25 से 30 लाख रुपए की अवैध वेंडर से वसूली का कारोबार पंचकूला में
अतिक्रमण हटाने के नाम पर गोलमाल है सब गोलमाल है !
परमानेंट अतिक्रमण कर्ताओं पर कब चलेगा नगर निगम का चाबुक
दाल में काला नहीं , यहां तो पूरी दाल ही काली है
सारे खेल के पीछे छुपा हुआ पैसा और सत्ता पक्ष के नेता !
25 से 30 लाख रुपए का अवैध वेंडर से होती है वसूली !
पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
पंचकूला में नगर निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान खूब जोरों से चलाया जा रहा है हर दिन निगम की अतिक्रमण हटाओ अभियान की टीम सड़कों पर निकलती है और अतिक्रमण हटवाती भी है । पर इस टीम को
पंचकूला के कई सेक्टरों की पार्किंग में अवैध परमानेंट वेंडर नजर नहीं आते । शायद अतिक्रमण हटाओ टीम की आंखों पर कोई ऐसा चश्मा चढ़ा दिया गया है जिसकी वजह से सेक्टर में परमानेंट जगह पर अपनी दुकान बेखौफ लगाए बैठे हुए । नजर आते हैं तो सिर्फ और सिर्फ छोटे रेडी वाले वेंडर जो किसी तरीके से अपना और अपने घर का पेट पलाते हैं ।
सोमवार को नगर निगम द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज के अनुसार पंचकूला नगर निगम द्वारा शहर को स्वच्छ, सुंदर और अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। निगम की अतिक्रमण दस्ता टीम ने सोमवार को सेक्टर-15, 17 समेत विभिन्न क्षेत्रों में फुटपाथों, सड़कों और सार्वजनिक स्थलों से अवैध अतिक्रमण हटाए।
अभियान के तहत निगम ने आज 1 रेहड़ी अतिक्रमण चालान ऑफलाइन, 22 चालान ऑनलाइन और 1 पॉलीथिन चालान जारी किया। दुकानदारों के सामान, ठेले और अस्थायी ढांचों को हटाते हुए सख्ती से कार्रवाई की गई।
नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और दोबारा अतिक्रमण करने वालों पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, नागरिकों से अपील की गई है कि वे सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण से बचें और शहर को स्वच्छ बनाए रखने में सहयोग करें।
सवाल : परमानेंट अवैध वेंडर तक क्यों नहीं जाती अतिक्रमण हटाओ अभियान वाली टीम ।
कैसे टीम के निकलने के पहले ही सूचनाए हो जाती है लीक , आज टीम ने किधर जाना है ।
सारे खेल के पीछे छुपा हुआ पैसा और सत्ता पक्ष के नेता !
परमानेंट अवैध वेंडर में कई ऐसे वेंडर भी है जिनके सर पर सत्ता पक्ष के नेताओं का हाथ बताया जाता है , इसलिए अतिक्रमण हटाओ अभियान की टीम मजबूरन अवैध वेंडर की दुकान की तरफ जाती ही नहीं । और यह वेंडर सत्ता पक्ष के उन सफेदपोश नेताओं की आड़ में नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते सबको नजर आते हैं पर नहीं नजर आते तो निगम के अधिकारियों को और कर्मचारियों को । क्योंकि कहते हैं ना डर सबको लगता है । अगर इन अवैध परमानेंट वेंडर पर एक बार भी गाड़ी पहुंचने वाली होती भी है तो गाड़ी पहुंचने के पहले फोन पहुंच चुका होता है ।
पंचकूला में कैसे पनप रहा है अवैध वेंडर का कारोबार
पंचकूला में अवैध वेंडर के कारोबार को जानने और समझने के लिए कई अवैध वेंडर से जब खबरी प्रशाद अखबार की टीम ने बात की तो बड़ी जानकारी निकाल कर सामने आई अवैध वेंडर का कहना है कि हमारे आसपास का ही एक ऐसा व्यक्ति हम चुन लेते हैं उसके पास एक निश्चित रकम हर महीने जमा कर दी जाती है और उस निश्चित रकम को आगे साहब तक पहुंचाने के लिए इस व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है इसकी वजह से कारोबार में कोई रुकावट नहीं आती । कहा जाता है कि पंचकूला में ही अवैध वेंडर के नाम पर हर माह लगभग 25 से 30 लाख रुपए की वसूली की जाती है । सवाल इस बात का है कि आखिरकार अगर वाकई में ऐसा है तो यह रुपए किसके पास जाते हैं और अगर यह सही नहीं है तो परमानेंट अवैध वेंडरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती ? इसका जवाब देने को निगम में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी तैयार नहीं है यानी की दाल में काला नहीं है पूरी दाल ही काली है ।
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