पंचकूला की सड़कों पर बेकाबू ट्रैफिक – सेक्टर 20, 21, 25 और 26 की जनता बेहाल
न ट्रैफिक लाइट, न ट्रैफिक पुलिस, विभाग कर रहा है हादसे का इंतजार?
पंचकूला की स्मार्ट सिटी की पहचान अब ट्रैफिक जाम और अव्यवस्थाओं में उलझ कर रह गई है। सेक्टर 20, 21, 25 और 26 को जोड़ने वाले नए फ्लाईओवर के आसपास का इलाका आजकल बेकाबू ट्रैफिक और लापरवाह सिस्टम की मिसाल बन चुका है। न कहीं ट्रैफिक लाइट्स हैं और न ही ट्रैफिक कंट्रोल के लिए पुलिसकर्मी। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब आम जनता खुद सड़क पर उतरकर ट्रैफिक संभालने को मजबूर है।
जनता बनी अपनी सुरक्षा की जिम्मेदार
सेक्टर 20 के गवर्नमेंट स्कूल के पास और सेक्टर 25-26 के डिवाइडिंग रोड पर हर सुबह और शाम भारी जाम लगता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को सड़क पार करना किसी जोखिम से कम नहीं। ऐसे में स्थानीय लोग खुद हाथ में इशारे करके गाड़ियों को रोकने और ट्रैफिक को नियंत्रित करने लगे हैं। यह तस्वीर किसी स्मार्ट सिटी के लिए शर्मनाक से कम नहीं।
ना ट्रैफिक लाइट, ना पुलिस – प्रशासन की चुप्पी खतरनाक
पीरमसाला चौक, सेक्टर 21 डिवाइडिंग रोड, सेक्टर 20 गवर्नमेंट स्कूल और फ्लाईओवर के एंट्री-पॉइंट्स पर भारी ट्रैफिक दबाव है, लेकिन इन सभी स्थानों पर ट्रैफिक लाइट्स नहीं हैं। न ही वहां कोई स्थायी ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है। लोग लगातार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन नतीजा ‘प्रक्रिया में है’ वाले जवाब तक ही सीमित रहा।

ट्रैफिक इंचार्ज की स्वीकारोक्ति, जिम्मेदारी फिर PMDA पर
जब इस मसले पर ट्रैफिक इंचार्ज सुशील से बात की गई, तो उन्होंने माना कि समस्या गंभीर है। उन्होंने बताया कि बुधवार को रोड सेफ्टी पर मीटिंग की गई थी, जिसमें सेक्टर 20-21 पर ट्रैफिक लाइट लगाने की बात उठाई गई। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि PMDA को कई बार पत्र लिखा गया है। परंतु PMDA हर बार “प्रक्रिया जारी है” कहकर पल्ला झाड़ रहा है।
प्रशासन किस बात का इंतजार कर रहा है – हादसे का?
क्या कोई बड़ी दुर्घटना ही अब इस व्यवस्था को जगाएगी? क्या लोगों की जान खतरे में डालकर कोई भी ‘विकास’ स्वीकार्य है? एक तरफ फ्लाईओवर बनाकर यातायात को सुगम करने की बात होती है, और दूसरी ओर बिना ट्रैफिक कंट्रोल के वह फ्लाईओवर जाम और जानलेवा रास्ता बन जाता है।
अब जनता को जवाब चाहिए, आश्वासन नहीं
शहरवासी पूछ रहे हैं:
आखिर कब लगेगी ट्रैफिक लाइट?
कब दिखेगी ट्रैफिक पुलिस इन संवेदनशील स्थानों पर?
और कब तक जनता खुद सड़कों पर उतरकर अपनी जान की हिफाजत करती रहेगी?
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