पंचकुला में स्कूली बच्चों की सुरक्षा से बड़ा खिलवाड़
स्कूली वैन में 30 बच्चों को जान जोखिम में डालकर लेकर जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
वाहन सीज, ₹25,000 का चालान
पंचकूला ललित
पंचकूला जिले में स्कूली वाहनों द्वारा परिवहन नियमों की अवहेलना का एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने न केवल शिक्षा और परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता भी पैदा कर दी है।
बरवाला क्षेत्र में गुरुवार को एक 12-सीटर प्राइवेट वैन में 30 मासूम बच्चों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जा रहा था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो के बाद आरटीओ की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए टोल टैक्स नाके पर वाहन को रोका। जांच के दौरान यह सामने आया कि चालक के पास न तो स्कूल वाहन का वैध परमिट था और न ही बच्चों की सुरक्षित परिवहन से संबंधित आवश्यक दस्तावेज।
वाहन को मौके पर ही सीज कर दिया गया और चालक पर ₹25,000 का चालान लगाया गया। अधिकारियों ने बताया कि बच्चों की स्थिति अत्यंत असुरक्षित थी और वे एक-दूसरे के ऊपर सटे हुए बैठे थे। यह नजारा किसी भी जिम्मेदार नागरिक को झकझोर देने वाला था।
यह केवल एक मामला नहीं, एक चलन बन चुका है
पंचकूला जिले में स्कूली वाहनों में ओवरलोडिंग, बगैर फिटनेस सर्टिफिकेट के संचालन और बिना प्रशिक्षित ड्राइवरों द्वारा मासूम बच्चों को ढोया जाना आम होता जा रहा है। यह स्थिति तब और भी भयावह हो जाती है जब यह लापरवाही निजी स्कूलों की ओर से हो, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं।




प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल
इस घटना के महज एक दिन पहले ही पंचकूला की उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने एक समीक्षा बैठक में परिवहन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि स्कूल वाहनों की सघन निगरानी की जाए और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए। आशंका जताई जा रही है कि यही बैठक शायद विभागीय अधिकारियों को सक्रिय करने का कारण बनी हो, जिसके परिणामस्वरूप यह मामला पकड़ में आया।
जिम्मेदारी तय होनी जरूरी
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर सभी संबंधित पक्ष—स्कूल प्रशासन, वाहन मालिक और सरकारी अधिकारी—अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते आ रहे हैं।
जनता की अपील
स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों ने इस गंभीर लापरवाही पर कड़ा संज्ञान लेने की मांग की है। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ समझौता किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। साथ ही यह भी आग्रह किया गया है कि ऐसे मामलों में केवल चालान या सीज़ तक ही सीमित न रहा जाए, बल्कि दोषियों पर कानूनी कार्रवाई कर उन्हें दंडित किया जाए।
जब तक प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग सामूहिक रूप से कठोर कदम नहीं उठाएंगे, तब तक मासूम बच्चों की जान खतरे में डालने वाली यह लापरवाही रुकने वाली नहीं है। अब समय आ गया है कि इस मुद्दे को प्राथमिकता दी जाए और स्कूल परिवहन व्यवस्था को सुरक्षित और जवाबदेह बनाया जाए।
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