हिंदू एकता का कड़वा सच : सेल्फी लेने वाले ज्यादा , साथ चलने वाले कम
बांग्लादेश विरोधी प्रदर्शन मे सेल्फी ज्यादा ले रहे लोग , क्या सेल्फी से हिंदू एकता बन पाएगी
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में पिछले कई महीनो से हिंदुओं के ऊपर लगातार अत्याचार बढ़ रहा है । यहां तक की कई मंदिरों को ध्वस्त किया जा चुका है इस्कॉन टेंपल के प्रमुख जेल में बंद है उनके वकील के ऊपर कातिलाना हमला हो चुका है । वहीं बांग्लादेश के नेता भारत विरोधी बयान देने में लगे हुए हैं । महिलाओं की इज्जत सरेआम लूटी जा रही है । इस तरह के मामलों को देखते हुए भारत के लगभग सभी शहरों में बांग्लादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं । पर इन विरोध प्रदर्शन में उभरने वाली भीड़ में ज्यादातर लोग सिर्फ सेल्फी खिंचवाकर सोशल मीडिया पर उसे फोटो को पोस्ट करके हिंदू एकता का प्रतीक बनते हुए नजर आ रहे हैं ।
पंचकूला में आज बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ चल रही हिंसा के विरोध में एक धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया था, जिसे संत समाज द्वारा आयोजित किया गया। बेला विस्ता चौक पर आयोजित इस प्रदर्शन में करीब 1000 लोग शामिल हुए थे। पर जब संत समाज ज्ञापन देने के लिए उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचा तब तक लगभग 500 लोग इस धरना प्रदर्शन से कम हो चुके थे । तो ऐसे में बड़ा सवाल है उठना है कि क्या यह लोग सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए आए थे या फिर जो कद्दावर लोग आए थे उनको अपनी शक्ल दिखाने । लेकिन यहां सवाल उठता है—क्या हिंदू एकता बड़े नेताओं को शक्ल दिखाने या फिर सिर्फ सेल्फी और सोशल मीडिया पोस्ट से संभव है?
धरने में शामिल होने वाले लोगों ने इस मुद्दे पर अपना आक्रोश जताने के बजाय, अपनी “स्मार्टनेस” और “हिंदू एकता” की तस्वीरें खींचने पर अधिक ध्यान दिया। चौंकाने वाली बात यह थी कि जितने लोग प्रदर्शन में थे, उनमें से ज्यादातर ने पहले फोटो खिंचवाए, फिर सोशल मीडिया पर स्टेटस डाले, और बाद में एकता और आक्रोश का आभास सोशल मीडिया से ही ले लिया। धरने में शामिल 1000 लोगों में से लगभग 500 लोग ही उस स्थान तक पहुंचे जहां गंभीर विरोध दर्ज किया जा सकता था।
क्या यह प्रदर्शन हिंदू एकता का प्रतीक है, या फिर बस एक और सेल्फी का शौक है? क्या बांग्लादेश में हो रही हिंसा का विरोध करने का यही तरीका है—एक फोटो, एक पोस्ट और फिर चुप्पी? ये सवाल निश्चित रूप से हमारे समाज को झकझोरने वाले हैं, क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर एक्शन का नतीजा असल दुनिया में बेहद कम ही दिखाई देता है।
तो क्या सेल्फी से सचमुच हिंदू एकता होगी या फिर ये बस एक और ‘ट्रेंड’ बन कर रह जाएगा? वक्त बताएगा!
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