, गृह प्रवेश आदि कार्यों से दूर ही रहना चाहिए। नए वाहन, आभूषण भी खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि इन सबसे पितृ दुखी होते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान इन चीजों को भूलकर भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। चना, काला नमक, खीरा, सरसों का साग, कद्दू आदि चीजों से दूरी बनानी चाहिए।
रात में ना करें श्राद्ध
पितृपक्ष में पितृ का तर्पण व श्राद्ध सूर्य की रोशनी में ही करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि यह रात के अंधेरे में नहीं करना चाहिए। इसको अशुभ माना जाता है
पितृ पक्ष के दौरान ये काम करने चाहिए:*
सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और जल में काले तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करना चाहिए.
पितरों का तर्पण विधिपूर्वक करना चाहिए.
तर्पण करते समय पूर्व दिशा की तरफ़ मुंह रखना चाहिए.
पितरों के लिए भोजन बनाना चाहिए और उन्हें अर्पित करना चाहिए.
घर के दक्षिण दीवार पर पूर्वजों की तस्वीर लगाकर उनके सामने दीप या अगरबत्ती जलाना चाहिए.
रोज़ाना शाम के समय दक्षिण दिशा में तेल का दीपक लगाना चाहिए.
रोज़ाना दोपहर के समय पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
पितृ पक्ष में पितरों के लिए भोग लगाना चाहिए और पितृस्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
पितृ पक्ष में ब्राह्मण या किसी सन्त महात्मा को भोजन और वस्त्र आदि दान करके श्राद्ध करना शुभ माना गया है।
. श्राद्ध पक्ष में गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को भोजन खिलाना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
. कहा जाता है कि इस अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।”
“जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें इस दौरान गया जी, उज्जैन और अन्य स्थानों पर पिंडदान करना चाहिए।
पितृ तर्पण के लिए जानकार पुरोहित को बुलाना चाहिए।
इस समय गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को खाना खिलाना बहुत शुभ माना जाता है।
यह अवधि विवाह, सगाई और रोका समारोह के लिए अशुभ मानी जाती है।
इन दिनों मांस खाने से बचना चाहिए।
यह समय धार्मिक कार्यों के लिए विशेष माना जाता है।
इस दौरान सोना, चांदी खरीदना अशुभ माना जाता है।
इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दौरान बाल कटवाने, नाखून काटने और शेविंग करने से भी बचना चाहिए।
किसी के साथ गलत व्यवहार न करें।
बड़ों का सम्मान करें।” पितृपक्ष में केवल नया घर, नई गाड़ी, जमीन, कपड़े, गहने, सजावटी सामान आदि की खरीदारी ही वर्जित नहीं है, बल्कि 3 ऐसी चीजों को खरीदने की भी मनाही की गई है, जिनका रोजाना उपयोग होता है लेकिन श्राद्ध में इन चीजों को खरीदना त्रिदोष का कारण बनता है. श्राद्ध में इन चीजों को खरीदने से पितृ नाराज होते हैं. जीवन में मुसीबतें पीछा नहीं छोड़ती हैं. आर्थिक हानि होती है. नौकरी-व्यापार में तरक्की रुक जाती है. रिश्तों और सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
सरसों का तेल : पितृ पक्ष या श्राद्ध के दौरान तेल नहीं खरीदना चाहिए. बेहतर है कि श्राद्ध पर्व शुरू होने से पहले ही सरसों का तेल खरीद कर रख लें. वरना शनि का प्रकोप पीछा नहीं छोड़ेगा.
झाड़ू : झाड़ू का संबंध धन की देवी मां लक्ष्मी से है और पितृ पक्ष या श्राद्ध में नई झाड़ू खरीदना गरीबी लाता है.
नमक : श्राद्ध के दौरान नमक खरीदना भी वर्जित है. बेहतर है कि श्राद्ध के भोजन या दान के लिए नमक दान करना है तो पहले ही खरीद लें.
पितर मंत्र ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।: पितृस्तोत्र ।।का पाठ भी कर सकते है
1- अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
हिन्दी अर्थ– जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ ।
2- इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।
हिन्दी अर्थ– जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ ।
3- मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
हिन्दी अर्थ– जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ ।
4- नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
5- देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
6- प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
हिन्दी अर्थ– प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।
7- नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
हिन्दी अर्थ– सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ ।
8- सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
हिन्दी अर्थ– चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ ।
9- अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
हिन्दी अर्थ– अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है ।
10- ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
हिन्दी अर्थ– जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ । उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों ।
।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त ।।
: गीता का पाठ करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है. इस समय मन, मस्तिष्क, और वातावरण शुद्ध, शांतिमय, और सकारात्मक होता है. गीता का पाठ हमेशा स्नान करने या शुद्ध अवस्था में ही करना चाहिए.
गीता का सातवा अध्याय पितृ मुक्ति मोक्ष का है इसे ज्ञान विज्ञान योग कहा जाता है। इसका पाठ भी पितर पक्ष मे कर सकते है।
डा कनिका अग्रवाल
ज्योतिषाचार्य
एस्टोलोजर
वास्तु एक्सपर्ट
9599315275
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!