फर्ज़ी रिपोर्टिंग : जी न्यूज़ और न्यूज़18 इंडिया पर 5-5 करोड़ का जुर्माना, FIR दर्ज करने के आदेश
एंकर और संपादकों पर भी एफआईआर दर्ज करने के आदेश
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान शहीद हुए शिक्षक कारी मोहम्मद इकबाल को आतंकवादी बताने वाली खबरों पर टीवी चैनलों जी न्यूज़ और न्यूज़18 इंडिया को बड़ा झटका लगा है। पुंछ की एक स्थानीय अदालत ने दोनों चैनलों पर 5-5 करोड़ रुपये का हर्जाना लगाने और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने इसे “पत्रकारिता की आड़ में गंभीर सामाजिक अपराध” करार दिया है।
यह आदेश मृतक शिक्षक के परिजनों की ओर से दायर शिकायत पर आया, जिसमें कहा गया था कि दोनों चैनलों ने बिना किसी तथ्यात्मक पुष्टि के इकबाल को “कुख्यात पाकिस्तानी आतंकी” बताया, जिससे न केवल उनकी छवि को ठेस पहुंची बल्कि पूरे परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल हुई।
कोर्ट का सख्त रुख
पुलिस ने दलील दी कि प्रसारण दिल्ली से हुआ है, इसलिए यह मामला स्थानीय क्षेत्राधिकार से बाहर है। लेकिन अदालत ने यह आपत्ति खारिज करते हुए कहा कि फर्जी खबर का प्रभाव स्थानीय स्तर पर पड़ा, जिससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा और जनता को गुमराह किया गया।
अदालत ने रिपोर्टिंग को भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मानहानि, सार्वजनिक अशांति और धार्मिक भावना भड़काने जैसा अपराध माना है। कोर्ट ने कहा, “मृत व्यक्ति पर बिना प्रमाण आतंकवाद का ठप्पा लगाना न केवल पत्रकारिता की घोर चूक है, बल्कि यह समाज में भय और भ्रम फैलाने वाला कृत्य है।”
एंकर और संपादकीय टीम भी घेरे में
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने सिर्फ संस्थानों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि इस खबर को प्रस्तुत करने वाले एंकरों और संपादकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस आदेश से पत्रकारिता के पेशे में जिम्मेदारी और संतुलन की नई बहस शुरू हो गई है।

पत्रकार बिरादरी की प्रतिक्रियाएं
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कहा, “अगर देश की अदालतें इसी तरह फर्जी खबरों पर सख्ती दिखाएं, तो मीडिया का गिरता स्तर सुधर सकता है। यह फैसला साहसिक और ऐतिहासिक है।”
वहीं, पत्रकार सौरभ त्रिपाठी ने लिखा, “गोदी मीडिया को यह एक चेतावनी है। मीडिया की आज़ादी जिम्मेदारी के बिना नहीं चल सकती।”
ज्ञात हो कि 7 मई को पाकिस्तानी गोलीबारी में पुंछ निवासी शिक्षक कारी मोहम्मद इकबाल की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद कुछ चैनलों ने उन्हें एक सक्रिय आतंकवादी के तौर पर पेश किया। बाद में पुलिस ने साफ किया कि मृतक का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था। हालांकि चैनलों ने माफी जारी की, लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त मानते हुए सख्त कार्रवाई का आदेश दिया।
यह मामला देशभर में जवाबदेह पत्रकारिता की आवश्यकता और मीडिया नियमन पर एक अहम उदाहरण बनता जा रहा है।
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