नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है
नववर्ष अपने अंतिम पड़ाव पर है। आज जब यह आलेख लिखा जा रहा है तब 30 दिसंबर 2024 का दिन है और सोमवार है। अंग्रेजी नववर्ष-2025 बुधवार से शुरू होने जा रहा है। बुध मतलब शुद्ध, एक अच्छी और नायाब शुरूआत का दिन। भगवान गजानन का दिन। हमें यह चाहिए कि इस अंग्रेजी नववर्ष में हम कुछ प्रण लें, संकल्प लें। कहना ग़लत नहीं होगा कि साल का बदलना हम सभी के लिए वास्तव में तभी सार्थक है, जब हम भी इसके साथ स्वयं को बदलें, अपना आत्मपरीक्षण करें कि पिछले वर्ष हमने क्या किया और हम क्या नहीं कर पाए। हमारे कौनसे संकल्प और प्रण अधूरे रह गये, जिन्हें हमें अपनी मेहनत,लगन,निष्ठा और पूर्ण ईमानदारी से इस साल पूर्ण करना है। नववर्ष में हमें अपने लक्ष्यों को स्थापित करना है। अक्सर हर साल होता यह है कि जैसे ही नया साल आता है,हम अपने संकल्पों को हासिल करने के लिए बहुत ही उत्साहित होते हैं लेकिन समय के साथ हम अपने लक्ष्यों, उद्देश्यों से दूर होते चले जाते हैं और हमारा उत्साह कम होता चला जाता है। हमारे विचार और कभी-कभी परिस्थितियां हमें अपने लक्ष्यों, उद्देश्यों से भटका देती है लेकिन हमें यह याद रखना कि हमें ईश्वर में विश्वास रखते हुए अपने उद्देश्यों, लक्ष्यों को पूर्ण ईमानदारी से पूरा करना है। हमें जीवन की परेशानियों से, दिक्कतों से कहीं भी भ्रमित नहीं होना है, और सही, सटीक दिशा में कर्म करना है , यदि हम ऐसा करेंगे तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।पाठक जानते हैं कि निष्काम कर्म ही गीता में कर्मयोग कहा गया है। गीता में उपदेश करते हुए भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । मतलब यह है कि ‘तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं।’ याद रखिए कि कोई भी कर्म करने के लिए सही दिशा और सही उद्देश्यों का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण व अहम् होता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि व्यक्ति अधिकतर जैसा सोचता है और जैसा वह करता है, वैसा ही वह बनने लगता है। दूसरे शब्दों में यह कहना ग़लत नहीं होगा कि जैसा हम सोचते हैं वैसा ही हम बनते हैं और वैसे ही आगे बढ़ते हैं, वैसे ही कार्य करते चले जाते हैं, क्योंकि विचार एक ऐसी ताकत है जो हमें उसी दिशा में अग्रसारित करती है, जिस दिशा की ओर हमारे विचार उत्पन्न हो रहे होते हैं। किसी ने ग़लत नहीं कहा है कि सोच शब्दों में परिवर्तित होने लगती है, और धीरे-धीरे शब्द क्रिया में बदल जाते हैं, और फिर क्रिया आदत बन जाती है, आदत आगे चलकर चरित्र का निर्माण करती है और चरित्र भाग्य का सृजन करते हैं। नये साल के साथ एक नयी ऊर्जा के साथ हमें चेतन को चमकाना है, मन में ज्योति तरंगों को बिम्बित करते हुए उद्देश्यों की प्राप्ति में जुट जाना है। किसी ने नये साल पर क्या खूब कहा है कि -‘अब के बार मिल के यूँ साल-ए-नौ मनाएँगे,रंजिशें भुला कर हम नफ़रतें मिटाएँगे।’ नये साल में हमें आपसी रंजिशों,वैर-भाव को भुलाते हुए मानवता के कल्याण हेतु कृतसंकल्पित होना है और काम करना है। सच तो यह है कि नए साल में अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए सबसे पहले हमें अपनी सोच बदलने का संकल्प लेना होगा। हमें अपने कल्याण के लिए ही नहीं अपितु संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कर्म पथ पर अग्रसर होना है। दीन-दुखियों की सहायता का प्रण लेना है। प्राणों में नये अरमानों को भरना है। हमें अपनी आशाओं, अभिलाषाओं को कर्म पथ पर चलकर नये साल के नये विहान में नव रश्मियों को बिखेरना है। कल की चिंताओं को भूलते हुए वर्तमान में हर्ष और उमंग के साथ जीना है। यह जीवन बहुत सुंदर है। संघर्ष तो मानव जीवन का असली हिस्सा है। संघर्षों बिना जीवन, जीवन नहीं है। नववर्ष में हमें अपने सपनों की झंकार को झंकृत करना है, यकीं मानिए निश्चित ही यह नववर्ष हमारे लिए खुशियों लेकर आएगा। इस नववर्ष स्नेह और आत्मीयता से हम सबको खुश और प्रसन्नचित्त रखने का प्रयास करें। स्वयं भी सकारात्मक रहें और दूसरों को भी हमेशा प्रोत्साहित और उत्साहित करें। हमेशा परम पिता परमेश्वर का धन्यवाद व्यक्त करें, क्यों कि ईश्वर ने हमें जो प्रदान किया है,वह दुनिया में बहुत से लोगों के पास नहीं है। नववर्ष में नये मुकामों,नये आयामों को छूना है, उन्हें प्राप्त करना है। हमें आशाओं के साथ, कुछ नया करके इतिहास रचाना है। जीवन को संगीतबद्ध करना है। अंत में अली सरदार जाफ़री जी खूबसूरत शब्दों में यही कहूंगा कि-‘पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं, नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है।’इसी आशा और विश्वास के साथ आप सभी को नववर्ष की मंगलकामनाएं, शुभकामनाएं।
सुनील कुमार महला
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