पंचकूला विधानसभा चुनाव: ज्ञानचंद गुप्ता की सीट पर संकट
पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार ज्ञानचंद गुप्ता इस बार राजनीतिक संकट में घिरे हुए नजर आ रहे हैं। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में लगातार जीत के बाद, 2024 का चुनाव उनके लिए आसान नहीं दिख रहा है। इस बार उनके कोर वोट बैंक में सेंध लग गई है, जो उन्हें चुनावी मैदान में मुश्किल में डाल रही है।
बनिया समाज का महत्व
बनिया समाज, जो कि ज्ञानचंद गुप्ता का कोर वोट बैंक माना जाता है, पंचकूला विधानसभा में लगभग 14% की वोटिंग का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन इस बार बनिया समाज से तीन अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जो गुप्ता की स्थिति को कमजोर कर रहे हैं। इससे पहले गुप्ता ने अपने चुनावी अभियानों में बनिया समाज का समर्थन मजबूत किया था, लेकिन इस बार की स्थिति काफी अलग है।
बनिया समाज से कौन-कौन है प्रत्याशी?
2024 के विधानसभा चुनाव में पंचकूला विधानसभा के लिए बनिया समाज से निम्नलिखित प्रमुख प्रत्याशी मैदान में हैं:
- ज्ञानचंद गुप्ता – भारतीय जनता पार्टी
- सुशील गर्ग – जननायक जनता पार्टी
- प्रेम गर्ग – आम आदमी पार्टी
इन तीनों उम्मीदवारों के बीच प्रतिस्पर्धा ने गुप्ता की स्थिति को और कठिन बना दिया है।
सुशील गर्ग का उभरता समर्थन
पंचकूला विधानसभा में लगभग 14% वोट बैंक वाले बनिया समाज में सुशील गर्ग नरवाना का नाम तेजी से चर्चा में है। हाल के दिनों में, गुप्ता के करीबी सहयोगी और समर्थक अब सुशील गर्ग के समर्थन में आ रहे हैं।
एक नाम न छापने की शर्त पर बनिया समाज के एक व्यक्ति ने बताया कि इस बार कई लोग ज्ञानचंद गुप्ता से नाराज हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि बनिया समाज का कोई व्यक्ति इस सीट पर प्रतिनिधित्व करे, इसलिए अधिकतर लोग सुशील गर्ग नरवाना का समर्थन कर रहे हैं।”
जब संवाददाता ने सवाल किया कि बनिया समाज के अन्य उम्मीदवार प्रेम गर्ग का क्या, तो उन्होंने कहा, “प्रेम गर्ग बनिया समाज से हैं, लेकिन उनकी बनिया समाज में अच्छी पकड़ नहीं है। इसलिए, सुशील गर्ग नरवाना को बनिया समाज का वोट मिलने की अधिक संभावना है।”
ज्ञानचंद गुप्ता की हैट्रिक पर खतरा
यदि ऐसा होता है, तो ज्ञानचंद गुप्ता के लिए अपनी तीसरी जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है। पिछले चुनावों में गुप्ता की जीत ने उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया था, लेकिन अब बनिया समाज के बीच बढ़ती नाराजगी और विभाजन उनके लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
गुप्ता को यह समझने की जरूरत है कि चुनावी राजनीति में समर्थन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यदि वह अपने पुराने समर्थकों को फिर से हासिल नहीं कर पाए, तो यह उनकी राजनीतिक भविष्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
अंत में, पंचकूला विधानसभा चुनाव में बनिया समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि ज्ञानचंद गुप्ता को अपने मतदाता आधार को बचाना है, तो उन्हें जल्द ही अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गुप्ता अपने पुराने समर्थकों को फिर से जुटा पाएंगे या नहीं।
चुनाव की आहट सुनाई दे रही है, और राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे, यह स्पष्ट होगा कि किस उम्मीदवार के पक्ष में बनिया समाज के वोटर्स अपनी ताकत डालेंगे।
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