शहर की डेयरियों में पशुओं को दिया जा रहा ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने जताई हैरानी
पशु चिकित्सा विभाग गुप्त रूप से प्रतिबंधित टीकों का प्रयोग कर रहा है।
पंजाब सरकार को पशुओं पर क्रूरता रोकने के लिए जवाब दाखिल करने का आदेश
डेराबस्सी क्षेत्र में 15 डेयरियों में 280 मवेशियों के सर्वेक्षण के आधार पर जनहित याचिका दायर करते हुए उच्च न्यायालय को बताया गया कि अधिकतर मवेशियों को अधिक दूध उत्पादन के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाया जा रहा है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले पर हैरानी जताते हुए इसे बेहद गंभीर माना है और पंजाब सरकार को पशु क्रूरता निवारण के संबंध में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि याचिका दायर करते हुए पेडिश पीपल वेलफेयर सोसायटी ने अधिवक्ता मनप्रीत सिंह भट्टी के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया था कि नजदीक स्थित एक डेयरी में पशुओं के साथ क्रूरता की जा रही है। उन्होंने 15 डेयरियों में 280 पशुओं का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश स्थानों पर पशुओं को बहुत दयनीय स्थिति में रखा जाता है।
डेयरी में साफ-सफाई का अभाव है और पशुओं को पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। कुछ मामलों में, जानवरों को दो फुट की रस्सी से बांध दिया गया था और यहां तक कि उन्हें उनके करीब खड़ा भी रखा गया था। वहाँ कोई उपयुक्त स्थान नहीं था। सर्वेक्षण में सबसे चिंताजनक बात यह थी कि पशुओं को अधिक दूध देने के लिए ऑक्सीटोसिन नामक इंजेक्शन लगाया जा रहा है।
अधिकांश डेयरी किसान यह टीका स्वयं लगाते हैं और इसलिए एक ही सिरिंज का बार-बार उपयोग करते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह टीका न केवल पशुओं के लिए हानिकारक है, बल्कि इसे लगाने के बाद निकलने वाला दूध इसे पीने वालों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि डेराबस्सी में कई जगहों पर जब ऐसे मामले सामने आए तो उन्होंने पुलिस को फोन किया और पुलिस ने सिर्फ खानापूर्ति की। कई मामलों में तो एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। विभिन्न स्तरों पर प्रयासों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि शहर में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का पालन न होने के कारण डेयरी मालिक और गौशाला संचालक पशुओं पर अत्याचार कर रहे हैं।
ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशु हार्मोन को बाधित करता है: भूपिंदर पाल सिंह
इस बारे में संपर्क करने पर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डेराबस्सी भूपिंदर पाल सिंह ने कहा कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल दुधारू पशुओं से दूध निकालने के लिए किया जाता है। सरकार द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद कुछ डेयरी मालिक चोरी-छिपे इसका प्रयोग कर रहे हैं। जब ये टीके पशुओं को दिए जाते हैं, तो उनके शरीर के हार्मोन बाधित हो जाते हैं और उनकी प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है। जिसके कारण पशु नये बच्चों को जन्म नहीं देते।
दूसरी ओर, जब पुरुष, महिलाएं और बच्चे इस टीके से टीका लगाए गए पशुओं का दूध पीते हैं, तो मनुष्यों में भी यही प्रभाव हो सकता है। जिसके कारण मनुष्य के हार्मोन्स बिगड़ सकते हैं तथा उन्हें विभिन्न प्रकार की भयंकर बीमारियाँ हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन इस बारे में अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं हुआ है।
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